राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ द्वारा आयोजित स्मृति व्याख्यानमाला

नाटककार प्रो. कुसुमलता मलिक के नवीन नाटक ‘लूई की सूई’ का शानदार विमोचन हुआ। लूई की सूई नाटक प्रसिद्ध ब्रेल लिपि के संस्थापक लूई ब्रेल के जीवन पर आधारित है। लूई ब्रेल ने ब्रेल लिपि के 6 बिंदुओं से बनने वाली इन आकृतियों से दृष्टिहीनों के लिए शिक्षण का मार्ग प्रशस्त किया किंतु उनकी ये राह आसान न थी। ये नाटक उनके जीवन संघर्ष में आई कठिनाइयों के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर करता है,जिससे न सिर्फ नेत्रहीन समाज प्रेरित होता है। बल्कि ऐसी कामना है कि सनेत्र पाठकों के बीच भी ये नाटक नाट्य साहित्य में सकारात्मक योगदान साबित होगा।


कार्यक्रम को दो भागों में बांटा गया पहले भाग में प्रो. प्रेम सिंह की अध्यक्षता में मंच पर श्री अरविंद गौड़(प्रसिद्ध रंगकर्मी), डॉ. चंदा सागर(एसोसिएट प्रो. मिरांडा कॉलेज), डॉ.हर्ष बाला (प्रो. इंद्रप्रस्थ कॉलेज) ने प्रस्तुत नाटक लूई की सूई में लेखिका द्वारा व्याप्त लूई ब्रेल के जीवन संबंधित अलग-अलग बिंदुओं को उजागर किया। सबसे मुख्य बात यह है कि विकलांग विमर्श के दृष्टिहीन संघ में यह लेखिका द्वारा भारतीय परिप्रेक्ष्य में पहला ऐसा प्रयास है। जो लूई ब्रेल के जीवन पर आधारित है इससे पूर्व ऐसा प्रयास नहीं मिलता। जिसके लिए लेखिका बधाई की पात्र हैं।

कार्यक्रम के दूसरे भाग में विषय ‘इतिहास लेखन की आवश्यकता क्यों?’ पर सकारात्मक चर्चा हुई । अध्यक्षता प्रो. निरा अग्निमित्र ने की, मुख्य अतिथि श्री कपिल खन्ना जी (विश्व हिंदू परिषद दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष) की उपस्थिति विशेष रही। उन्होंने इतिहास लेखन के लिए सामाजिक व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के अध्यक्ष आदरणीय श्री संतोष कुमार रूंगटा जी के सानिध्य में कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ।


रिपोर्ट – डॉ राज कुमार