Category: मंजु गुप्ता

जल ही जीवन – (कविता)

डॉ. मंजु गुप्ता जल ही जीवन बहता पानी नदिया हैझरता पानी झरनाबरसता है तो बारिशआँखों में डबडबाए तो आँसूफूल पंखुरी पर लरजती ओस की बूँदजमकर हिमशिला, फ्रीजर में रख दो…

पुरुष नहीं रोते – (कविता)

डॉ. मंजु गुप्ता पुरुष नहीं रोते तुम रोती हो, हँसती हो, खुलकर अपनी बात कहती होतारसप्तक में, कोई बात पसंद न आने पर, गुस्सा करती हो,खीजती हो, झल्लाती हो, बर्तन…

फॉल सीजन / पतझड़ – (कविता)

– मंजु गुप्ता *** *** फॉल सीजन / पतझड़ कभी कभी मुझे लगता हैकि मैं जिंदगी के विराट् बरगद की एक तनहा जड़ हूँ-गहरी, मजबूत, पुष्ट,हरियाई थी बहुतबरसों लहराई लगातारफली-फूली,…

अंतरात्मा – (कविता)

– मंजु गुप्ता **** **** अंतरात्मा रूह को मारने की कोशिश तो बहुत कीमार नहीं पाए, यही मुश्किल हो गयी हैजानते हैं जनाब, बड़ी बेशर्म हैहद दर्जे की दसनंबरीमैंने इसे…

लड़कियाँ – (कविता)

मंजु गुप्ता लड़कियाँ लड़कियाँ तो….समय की आवाज़ हैं, हृदय की धड़कन हैंफूलों की खुशबू और खुशबू का स्पन्दन हैं. पानी में लहर हैं, लहरों का नर्तन हैंसमाज की नब्ज और…

प्रकृति के अंश हैं हम – (कविता)

– मंजु गुप्ता *** *** प्रकृति के अंश हैं हम तितली के पंख झुलसेगौरैया गायब हुईजंगलों की आई शामतज़िंदगी घायल हुई पशु- पक्षी की कौन कहेआदमी की दुर्दशा हुईकुछ भी…

एक दीपक अँधेरे के खिलाफ़ – (कविता)

–मंजु गुप्ता एक दीपक अँधेरे के खिलाफ़ आज की रातएक दीपक जलाओउनके लिएजिनके तन रूखेमन भूखे हैं आज की रातएक दीपक जलाओअँधेरे मन मेंआँज दो ज्योति-रेखनिराश नयनों मेंऔर रख दोएक…

चाँदनी ने छुआ मुझको – (कविता)

– मंजु गुप्ता *** *** चाँदनी ने छुआ मुझको चाँदनी ने झुआ मुझको, मैं चाँदनी हो गयीधूप ने जब छुआ तो मै रागिनी हो गईवायु ने स्पर्श कर जगाई नव…

खामोशी एक नदी है – (कविता)

– मंजु गुप्ता *** *** खामोशी एक नदी है खामोशी एक नदी हैभीतर बहतीउदास,शांत, निःस्वन कई बार चाँदनी रातों मेंगीत गातीतनहाई में चुपचापबरसात में अक्सरचुप्पी का बाँध तोड़झरने-सी झरती झर-झरबहुत…

अनुत्तरित प्रश्न – (कविता)

अनुत्तरित प्रश्न बच्चे आजकल बहुत प्रश्न करते हैंमाँओं के पास उत्तर नहीं हैंपिता से पूछो तो झल्लाते हैंप्रश्न पूछने को बेवकूफी बताते हैंअध्यापकों के पास, हर प्रश्न केकुछ रेडीमेड उत्तर…

फूल खिल रहा है – (कविता)

फूल खिल रहा है वहाँ बगीचे में फूल खिल रहा हैनहीं, फूल हँस रहा हैफूल खुशियाँ बाँट रहा हैसुगंध लुटा रहा हैफूल शुभकामनाओं के रंग छलका रहा हैउमंगों के इंद्रधनुष…

जंगल का कानून – (कविता)

जंगल का कानून बचपन लाचार है, यौवन मजबूरप्रौढ़ कोल्हू का बैल हो गया हैबुढ़ापा टुकड़ों पर ललचाता श्वानगलियों के आवारा कुत्ते, सफेदपोशों पर भौंकते हैंसांड स्वच्छंद विचरतेजंगल छोड़ भेड़िए, नगरों…

हँसी और मुस्कान – (कविता)

हँसी और मुस्कान हँसी और मुस्कान, दो बहिनेंएक होकर भी अलगएक ही डाल पर खिले दो फूलएक अधखिली कली, दूसरी पूरा खिला फूलएक भोर की पहली किरन-सी उजली, नाजुक, लजीलीदूसरी…

मंजु गुप्ता – (परिचय)

मंजु गुप्ता डॉ. मंजु गुप्ता हिन्दी एम. ए., पीएच.डी., डी.लिट्.एसोसिएट प्रोफेसर कमला नेहरू कॉलेज आगरा विश्वविद्यालय. की सर्वश्रेष्ठ छात्रा होने के लिए चांसलर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गयासर्वश्रेष्ठ वाद-विवादकर्ता,…

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