14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि में भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की

डॉ अर्जुन गुप्तागुंजन‘, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्ति  मिली थी। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। भारत की जनगणना 1951 के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।

सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रितानी ताज (ब्रिटिश क्राउन)  का हो गया। ए ओ ह्यूम तथा डब्ल्यू सी बनर्जी के नेतृत्व में सन् 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई० एन० सी०) का निर्माण हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की सहभागिता, कांग्रेस द्वारा असहयोग का अन्तिम फैसला और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद का उदय हुआ। सन् 1947 में स्वतंत्रता के समय तक राजनीतिक तनाव बढ़ता गया। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का अंत भारत और पाकिस्तान के विभाजन के रूप में हुआ।

सन् 1946 में, ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सरकार का राजकोष, हाल ही में समाप्त हुए द्वितीय विश्व युद्ध के कारण लगभग खाली था। न तो उनके पास घर पर जनादेश था और न ही अंतर्राष्ट्रीय समर्थन। इस कारण वे तेजी से बेचैन होते भारत को नियंत्रित करने के लिए देसी बलों की विश्वसनीयता भी खोते जा रहे थे। फ़रवरी 1947 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ये घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को पूर्ण आत्म-प्रशासन का अधिकार प्रदान करेगी। भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख को आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है। उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख के रूप में, द्वितीय विश्व युद्ध, में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिराह 15 अगस्त को चुना। ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राष्ट्रों में विभाजित करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया तथा यह घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व प्रदान किया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा। यूनाइटेड किंगडम की संसद के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के अनुसार 15 अगस्त 1947 से प्रभावी  ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान नामक दो नए स्वतंत्र उपनिवेशों में विभाजित किया और नए देशों के संबंधित घटक असेंबलियों को पूरा संवैधानिक अधिकार दे दिया। 18 जुलाई 1947 को इस अधिनियम को शाही स्वीकृति प्रदान की गयी।

लाखों हिन्दू, मुस्लिम और सिक्ख  शरणार्थियों ने स्वतंत्रता के बाद तैयार नयी सीमाओं को पैदल पार किया। पंजाब जहाँ सीमाओं ने सिख क्षेत्रों को दो हिस्सों में विभाजित किया, वहां बड़े पैमाने पर रक्तपात हुआ, बंगाल व बिहार में भी हिंसा भड़क गयी पर महात्मा गांधी की उपस्थिति ने सांप्रदायिक हिंसा को कम किया। नई सीमाओं के दोनों ओर 2 लाख 50 हज़ार से 10 लाख लोग हिंसा में मारे गए। पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, वहीं, गांधी जी नरसंहार को रोकने की कोशिश में कलकत्ता में रुक गए।  सबसे पहले 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित हुआ और पाकिस्तान नामक नया देश अस्तित्व में आय। मुहम्मद अली जिन्ना ने कराची में पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ग्रहण किया। जैसे ही मध्यरात्रि की घड़ी आई भारत ने अपनी स्‍वतंत्रता हासिल की और एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र बन गया। भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली में संविधान हॉल में 14 अगस्त को 11 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया।  इस सत्र में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” (नियति से वादा) नामक भाषण दिया। इस भाषण में पंडित नेहरू ने भारत की स्वतंत्रता और भविष्य के बारे में अपने विचार व्यक्त किए थे। इस भाषण को “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” (Tryst with Destiny) इसलिए कहा जाता है क्योंकि नेहरू ने कहा था, “बहुत साल पहले हमने नियति से एक वादा किया था, और अब समय आ गया है जब हम अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेंगे”।  यह वादा भारत को स्वतंत्रता दिलाना था, और नेहरू ने इसे एक नियति से मिलन के रूप में देखा। यह भाषण 20वीं सदी के महानतम भाषणों में से एक माना जाता है तथा इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसके भविष्य के दृष्टिकोण की एक सशक्त याद के रूप में देखा जाता है।

भाषण के कुछ मुख्य अंश इस प्रकार हैं:-

“आधी रात के समय, जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के साथ जागेगा।”

“एक क्षण आएगा, जो इतिहास में बहुत कम आता है, जब हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ाएंगे, जब एक युग का अंत होगा, और जब एक राष्ट्र की आत्मा, जो लंबे समय से दमित थी, अभिव्यक्ति पाएगी…”

“हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां हर व्यक्ति को समानता और न्याय मिले।”

“हमें गरीबी, अज्ञानता और बीमारियों से लड़ना होगा।”

“हमें एक सुखी, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील देश का निर्माण करना होगा।”

यह भाषण भारत के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक था, और नेहरू ने देश को एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जाने का संकल्प लिया। संविधान सभा के सदस्यों ने औपचारिक रूप से देश की सेवा करने की शपथ ली। महिलाओं के एक समूह ने भारत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया व औपचारिक रूप से विधानसभा को राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया। जिसके बाद भारत एक स्वतंत्र देश बन गया। नेहरू ने प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया और वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया। इस प्रकार स्वतंत्र भारत का उदय हुआ।

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