‘सूचना प्रौद्योगिकी के पथ पर राजभाषा हिंदी: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर व्याख्यान

नई दिल्लीः श्री गुरु नानक देव खालसा महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ और राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा दिनाँक 12 नवंबर 2024 को ‘सूचना प्रौद्योगिकी के पथ पर राजभाषा हिंदी: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत शबद गायन और दीप प्रज्ज्वलन जैसी सांस्कृतिक परंपराओं के साथ हुई, जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक संवाद के मेल को दर्शाती है। इसके पश्चात प्रो. दीपमाला ने स्वागत वक्तव्य के माध्यम से इस विषय की प्रासंगिकता को स्पष्ट किया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता, डॉ. ओमप्रकाश, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न आयामों में हिंदी भाषा की संभावनाओं पर विचार प्रस्तुत किए।

डॉ. ओमप्रकाश ने रेखांकित किया कि भारत जैसे बहुभाषी देश में हिंदी न केवल राजभाषा है, बल्कि एक मजबूत संचार माध्यम भी है, जो तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने गूगल अनुवाद, माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर, इनडीक टूल्स और राजभाषा विभाग अनुवादक जैसे तकनीकी उपकरणों का जिक्र करते हुए बताया कि किस प्रकार ये पोर्टल्स हिंदी भाषा को तकनीकी युग में सशक्त बना रहे हैं। उनके अनुसार, डिजिटल युग में हिंदी के महत्व को स्वीकारते हुए इस दिशा में सतत प्रयास करना अत्यावश्यक है।

उन्होंने हिंदी लेखन की गुणवत्ता और प्रभावी संवाद क्षमता पर भी जोर दिया। उनके अनुसार, यह समय की मांग है कि नई पीढ़ी भाषा कौशल के साथ-साथ तकनीकी दक्षता भी हासिल करे, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हों। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिंदी की उपस्थिति बढ़ाने के लिए छात्रों को प्रेरित करना इस व्याख्यान का एक मुख्य उद्देश्य था।

हिंदी जैसे विषय पर चर्चा का आयोजन यह दर्शाता है कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और तकनीकी प्रगति की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है। डॉ. ओमप्रकाश का यह कथन विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा कि हिंदी भाषा की दीर्घकालिक प्रासंगिकता तभी सुनिश्चित होगी, जब इसे तकनीकी नवाचारों और आधुनिक संवाद के साथ जोड़ा जाएगा।

इस व्याख्यान के माध्यम से विद्यार्थियों को यह संदेश भी दिया गया कि भाषा का विकास व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों से संभव है। मंच संचालन का जिम्मा संभाल रही स्नातक हिंदी विशेष तृतीय वर्ष की छात्रा आयुषी कुमावत ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई, जिससे कार्यक्रम का संचालन व्यवस्थित और प्रभावशाली रहा। वहीं, आभार ज्ञापन के रूप में डॉ. अंजुबाला ने कार्यक्रम के उद्देश्य और इसके सफल आयोजन में सहभागी सभी लोगों का धन्यवाद व्यक्त किया।

यह कार्यक्रम न केवल सूचना प्रौद्योगिकी और हिंदी के बीच तालमेल को बढ़ावा देने का एक प्रयास था, बल्कि इसने छात्रों को प्रेरित किया कि वे अपनी भाषा और तकनीकी कौशल को बेहतर बनाकर भविष्य में नई संभावनाओं के द्वार खोलें। हिंदी के प्रति यह दृष्टिकोण इसे केवल एक भाषा तक सीमित नहीं रखता, बल्कि इसे एक प्रभावशाली माध्यम बनाता है, जो आने वाले समय में भारत की प्रगति की धुरी बन सकती है।

उक्त अवसर पर राजभाषा कार्यान्वयन समित के संरक्षक तथा प्राचार्य डॉ. बलजीत सिंह, संयोजक – डॉ. शैलजा तथा सह संयोजक- डॉ. राज कुमार शर्मा तथा अन्य प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

रिपोर्ट लेखन- आशुतोष शर्मा, स्नातक तृतीय वर्ष, हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार

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