वैश्विक हिंदी परिवार की उत्तरी  शाखा की दूसरी बैठक २६ अक्टूबर २०२५ को सफलतापूर्वक संपन्न हुई। सर्वप्रथम हिंदी राइटर्स गिल्ड के निदेशक मंडल की एक सदस्य आशा बर्मन जी ने मंच पर उपस्थित सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों तथा दर्शकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम की चर्चा का विषय है रामलीला। रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि यह जीवन के आदर्शों, मर्यादाओं और संस्कारों की प्रेरणा देने वाली एक अमूल्य धरोहर है। यह  कथा  भगवान श्रीराम के जीवन और उनके गुणों को दर्शाती है, जिससे हमें सत्य, प्रेम, समर्पण, धैर्य और कर्तव्य पालन की सीख मिलती है।

रामलीला का आयोजन सैकड़ो वर्षों से भारतवर्ष में होता रहा है और अब विदेशों में भी रामलीला के सुंदर प्रदर्शन किए गये हैं। अंत में उन्होंने इस कार्यक्रम के संचालक श्री संदीप कुमार जी को मंच पर आमंत्रित करते हुए बताया कि वे न केवल एक साहित्यकार है वरन एक बहुत अच्छे अभिनेता भी हैं, हिंदी राइटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित नाटक ‘उधार का सुख‘ नाटक में उनके अभिनय से सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

संदीप कुमार जी ने मंच पर सर्वप्रथम संध्या सक्सेना भगतजी को आमंत्रित किया।

संध्या सक्सेना भगत का जन्म उत्तर प्रदेश के हिन्दी भाषी परिवार में हुआ। हिन्दी भाषा व मंच से लगाव बचपन से रहा। पिछले 28 वर्षों से अटलांटा में हिन्दी भाषा शिक्षण व भाषा के प्रचार-प्रसार में लगी हैं। २००९ से ‘नटखट रंगशाला’ नामक हिन्दी पाठशाला चला रही हैं। उद्देश्य अभिनय के माध्यम से भाषा सिखाना है।

संध्या जी ने राम कथा को वैदिक मंदिर में प्रस्तुत किया, जिसमें हनुमान शबरी,उर्मिला आदि रामायण के चरित्रों को लेकर नाटक लिखे। 2013 में दशहरा मेला के अवसर पर रावण की कथा को अटलांटा में प्रस्तुत किया और 60 मिनट की एक रामलीला भी की। इस प्रकार राम कथा को लेकर संध्या जी ने अनेक सराहनीय प्रयास किये।

दीपक मशाल जी ने रामलीला के संबंध में अपने कुछ पुराने रोचक अनुभव सुनाए जिससे सबका अच्छा मनोरंजन भी हुआ।

इसके उपरान्त, अमेरिका से हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार श्री अनूप भार्गव जी मंच पर आए और उन्होंने रामलीला के संबंध में कहा कि रामचरितमानस केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, यह एक साहित्यिक ग्रंथ भी है। रामलीला के माध्यम से हम एक साहित्यिक कृति को मंचित कर रहे हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण बात है।

इसके उपरांत डॉ. शैलजा सक्सेना जी  ने सानिध्य के रूप में  मंच संभाला। सर्वप्रथम उन्होंने सुधा ओम ढींगरा जी की चर्चा की। सुधा जी अमेरिका की एक वरिष्ठ लेखिका हैं, जिन्होंने कवितायें, कहानियाँ और उपन्यास लिखे हैं पर अस्वस्थ होने के कारण वे मंच पर उपस्थित न हो सकीं।  उनकी रामलीला के संबंध में डॉक्टर शैलजा सक्सेना जी ने एक विवरण प्रस्तुत किया। सुधा ओम ढींगरा जी 20 वर्षों से नॉर्थ कैरोलाइना में रामलीला आयोजित करवा रही हैं। उनकी रामलीला को देखने के लिए 5000 से अधिक लोग उपस्थित थे, विदेश में इतने लोगों का दर्शक के रूप में आना यह एक बहुत बड़ी सफलता है।

इसके पश्चात शैलजा जी ने रामलीला के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक हिंदी परिवार की उत्तर अमेरिका की शाखा में  रामलीला से युक्त कई लोगों को एकत्र करके उन्हें परस्पर जोड़ने का सौभाग्य हमें मिला है ताकि सभी लोग परस्पर एक दूसरे के कार्यकलापों से परिचित हो सकें। किसी देश में प्रवासियों की सांस्कृतिक सामूहिकता बताने के लिए रामलीला आयोजन बहुत अच्छा माध्यम है। इससे हमारी आस्था को और हमारे सामाजिक मूल्यों की स्थापना को बल मिलता है।

इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे श्री अनिल जोशी जी, जो  केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल- केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष हैं। अनिल जोशी जी इस कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में मंच पर आए। अनिल जी एक लेखक , विचारक और चिंतक हैं, वैश्विक हिंदी परिवार उन्हीं की ही परिकल्पना है।

उन्होंने रामलीला की प्रासंगिकता पर बात की। आज के युग में राम कथा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह परिवार व समुदाय की भावना पर आधारित है, जबकि आज के समाज में टूटते-बिखरते परिवार की एक विकट समस्या है। अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने प्रवासियों के संबंध में बहुत सुंदर पंक्तियाँ कहीं,

जिस भारत को तुम ढूंढ रहे हो, सात समुंदर पार कहाँ है 

अब जब दुनिया एक ग्राम है, तुम हो जहाँ, भारत भी वहाँ है

इस कार्यक्रम के अध्यक्ष थे डॉ. हरीश नवल जी। डॉ. हरीश नवल जी अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित हिंदी के विद्वान हैं,  जिन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में 41 वर्ष अध्यापन किया है। डॉ.हरीश नवल जी ने सभी वक्ताओं की सराहना की। उन्होंने बताया कि रामलीला की चर्चा एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक चर्चा है। राम के भी कई रूप है जैसे सूर के राम, तुलसी के राम, कबीर के राम। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा लग रहा है कि आज की वार्ता बड़ी अनौपचारिक है।

अंत में, संदीप कुमार जी ने अंबिका शर्मा को मंच पर आमंत्रित किया। उन्होंने सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों, दर्शकों को हार्दिक धन्यवाद दिया कि वे सभी इस आभासी मंच पर जुड़ सके। अंबिका जी एक प्रतिष्ठित कवयित्री हैं और रेडियो होस्ट भी हैं और इसके द्वारा वे हिंदी के प्रचार प्रसार में सहायक भी हैं। इस प्रकार हिंदी वैश्विक हिंदी परिवार की उत्तर अमेरिका की शाखा की दूसरी बैठक का अत्यंत सफलतापूर्वक समापन हुआ।

-आशा बर्मन, हिंदी राइटर्स गिल्ड, कैनेडा 

 

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