31 अगस्त को, सूरीनाम हिंदी परिषद के साहित्यिक संस्थान “विद्या निवास साहित्य” सूरीनाम ने मुंशी प्रेमचंद और गोस्वामी तुलसीदास जी के सम्मान में एक उत्सव का आयोजन किया।

ज्योति महादेवमिसियर द्वारा इस कार्यक्रम का शुभारंभ व संचालन किया गया। यह आयोजन दो चरणों में आयोजित किया गया जिसमें –

प्रथम चरण मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित था। जिसके अंतर्गत  सूरीनाम हिन्दी परिषद के शिक्षकों, विद्यार्थियों व अन्य साहित्य प्रेमियों साहित्यिक प्रस्तुतियाँ की गईं। जिनमें

• जनवी जरबंधन द्वारा प्रस्तुत जीवनी

• सांद्रा लुटावन  द्वारा  “मुंशी प्रेमचंद व साहित्य “ पर साहित्यिक लेख पढा गया।

• कहानियां/खंड प्रथिमा अजोधिया और उनके छात्रों अंजनी जीतबहादूर और मोनिश हनुमान द्वारा किया गया।

• प्रेमचंद द्वारा एक लघु कथा “ मुक्तिधन “फ़िल्म के रूप में दिखाई गई।

• द्वितीय चरण “गोस्वामी तुलसीदास जी पर आधारित रहा। जिसमें –

• शाम जानकी द्वारा “ गोस्वामी तुलसीदास का जी “ की जीवनी पर आधारित लेख प्रस्तुत किया गया।

• नम्रता बोहोरी द्वारा रामयान के कुछ अंशों पर व्याख्यान किया गया।

• साक्षी हीरा और श्रेया हीरा द्वारा रामायण पाठ का गायन किया गया।

• तुलसीदास के बारे में जीवन वृत्तचित्र एक लघु फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित कि गई।

हिंदी परिषद के अध्यक्ष आदरणीय सत्यानंद परमसुख जी द्वारा दोनों महान विद्वान विभूतियों पर संक्षिप्त अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत किया गया । उन्होंने दोनों विद्वानों का भारतीय संस्कृति व हिन्दी साहित्य में योगदान का उल्लेख करते हुए कहा, “प्रेमचंद का साहित्य हमारे पूर्वजों का साहित्य है और तुलसीदास जी की रामायण हमारे संस्कारों का परिचय है।“  कार्यक्रम के उपरांत कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों को भगवद गीता की एक प्रति उपहार स्वरूप प्रदान की गई।

कार्यक्रम के अंत में, सभी प्रतिभागियों को उनके मूल्यवान योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।

जोटी महादेवमिसियर ने आधिकारिक तौर पर कार्यक्रम का समापन किया, सभी को उनकी उपस्थिति और प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया।

यह एक प्रेरणादायक दोपहर थी, जो भाषा, संस्कृति और आध्यात्मिक धन के प्रति समर्पण से भरी हुई थी।

रिपोर्ट-डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे

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