Category: कुवैत

लेखनी में धार हो – (कविता)

संगीता चौबे पंखुड़ी, कुवैत ***** लेखनी में धार हो वीर रस की हो प्रचुरता, ओज का अंगार हो।हर सदी की माँग है यह, लेखनी में धार हो ।। लिख सके…

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