लियो टॉलस्टॉय की स्मृतियों को समर्पित मासिक साहित्यिक संध्या-गोष्ठी का आयोजन

दिनांक 13.09.2024 को नई दिल्ली स्थित रशियन हाऊस एवं परिचय साहित्य परिषद्, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में रूसी उपन्यासों एवं कहानियों के बहुचर्चित विश्वविख्यात लेखक श्री लियो टॉलस्टॉय  की स्मृतियों को समर्पित मासिक साहित्यिक संध्या-गोष्ठी का आयोजन किया गया। शीर्षक रहा – “Impact of the Tolstoy’s writings on Indian society” अर्थात् “टॉलस्टॉय  के लेखन का भारतीय समाज पर प्रभाव”।

कार्यक्रम की अध्यक्षता का कार्यभार प्रसिद्ध समीक्षक एवं साहित्यकार श्री महेश दर्पण ने वहन किया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रख्यात गीत, दोहे, मुक्तक, गज़ल रचयिता कवियित्री एवं सुविख्यात साहित्य महीषी ‌महादेवी वर्मा की शिष्या श्रीमती प्रमिला भारती उपस्थित रही। वक्ता की भूमिका में श्री सौरभ नायक मंचासीन रहे। अन्य वक्ता एवं आकाशवाणी के सेवानिवृत्त पूर्व-निदेशक श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेई व्यक्तिगत कारणों से अनुपस्थित रहे। संचालक का दायित्व प्रसिद्ध कवि एवं ग़ज़लकार श्री अनिल वर्मा ‘मीत’ के सशक्त हाथों में रहा।

कार्यक्रम का आरंभ सुप्रसिद्ध रूसी एवं सोवियत लेखक श्री लियो टॉलस्टॉय  की स्मृतियों को दृष्टिगत और रेखांकित करते हुए उनके जीवनचरित्र से संबंधित उदाहरणों पर एक महत्त्वपूर्ण वृत्तचित्र प्रस्तुत किया गया। उल्लेखनीय है कि टाॅलस्टॉय ने क्रीमिया युद्ध के दौरान एक आर्टिलरी रेजिमेंट में ‘सेकंड लेफ्टिनेंट’ के रूप में काम किया था। इसका वर्णन उनके अपने विस्तृत वृत्तांत लेख “सेवस्तोपोल स्केचेस” में किया गया है। युद्ध में उनके अनुभवों ने उनके बाद शांतिवाद को जगाने में मदद की। साथ ही, अपने बाद के कार्यों में उन्होंने युद्ध की भयावहता का यथार्थवादी चित्रण करते हुए सामग्री भी प्रदान की।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में डॉ सौरभ नायक ने अपने वक्तव्य के माध्यम से लियो टॉलस्टॉय  के जीवन से जुड़े कुछ सूक्ष्म पहलुओं को चित्रित करती घटनाओं के माध्यम से दृष्टिगोचर प्रस्तुत किया। उन्होंने फिल्म “दो बीघा ज़मीन” का उदाहरण देते हुए उनके लेख “एक आदमी को जीवन जीने के लिए कितनी ज़मीन चाहिए” का वृत्तांत सुनाकर विद्वतजनों को लाभान्वित किया।

