
कारमेन सुयश्वी देवी जानकी
पति : स्व० रूपचन्द सोमई
जन्म : 23-3-1951 स्थान : पॉरामारिबो, सूरीनाम
विवाह : 25-7-1976 को सोमई परिवार में। पति के आजा एक गिरमिटया परिवार से थे। उनकी माताजी सहदेया भारत से आईं थी और गिरमिट कॉंट्रेक्ट के बाद वापस नहीं गईं।
अपने दो बेटों को लेकर माख़ेन्ता वेख़ में आ कर बस गए। जब नाम का रजिस्ट्रेशन करना पड़ा तो मेरे पति के आजा ने अपना नाम रघुबीर सोमई लिखवाया और उनका छोटा भाई बेचई रघुबीर । बस नाम बदल गया , लेकिन ये दो भाई थे। तो सोमई परिवार में मेरी शादी हुई और हम दोनो के 3 बेटें हैं : रविश, वरिश और रत्नेश। ये तीनों चौथी पीढ़ी के भारतवंशी हैं। और मैं उसी जमीन पर रहती हूँ अपने बेटों और उनके परिवार के साथ।
मैं एक रिटायर्ट अंग्रेजी अध्यापिका हूँ और बचपन से ही हिंदी सीखती आई हूँ। 2004 से हिंदी पढ़ाती हूँ कई हिंदी स्कूलों में। लेकिन कोरोना के कारण अब सिर्फ़ ऑनलाईन हिंदी पढ़ाती हूँ, प्रथमा से लेकर कोविद तक।
2008 में कोविद की परीक्षा में उतीर्ण हुई और रत्न की पढ़ाई की 2011 तक लेकिन उस समय परीक्षा नहीं ली गई। 2012 में मेरे पति बीमार हो गए और 2015 में वे हम से विदा ले लिए। रत्न भाषा की परिक्षा 2016 में ली गई, लेकिन मुझे पता नहीं था इसलिए तैयारी नहीं कर सकी।
मैं भारतवंश की चौथी पीढ़ी हूँ। मेरे नानाजी के माता-पिता भारत से आप्रवासी बन कर जमयका गए थे। 10 साल गिरमिट कॉन्ट्रैक्ट काटकर वे यहाँ सुरीनाम में आएँ और फिर 10 साल यहाँ रह कर गिरमिट काट कर यहीं रह गए और वापस भारत नहीं गए। मेरी माँ सुमिंनत्रा, मेरे नानाजी दुरबली आर्यव्रत की चौथी पुत्री थी।
मैं कविताएँ, कहानी, नाटक, लेख इत्यादि लिखती हूँ : हिंदी सरनामी, अंग्रेजी और भोजपुरी में भी। एक पुस्तक भी हिंदी में लिखी हूँ और उसे अंग्रेजी और डच में अनुवाद किया, जो सितंबर महिना में हिंदी-दिवस के उपलक्ष पर लौन्च होनेवाला है हिंदी परीषद की मदद से।