श्री अक्रूर जी वेलफेयर ट्रस्ट के तत्वावधान में ‘हिन्दी दिवस’

दिनांक 14.09.2024 को प्रीत विहार, पूर्वी दिल्ली के न्यू राजधानी एन्क्लेव स्थित श्री वार्ष्णेय धर्मशाला के सभागार में ‌श्री अक्रूर जी वेलफेयर ट्रस्ट (पंजी.) के तत्वावधान में श्री आदिशंकराचार्य जनसेवा ट्रस्ट (पंजी.) की सहभागिता से “हिन्दी दिवस” की जयंती के शुभ अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता का वहन श्री आदिशंकराचार्य जनसेवा ट्रस्ट (पंजी.) के अध्यक्ष श्री दीपक गुप्ता ने किया। मुख्य अतिथि की भूमिका में अखिल भारतीय संत समिति के धर्म समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य शुभेष शर्मन तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर इक्विटास स्माल फाइनांस बैंक के अधिकारी श्री अभिषेक भार्गव मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती रेणु शर्मा के सशक्त हाथों में रहा। 

कार्यक्रम का शुभारंभ गणमान्य विभूतियों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ हुआ। 

तत्पश्चात्, श्री दीपक गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के माध्यम से सभागार में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए सभी को अपनी दैनिक दिनचर्या में हिन्दी भाषा को अधिकतम उपयोग में लाए जाने को प्रेरित किया। साथ ही, हमें उसका स्वाभिमानी तरीके से गर्व सहित सम्मान करना चाहिए। यह विश्व की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। जब छोटे-छोटे देश अपनी मातृभाषा को बोलने से संकोच नहीं करते, तो हमें इसके उपयोग से क्यों संकोच और शर्मिंदगी महसूस होती है। हम ही अपनी हीन-भावना का शिकार हैं, जिसके फलस्वरूप हम घर के भीतर और बाहरी सामाजिक परिवेश में इसका उपयोग करने से स्वयं सकुचाते हैं। इसलिए आज के दिन हमें हिन्दी भाषा के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी दैनिक दिनचर्या में इसका उपयोग करके इसके निरंतर प्रचार-प्रसार में योगदान देकर सहभागी बनेंगे। 

मुख्य अतिथि आचार्य श्री शुभेष शर्मन ने अपने दृष्टिगत वक्तव्य के माध्यम से अवगत कराया कि हिन्दी अपने आप में एक पूर्णतः समृद्ध-भाषा है। इसके प्रत्येक प्रारूप में स्पष्टता है। उन्होंने भाषा के प्रारूपों पर प्रकाश डालते हुए विग्रह करके समझाया कि भाषा के तीन मूल मंत्र हैं – बोलना, पढ़ना और लिखना। तीनों में कहीं कोई भेद या अपवाद नहीं है। एकदम सीधी सपाट और सरल भाषा है, जो आसानी से सीखी और समझी जाती है। सनातनी तौर पर भी यही सत्य है, जिसका मूल हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्थान है। इसे पहले हमें समझना होगा और फिर, समाज को इसके प्रति जागरूक करने का भरसक प्रयास करना होगा। उन्होंने बताया कि भगवान शिव के डमरू की ध्वनि से इसकी उत्पत्ति हुई है। संस्कृत भाषा के माध्यम से इसका उत्थान हुआ है। श्री आदिशंकराचार्य ने स्वयं अपने धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रन्थों, वेदों, उपनिषद् एवं अन्य महत्वपूर्ण उपलब्ध साहित्यिक पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद भी इसीलिए किया था, जिससे सनातनी समाज को अपने सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति ज्ञानार्जन प्राप्त करने में सुविधा होगी।

विशिष्ट अतिथि श्री अभिषेक भार्गव ने उपस्थित जनसमुदाय को हिन्दी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं प्रकट करते हुए अपने बैंक की विभिन्न निवेश की लाभकारी योजनाओं के प्रति अवगत कराया और ग्राहक के तौर पर जुड़कर लाभार्थी बनने का आग्रह का निवेदन किया। 

प्रख्यात कवि एवं गीतकार स्व॰ कुंवर बैचेन के शिष्य और गत दो वर्षों तक श्रीलंका में आवासित रहे सैन्य कमांडो एवं गीतकार श्री समोद सिंह और उनकी पत्नी कवयित्री श्रीमती स्वदेश गुप्ता ने श्रीलंका तथा जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की जद्दोजहद के दौरान संघर्षरत जीवन के अभूतपूर्व अनुभवों से जनसमुदाय को अवगत कराया। साथ ही, दोनों ने अपनी रचनाओं के काव्यपाठ से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध और भाव-विभोर भी किया।

सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी श्री ए के श्रीवास्तव ने अपने कार्यकाल के दौरान दैनिक कार्यों का निस्तारण हिन्दी का उपयोग करते हुए किया करते थे। इस बीच अनेकानेक प्रकार की बाधाएं भी आई, किंतु विचलित हुए बिना अपने आपको ध्येय के कर्तव्य-पथ से विमुख नहीं होने दिया। 

कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ता श्री रक्षपाल सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि वह दैनिक दिनचर्या का कार्य तन्मयता के साथ हिन्दी में ही करते हैं। वर्तमान में वह जरूरतमंदों के 90 दर्ज़ मुकदमों के लिए न्यायालय की विभिन्न अदालतों में प्रस्तुत होते हैं। इसमें सिविल के कम और ज्यादातर क्रिमिनल केस हैं। यह सभी मुकदमें बिना किसी फीस की प्राप्ति के जन-कल्याणकारी लोगों के लिए लड़ रहा हूं।

श्रोता-दीर्घा में उपस्थित गणमान्य विभूतियों में श्री प्यारेलाल गाडरू, श्री विपिन जैन, श्री राधेश्याम मिश्रा, श्री विनोद सिंघल, श्री नीरज गर्ग, श्री विजय गुप्ता, श्री राजेश्वर भारद्वाज, श्री अमृत शर्मा, श्री कैलाश क्वात्रा, श्री अरविंद अग्रवाल, श्री राकेश वार्ष्णेय, श्री ज्ञानेश्वर भारद्वाज, श्री राकेश चन्द गुप्ता, श्री हिमांशु गुप्ता, श्री प्रवीण शर्मा, श्री रोहित रस्तोगी, श्री दीपक अग्रवाल, श्री महेश हिंगोरानी तथा श्री कुमार सुबोध प्रमुख रहे।

अंतिम पड़ाव पर श्री आदिशंकराचार्य जनसेवा ट्रस्ट (पंजी.) के उपाध्यक्ष श्री विनोद सिंघल द्वारा सभागार में उपस्थित गणमान्य विभूतियों के साथ-साथ जनसमुदाय के प्रति धन्यवाद और आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

इस कार्यक्रम के दौरान मेरे द्वारा लिए गए कुछ चित्र आप सभी के अवलोकनार्थ यहां प्रस्तुत हैं।

— कुमार सुबोध, ग्रेटर नोएडा वेस्ट।

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