
सम्मानित होने पर उनकी प्रतिक्रिया
जब एम.ए. अंग्रेज़ी की पढ़ाई कर रहा था तो एक विद्यार्थी के तौर पर मेरे लिये ऑक्सफ़र्ड और केंब्रिज विश्वविद्यालय किसी तीर्थस्थल से कम नहीं थे। उन दिनों सोचा करता था कि क्या कभी ऐसा अवसर भी मिलेगा कि मैं भी इन दो विश्वविद्यालयों को देख पाऊंगा?
जब एअर इंडिया में विमान परिचारक की नौकरी शुरू की तो मेरा पहला लंदन ट्रिप 1978 में लगा तो पहली ही यात्रा में मैं ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय देखने गया। उसके बाद बहुत बार वहां जाने का अवसर मिला। जब इंदु शर्मा कथा सम्मान से पुरस्कृत लेखक लंदन आते थे तो उनको भी वहां ले जाने का प्रयास करता था।
अचानक भारत से Indian Global Foundation के अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा जी का फ़ोन आया कि उनकी संस्था Oxford Union में Indo UK Excellence Award का आयोजन करने जा रही है। साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये मेरे नाम का चयन किया गया है। भिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग विभूतियों का चयन किया गया था।
मेरे लिये यह किसी स्वप्न से कम नहीं था कि ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय के जिस भवन में एल्बर्ट आइंस्टीन, सर विंस्टन चर्चिल, रॉनल्ड रीगन, महारानी एलिज़ाबेथ, एल्टन जॉन, और भारत के मनमोहन सिंह एवं शशि थरूर अपने भाषण दे चुके हैं, उस भवन में मेरी उपलब्धियों को भी रेखांकित किया जाएगा।
यह केवल मेरा सम्मान नहीं, बल्कि हिन्दी साहित्य का सम्मान है। इससे पहले हिन्दी साहित्य का सम्मान बकिंघम पैलेस में प्रिंस चार्ल्स ने किया था और इस बार ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में…
इस कार्यक्रम में रांची से भारत की राज्य सभा सांसद डॉ महुआ माजी, ब्रिटेन के पूर्व सांसद विरेन्द्र शर्मा एवं महाकुंभ की आयोजन समिति के अध्यक्ष राकेश शुक्ला भी उपस्थित थे।
मेरी पुत्री आर्या शर्मा की उपस्थिति मेरे लिये बहुत विशेष रही।








तेजेन्दर शर्मा जी को बहुत-बहुत बधाई । महेन्द्र-उषा।
बहुत बहुत शुभकामनाएँ तथा बधाई जितेन्द्र भाई।