
मृणाल पाण्डे
मृणाल पाण्डे का जन्म 26 फरवरी, 1946 को हुआ। वे जानी मानी हिंदी लेखिका व पत्रकार हैं। टीकमगढ़, मध्य प्रदेश में जन्मी मृणाल पाण्डे को साहित्यानुराग विरासत में मिला। मृणाल पाण्डे की माँ शिवानी प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं लेखिका थीं।
इनकी पहली कहानी प्रतिष्ठित हिंदी साप्ताहिक ‘धर्मयुग’ में उस समय छपी, जब वे इक्कीस वर्ष की थीं।
इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा नैनीताल में पूरी की। उसके बाद इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. किया। इन्होंने अंग्रेजी एवं संस्कृत साहित्य, प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व, शास्त्रीय संगीत तथा ललित कला की शिक्षा कारकारन वाशिंगटन डी. सी. से पूरी की।
मृणाल ने अपनी कहानियों में शहरी जीवन और सामाजिक परिवेश में महिलाओं की स्थिति को केंद्रीय विषय बनाया है। उनकी कहानियां तेज़ी से बदलता सामाजिक परिवेश, रिश्तों की उधेड़-बुन भी उनकी कहानियों में प्रमुखता से नजर आती है। अगस्त 2009 तक वे हिन्दी दैनिक “हिन्दुस्तान” की सम्पादिका थीं। ‘हिन्दुस्तान’ भारत में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले अख़बारों में से एक हैं। वे हिन्दुस्तान टाइम्स के हिन्दी प्रकाशन समूह की सदस्या भी रही हैं।
उनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-
अपनी गवाही, हमका दियो परदेस, रास्तों पर भटकते हुए, पटरंगपुर पुराण, देवी, ओ ओबेरी, यानी कि एक बात थी,बचुली चौकीदारिन की कढ़ी, एक स्त्री का विदागीत, चार दिन की जवानी तेरी, अपनी गवाही, सहेला रे,जहाँ औरतें गढ़ी जाती है, आदि
उन्होंने पुराने किस्से नए संदर्भों में ढालकर लिखे हैं।
उनको जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई
-रजनीकांत शुक्ला