श्री महेश दर्पण ने सोवियत संघ, अब रूस में गत कई वर्षों के प्रवासी जीवन के दौरान प्राप्त कुछ विलक्षण और विचित्र संस्मरणों के माध्यम से महान लेखक एवं चिंतक श्री लियो टॉलस्टॉय  के जीवन से जुड़े अनछुए-अनसुने प्रकरणों को उद्धृत करते हुए अवगत कराया कि उनकी कृति ‘अन्ना करेना’ के आठ ड्राफ्ट मैंने स्वयं मास्को में उपलब्ध देखे हैं, जिसके पश्चात् यह कृति मूलरूप में पाठकों के समक्ष आ पाई है। यह उनके लेखन के प्रति सूक्ष्मदर्शी दृष्टि से समर्पण को इंगित करती है। भारत में लेखक मूलतः तीन ड्राफ्ट ही तैयार करके प्रकाशन के लिए जाते हैं और कुछ तो सीधे पहले ही ड्राफ्ट के साथ प्रकाशन के लिए अग्रसर हो जाते हैं। दिनांक 09.09.1928 को लियो टॉलस्टॉय  की जन्म-शताब्दी के अवसर पर महात्मा गांधी द्वारा ‘पावर आफ राइटर’ शीर्षक से श्री तारकनाथ दास को लिखा पत्र विश्व के 200 समाचार-पत्रों में एक साथ प्रकाशित हुआ था, जो मूलतः लेटिन भाषा में लिखा गया था। जिसका सार था – “मैं चुप नहीं रह सकता।” साथ ही, एक ओर अभूतपूर्व जानकारी के फलस्वरूप अवगत कराया कि उन्होंने अपनी समस्त सम्पत्ति जन-कल्याणकारी योजनाओं के लिए दान कर दी थी। उनके पैतृक गांव, जिसको वह स्वयं घोड़े पर सवार होकर देखने और विचरण करने के लिए जाया करते थे, वह इतना वृहद है कि उसको अवलोकन करने के लिए हमें लगभग 5 घंटे का समय लगेगा। मुझे वहां पर टॉलस्टॉय  के प्रभाव को जानने का स्वर्णिम अवसर मिलता है। उन्होंने यह भी दृष्टिगत किया कि भारतीय लेखकों मुंशी प्रेमचंद, श्री जैनेन्द्र कुमार जैन इत्यादि की अनेकानेक कृतियां टॉलस्टॉय  की विचारधारा से प्रभावित है और उनकी अनेकों कृतियों का हिन्दी भाषी लेखकों ने हिन्दी में उन्हें पाठकों के लाभार्थ अनुवादित भी किया है। उनकी कृतियां ‘वार एंड पीस’ तथा ‘अन्ना करेना’ विश्वविख्यात होने के साथ-साथ मील का पत्थर साबित हुई हैं। इन पर आधारित प्रसिद्ध फिल्मों का निर्माण हुआ है। उनकी सभी कृतियां समाज-कल्याण, मैत्री, साहस तथा देशभक्ति की भावनाओं एवं संदेशों से परिपूर्ण होने के कारण अत्यधिक लोकप्रिय हैं। टॉलस्टॉय  की कृतियां हिन्दी सहित अनेक भाषाओं में अनूदित हैं, जो किशोरोपयोगी साहित्य के लिए बहुत बड़ी देन है।

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में साहित्यिक संध्या-गोष्ठी का शुभारंभ वरिष्ठ कवयित्री, गीतकार एवं गज़लकार श्रीमती प्रमिला भारती के काव्यपाठ से हुआ। उन्होंने अपनी सुविख्यात एवं बहुचर्चित सिग्नेचर रचना “मुझे गोद ले लो, रिटायर हूं मैं” के साथ-साथ कुछ अन्य चुनिंदा दोहे, मुक्तक तथा अन्य काव्य रचनाओं का काव्यपाठ किया। तत्पश्चात्, क्रमबद्ध रूप से इस अवसर पर आमंत्रित काव्य विभूतियों श्री अरविन्द ‘असर’, डॉ संतोष संप्रति, देहरादून से प्रकाशित पत्रिका ‘नवोदित प्रवाह’ की संयुक्त संपादक (दिल्ली) डॉ रेणु पंत, डॉ तूलिका सेठ, श्री गोल्डी गीतकार, श्रीमती पूजा ‌श्रीवास्तव, सुश्री गुलबहार सिद्दीकी, श्री हीरालाल नागर, श्री अनूप कुमार, डॉ लीना सरीन, श्री राकेश सेठ, श्री फरीद अहमद, श्री राज़ी अहमद कमाल, श्री आर पी सोनकर, श्री निर्देश, श्री प्रतीक, श्री कपिल एवं श्री अनिल वर्मा ‘मीत’ ने एक-एक करके अपनी विविध काव्य विधाओं के पाठ का सिलसिला आरंभ किया।

सभागार में उपस्थित सभी सुधिजनों ने काव्य-पाठ की विभिन्न विधाओं से उद्धृत रचनाओं का रसपान कर भरपूर आनंद लिया और मंत्र-मुग्ध होकर इरशाद की गुहार लगाते भाव-विभोर हो गए। श्रोताओं द्वारा वाह-वाही के उद्घोषों एवं तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार का समस्त वातावरण गुंजायमान हो गया।

अंतिम पड़ाव पर कार्यक्रम के संचालक श्री अनिल वर्मा ‘मीत’ द्वारा काव्य-पाठ के साथ संध्या-गोष्ठी सम्पन्न हुई।

तत्पश्चात्, गद्य-लेखक, आकाशवाणी-दूरदर्शन कलाकार, ‘दि मैजिक मैन एन चंद्रा पटल’ के संचालक, जापान में पंजीकृत अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिक पत्रिका ‘हिंदी की गूंज’ के मानद सदस्य एवं सहयोगी, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी तथा अधिवक्ता श्री कुमार सुबोध द्वारा सभागार में उपस्थित सभी प्रबुद्धजनों का धन्यवाद और आभार ज्ञापित करते हुए कृतज्ञता व्यक्त की कि खराब मौसम और लगातार बारिश के बावजूद आप सभी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इसके साथ यह भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर मेरे द्वारा लिए गए कुछ चित्र एवं वीडियो आप सभी के अवलोकनार्थ यहां प्रस्तुत हैं।

— कुमार सुबोध, ग्रेटर नोएडा वेस्ट

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