दिनांक 12.12.2024 को नई दिल्ली के लोदी एस्टेट के मैक्समूलर मार्ग स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमलादेवी काम्प्लेक्स के सेमिनार हॉल में जयसेव समिति के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार, संगीतज्ञ, कवयित्री एवं शिक्षाविद् डॉ. पुष्पा सत्यशैल द्वारा संकलित एवं संपादित चार नवीनतम कृतियों “गीत पल्लवी चतुर्थ भाग – 1 और 2, सत्य कथा पुष्प – 3 तथा सात्विका” के लोकार्पण समारोह का भव्य आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता का दायित्व दिल्ली प्रसार भारती के पूर्व महानिदेशक तथा विश्वरंग अंतरराष्ट्रीय कला एवं संस्कृति फैस्ट, भोपाल के सह-निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई के कर-कमलों में रहा। अन्य मंचासीन गणमान्य विभूतियों में दिल्ली विश्वविद्यालय, उत्तरी परिसर के रसायन विज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ. पवन माथुर, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हिन्दू महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ.कविता शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के संगीत एवं कला विभाग की पूर्व डीन और प्रमुख विदूषी डॉ. उमा गर्ग तथा लोकार्पित होने वाली कृतियों की संपादिका डॉ.पुष्पा सत्यशैल प्रमुख रहे। जयसेव समिति के अध्यक्ष श्री विक्रम शैल गुप्ता ने निवेदक की भूमिका का वहन किया। जहां एक ओर समिति के अंतर्गत संचालित एवं संचारित विभिन्न कार्य-कलापों को संदर्भित करते हुए मंचासीन विभूतियों के संक्षिप्त परिचय का दायित्व भी सुश्री अंजलि के द्वारा निभाया गया। वहीं दूसरी ओर, संचालक के कार्यभार का वहन श्री प्रसन्नजीत के सशक्त हाथों में रहा, जिसे उन्होंने बड़ी ही कुशलता के साथ निर्वहन किया।

प्रथम चरण में मंचासीन गणमान्य विभूतियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर डॉ.पुष्पा सत्यशैल द्वारा सम्मानित किया गया। द्वितीय चरण में मंचासीन विभूतियों के कर-कमलों द्वारा नवीनतम कृतियों “गीत पल्लवी चतुर्थ भाग – 1 और 2, सत्य कथा पुष्प – 3 तथा सात्विका” का लोकार्पण कर लोकार्पित किया गया।

 तत्पश्चात् संचालक श्री प्रसन्नजीत द्वारा सुश्री अंजलि को क्रमबद्ध तरीके से आमंत्रित मंचासीन वक्ताओं अपने उदबोधनों के लिए आमंत्रित किया।

श्री लीलाधर मंडलोई ने पुस्तकों पर अपने उदगार व्यक्त करने से पूर्व डॉ. पुष्पा सत्यशैल की जीवन-यात्रा विविधताओं से परिपूर्ण है। उन्होंने अवगत कराया कि –

1. वर्ष 1961 में नृत्य विषय में खैरगढ़ के इंदिरा गांधी संगीत विश्वविद्यालय से बी.म्यूज़िक की शिक्षा ली।

2. वर्ष 1962 में दिल्ली स्कूल आफॅ इकनॉमिक्स से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

3. वर्ष 1965 में वायलिन विषय में खैरगढ़ के इंदिरा गांधी संगीत विश्वविद्यालय से बी.म्यूज़िक की शिक्षा ली।

4. वर्ष 2006 में दिल्ली विश्वविद्यालय की संगीत एवं कला संकाय से वायलिन विषय में पीएचडी की डिग्री हासिल की।

5. वह सदियों से दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रख्यात इन्द्रप्रस्थ महाविद्यालय की छात्रा के साथ-साथ इसी के पूर्ववत स्कूल की भी छात्रा रही हैं।

6. इन्होंने वर्ष 2013 से आज के दिन वर्ष 2024 तक वह संगीत, कला, नृत्य एवं हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में सृजनात्मकता के साथ चिंतन-मनन करती रही हैं और स्वरचित, संपादित एवं संकलन के माध्यम से बहुआयामी कृतियों तथा सीडी के रूप में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती आ रही हैं।

उनके द्वारा आज संपादित और संकलित नवीनतम लोकार्पित कृतियों में देश-विदेश के विभिन्न विधाओं के रचयिताओं की रचनाओं को एकजुट करके पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करना एक अनूठा और अभूतपूर्व योगदान है। इन चार संकलनों में एक-से-एक श्रेष्ठतम काव्य रचनाओं एवं संस्मरणों का समावेश है, जो समाज को दिशा देने में सहायक सिद्ध होंगे।

तदोपरांत, अन्य मंचासीन वक्ताओं ने भी सभागार में उपस्थित गणमान्य एवं विद्वतजनों को अपने-अपने संक्षिप्त उदबोधनों के माध्यम से दृष्टिगोचर प्रस्तुत करते हुए लाभान्वित किया।

कार्यक्रम की श्रोता-दीर्घा में उपस्थित जनसमुदाय के बीच सामाजिक और राजनीतिक एवं शिक्षा जगत की गणमान्य विभूतियों में बिड़ला फाउंडेशन के निदेशक, अंतरराष्ट्रीय सुविख्यात साहित्यकार, कवि एवं शिक्षाविद् डॉ सुरेश ऋतुपर्ण, डॉ नीलम वर्मा, डॉ अनीता कपूर, डॉ अरूणा गुप्ता, डॉ मंजू गुप्ता तथा आकाशवाणी दूरदर्शन कलाकार, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी, अधिवक्ता एवं गद्य-लेखक श्री कुमार सुबोध इत्यादि प्रमुख रहे।

कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव पर देश-विदेश के विभिन्न शहरों और क्षेत्रों से सभागार में पधारे विद्वतजनों एवं आगंतुकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए धन्यवाद और आभार ज्ञापित करने के साथ यह भव्य कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

— कुमार सुबोध, ग्रेटर नोएडा वेस्ट।

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