
‘नारी लेखिकाओं द्वारा रचित जंग विरोधी साहित्य’ पर संगोष्ठी
पिछले दिनों साहित्य अकादमी के तृतीय तल पर ‘नारी लेखिकाओं द्वारा रचित जंग विरोधी साहित्य’ पर संगोष्ठी हुई। इसका आयोजन अकादमी के ‘अस्मिता’ कार्यक्रम के अन्तर्गत पंजाबी भाषा के द्वारा किया गया। अकादमी में पंजाबी भाषा के कन्वीनर प्रो. रवेल सिंह ने अंग-वस्त्र देकर सभी वक्ताओं का अभिवादन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर रेणुका सिंह ने की, जो जे. एन. यू. में समाज विज्ञान की प्रोफेसर रही है। कार्यक्रम के आरंभ में खालसा कालेज की प्रवक्ता और पंजाबी की कवियत्री डा. वनिता ने जंग विरोधी कुछ कविताओं पर चर्चा की, जिनमें विदेशी कविताएं भी शामिल थी। पंजाबी और हिन्दी की लेखिका, चिंतक व अनुवादक डा. जसविन्दर कौर बिन्द्रा ने इस विषय से संबंधित पंजाबी कहानियों व उपन्यासों का विश्लेषण किया कि हर प्रकार की जंग में सबसे अधिक खामियाज़ा औरत को भुगतना पड़ता है। अन्य दो वक्ताओं ने भी इसी विषय पर अपने विचार रखे। अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. रेणुका सिंह ने कहा, यह विषय एकदम नया है। स्त्रियां आज सेना में स्वयं भर्ती भी हो रही है।


