पिछली सदी में भारत से ब्रेन ड्रेन के दुष्परिणाम का सुपरिणाम विदेशों में हिन्दी का व्यापक विस्तार रहा है। विस्थापित प्रवासियों के परिवार जन भी उनके साथ विदेश गये। उनकी साहित्यिक अभिरुचियाँ वहाँ प्रस्फुटित हुईं। उन्होंने मौलिक लेखन किया और हिन्दी पत्र- पत्रिकाओं का प्रकाशन विदेशी धरती से शुरु किया। सोशल मीडिया के माध्यम से उन छोटे -बड़े और बिखरे प्रयासों को हि्दी साहित्य जगत ने महत्व दिया। प्रवासी रचनाकारों की सक्षम आर्थिक स्थिति के चलते भारत के नामी प्रकाशनो ने साहित्य के गुणात्मक मापदण्डो को किंचित शिथिल करते हुये भी उन्हें हाथों- हाथ लिया । डॉ॰ पद्मेश गुप्त, ब्रिटेन मेँ बसे भारतीय मूल के सक्षम और बहुविध हिन्दी रचनाकार हैं । मूलत: वे कवि हैं किन्तु उनकी कहानियाँ भी बेहद प्रभावी हैं। हाल ही में लंदन बुक फेयर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में पद्मेश गुप्त के कहानी संग्रह ‘डेड एंड‘ का विमोचन संपन्न हुआ था । इस संग्रह में कुल नौ कहानियाँ-अस्वीकृति , औरत प्रेम सिर्फ एक बार करती है , डेड एंड , इंतजार , कशमकश , तिरस्कार , तुम्हारी शिवानी , कब तक और यात्रा सम्मिलित हैं ।
कहानी “अस्वीकृति ,में ई मेल बिछड़े प्रेमियों राजीव और अनीशा को फिर से मिलवाने का माध्यम बनता है । इस तरह का नया प्रयोग समकालीन कहानियों में नवाचारी और अपारंपरिक ही कहा जायेगा । कहानी “औरत प्रेम सिर्फ एक बार करती है” में पद्मेश गुप्त का कवि उनके कहानीकार पर हावी दिखता है । कहानी प्रेम त्रिकोण को नवीन स्वरूप में रचती है। ‘डेड एंड’ कहानी के गहन भाव और सुघड़ शिल्प ने पद्मेश गुप्त के कहानी बुनने के कौशल को उजागर किया है । हिन्दी कहानी के अंग्रेजी शब्दों के शीर्षक से विदेशों में बदलते हिन्दी के स्वरूप का आभास भी होता है । इंतजार वर्ष 2006 में लिखी गई पुरानी कहानी है । कहानी का ट्विस्ट और चरमोत्कर्ष है कि दीपक को एक पत्र बेड के पास मिलता है जिसमें लिखा था … मैं तुम्हारे जीवन से सदा के लिये जा रही हूँ , मैं राजेश से विवाह कर रही हूं … शालिनी । कहानी ‘कब तक‘ आज के परिदृश्य में प्रासंगिक है । ये कहानियां स्वतंत्र प्रेम कथायें हैं । पद्मेश की कहानियाँ भी पाठक के दिल तक पहुँच बनाती हैं । कशमकश, संग्रह की सर्वाधिक लंबी कहानी है जिसमें कथानक का निर्वाह उत्तम तरीके से हुआ है । तिरस्कार कहानी के अंश रोमांचकारी हैं। , ‘कब तक’ मिली-जुली संस्कृति के टकराव की व्याख्या करती है । यात्रा में लेखक के आध्यात्मिक चिंतन का परिचय मिलता है ” आत्मा अमर है , शरीर वस्त्र । आत्मा शरीर बदलती है , नया जन्म होता है ।
यदि कहानी में रुचि रखते है तो “डेड एंड , शब्दों में बाँधते हुये प्रेम को व्यक्त करता नये वैश्विक बिम्ब बनाता रोचक कहानी संग्रह है । सरल, सहज और खिचड़ी भाषा में बातें करता यह कहानी संग्रह समकालीन वैश्विक परिदृश्य को अभिव्यक्त करता पठनीय और संग्रहणीय है । वाणी प्रकाशन से सौ पृष्ठों का यह प्रथम संस्करण सीधे अमेजन पर सुलभ है ।
प्रस्तुति : विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल