
कबीर विवेक परिवार द्वारा दिया जाने वाला प्रो. शुकदेव सिंह स्मृति सम्मान इस वर्ष सुप्रसिद्ध अध्येता, आलोचक तथा हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका वागर्थ के संपादक डॉ.शंभुनाथ को प्रदान किया जाएगा.हिंदी के मान्य आलोचक श्री रविभूषण,संस्कृत और हिंदी भाषा-साहित्य के लब्धप्रतिष्ठित अध्येता प्रो. राधावल्ल्भ त्रिपाठी,सुपरिचित कवि-आलोचक प्रोफेसर आशीष त्रिपाठी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है।यह सूचना न्यासी श्रीमती भगवंती सिंह ने दी।शुकदेव सिंह स्मृति सम्मान के संयोजक हिंदी विभाग बी. एच. यू. में प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह ने बताया कि संत सहित्य के विशेषज्ञ ‘प्रोफेसर शुकदेव सिंह’ की स्मृति में हर वर्ष दिया जाने वाला यह सम्मान इस वर्ष भी उनकी जन्मतिथि 24 जुलाई को समारोहपूर्वक वाराणसी में प्रदान किया जायेगा।
सम्मानित लेखक शंभुनाथ मध्यकालीन साहित्य एवं भारतीय नवजागरण के गंभीर अध्येता और आलोचक के रूप में ख्यात हैं।21 मई 1948 को झारखण्ड (देवघर) में जन्मे शंभुनाथ प्रतिष्ठित आलोचक, साहित्यकार, कोशकार और संपादक हैं. उन्होने कलकत्ता विश्वविद्यालय में 1979 से 2014 तक अध्यापन किया.2006-08 के बीच केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक रहे।संप्रति वे भारतीय भाषा परिषद कोलकाता के निदेशक हैं।
उन्होंने अपने लेखकीय अवदान से हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध किया है। उन्होंने अनेक पुस्तकों का लेखन और संपादन किया है। उनकी प्रमुख आलोचनात्मक पुस्तकें (मौलिक और सम्पादित) ‘1857, नवजागरण और भारतीय भाषाएँ’ (2007); ‘भारतेन्दु और भारतीय नवजागरण’ (2009), ‘संस्कृति का प्रश्न: एशियाई परिदृश्य’ (2011), ‘हिंदी पत्राकारिता: हमारी विरासत’ (दो खंड, 2012), ‘शब्द का संसार’ (2012), ‘हिन्दी नवजागरण : बंगीय विरासत’ (दो खण्ड), ‘प्रसाद और राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन’, ‘हिंदी साहित्य ज्ञानकोश’ (सात खण्डों में, 2019), ‘जनसंघर्ष, मिथक और आधुनिक कविता’; ‘प्रेमचंद का पुनर्मूल्यांकन’; ‘बौद्धिक उपनिवेशवाद की चुनौती और रामचंद्र शुक्ल’; ‘उपनिवेशवाद और हिंदी आलोचना: रामचंद्र शुक्ल का वैचारिक संघर्ष’; ‘दूसरे नवजागरण की ओर’, ‘धर्म का दुखांत, संस्कृति की उत्तरकथा’, ‘दुस्समय में साहित्य’, ‘हिंदी नवजागरण और संस्कृति’, ‘हिंदी नवजागरण: भारतेंदु और उसके बाद’; ‘हिंदी उपन्यास राष्ट्र और हाशिया’; ‘हिन्दू मिथक आधुनिक मन’; ‘सभ्यता से संवाद’; ‘भारतीय अस्मिता और हिंदी’; ‘कवि की नई दुनिया’; ‘भारतीय नवजागरण: एक असामाप्त सफर’; ‘भक्ति आंदोलन और उत्तर धार्मिक संकट’; ‘हिन्दू धर्म :भारतीय दृष्टि’; ‘इतिहास में अफवाह’; ‘उत्तर आधुनिक संकट से गुजरते हुए’; ‘भारत की अवधारणा: उत्तर गांधीय परिदृश्य पर विचार’ हैं।
उन्हें अपने लेखन के लिए प्रतिष्ठित देवीशंकर अवस्थी सम्मान एवं, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के आचार्य रामचंद्र शुक्ल सम्मान से नावाजा जा चुका है
