डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया

मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ…

मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसकी समझदारी हर ग़लतफ़हमी से मुक्त,
हर भ्रम से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसका स्वावलंबी स्वभाव
हर झूठी आस से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसका मुस्कुराता चेहरा, हर हाल में खुश,
हर परेशानी और आँसुओं की क़ैद से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसका परिश्रमी स्वभाव कहे—
वो हर ग़ुलामी से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसका हर प्रयास है आत्मविश्वास,
और हर सीख किसी भी निर्भरता से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसका मृदु हृदय बस प्रेम की परिभाषा जानता है,
हर संबंध, हर बंधन से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसका मनमस्त मिज़ाज
हर भय से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसे साथी की चाहत तो है,
पर वह हर निराधार सोच से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जो कहे “प्यार” वहीं, जो “सम्मान” दे,
हर दयनीय उपाधि से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जो बोले वही शब्द, जो हिम्मत दे,
हर निराशा और लाचारी से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जिसकी सकारात्मक सोच कहे—
वो हर मुश्किल से आज़ाद है।
मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,
जो गर्व से कहे: “मैं स्त्रीशक्ति हूँ!”
अबला जैसे उपनाम से अब आज़ाद हूँ।

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