– विनोद पाराशर

शरीफ़ आदमी

शरीफ़ आदमी
सीधा होता है
एकदम सीधा
जैसे गधा!
शरीफ़ आदमी
अक्सर
नाक की सीध में चलता है
उसे
नहीं दिखाई देता
ऊपर का
खुला आकाश!
नीचे का
कठोर धरातल!
शरीफ़ आदमी
कम ही जगता है
अक्सर सोता है
शरीफ़ आदमी
दरअसल-
कुम्भकरण होता है!
शरीफ़ आदमी!
भाग्यवादी होता है
आजन्म कष्ट सहता है
शरीफ़ आदमी
दरअसल-
कोल्हू का बैल होता है!
शरीफ़ आदमी!
न बुरा देखता है
न बुरा सुनता है
न बुरा बोलता
क्योंकि
शरीफ़ आदमी
गांधी का
बंदर होता है!
मैं
शरीफ़ आदमी नहीं हूं!
आपका क्या ख्याल है?


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »