
डॉ रमा पूर्णिमा शर्मा
जन्म : जालंधर, पंजाब
निवास : टोक्यो जापान
विधाएं :
कविता, कहानी, हाइकु, लेख, लघुकथा, उपन्यास
कार्य :
हिंदी और पंजाबी का प्रचार प्रसार, भारतीय संस्कृति की सेवा और किन्नर समाज के सुधार और उद्धार के लिये विशेष रूप से कार्यरत
संप्रति :
जापान से रजिस्टर्ड हिंदी की गूंज अंतरराष्ट्रीय पत्रिका एवं पंजाबी दी गूंज अंतरराष्ट्रीय मैगज़ीन (ਪੰਜਾਬੀ ਦੀ ਗੂੰਜ ਅਂਤਰ ਰਾਸ਼ਟਰੀ) ਮੈਗਜੀਨ
संपादन :
अपनी अपनी धरती, अपना अपना आसमान, अपने अपने सपने, गूँज उठी हिंदी, प्रत्याशित सोच, अधूरी, जज़्बात, जज़्बात का सफ़र, प्रवासी हिंदी गूँज उठी, माँ जैसा कोई नहीं, मन का आईना।
प्रकाशित कृतियाँ :
मात्सुओ बाशो और मेरे हाइकु, जापान का सनातन धर्म शिंतो, आतप जीवनम्, मुरझाते फूल, बहते पानी के साथ बहना, दिल की बातें और देहरी पर दीपक तथा अनेक साँझा संग्रहों में कविताएँ, लेख और कहानियाँ प्रकाशित
सम्मान :
भारत गौरव सम्मान लंदन में, थाई भारत गौरव सम्मान, बर्मिंघम लंदन दूतावास में सम्मानित, गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, किंग्स बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड, एक्सक्लूसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, हिंदी अकादमी मुंबई द्वारा 2 बार सम्मानित, रविंद्र नाथ टैगोर यूनिवर्सिटी से सम्मानित, गुरुग्राम यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, सोनीपत यूनिवर्सिटी, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी व अनेकों संस्थानों द्वारा सम्मानित, वर्ल्ड कान्सिट्यू़श्न एन्ड पार्लियामेंट (WCPA) द्वारा सम्मानित
विशेष :
हिंदी अकादमी मुंबई की अंतर्राष्ट्रीय सचिव, हिंदी साहित्य परिषद कोलकाता की अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, महिला काव्य मंच की जापान अध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय पत्रिका हिंदी की गूंज की संस्थापक एवं संरक्षक
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