
अनीता वर्मा
पद्म श्री पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित राज बेगम, जिन्हें कश्मीर की मेलोडी क्वीन के नाम से जाना जाता है, के जीवन पर रूह का संगीत गुनगुनाती हुई बॉयोपिक की तरह बनाई गई एक मीठी सी फिल्म जो कश्मीर की पद्मश्री पुरस्कार विजेता राज बेगम के सफर पर आधारित है।
कश्मीर की पहली महिला गायिका राज बेगम जिसको अपने जीवन में सामाजिक वर्जनाओं का सामना करते हुए अपनी आवाज को लोगों तक पहुँचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा । किस तरह से जिसके घर पर वो काम करती थीं उस संगीत उस्ताद ने उनकी आवाज़ को पहचान कर उन्हें रेडियो स्टेशन पर ले जाकर आवाज़ को लोगों तक पहुँचाया ,उनकी आवाज़ को तराशा और बाद में शायर पति ने उनका साथ दिया।

फ़िल्म में सबा आज़ाद ने बड़ी मासूमियत से अपना रोल निभाया है । सोनी राजदान , जैन खान दुर्रानी , शिबा चड्ढा , तारुक रैना और लिलेट दुबे ने अपने सशक्त अभिनय से फिल्म में जान डाल दी है । फिल्म का हर फ़्रेम , दृश्यों की प्रस्तुति और सबसे ज्यादा बहुत रिसर्च करके उस समय की पोशाक, उस समय का माहौल व कश्मीर का रहन सहन , गानों में साज़ बहुत सशक्त व प्रभावशाली हैं। फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष फिल्म का संगीत और मुलायम, मखमली आवाज वाले गीत हैं।
कई बार फिल्म देखते हुए लगता है कि तार कहीं टूट से गए हैं और कहानी को जल्दबाज़ी में फ़िल्माया जा रहा है । फ़िल्म का मधुर संगीत कश्मीर की वादियों सा कानों में गूंजता सा दिल पर दस्तक देता है । फ़िल्म देखकर मुझे इसी थीम पर बनी पंजाबी फ़िल्म “बाजरे दा सिट्टा” ना जाने क्यों बार बार याद आती रही।
निर्देशक
Danish Renzu
द्वारा लिखित
अभिनीत- सबा आज़ाद, सोनी राजदान, ज़ैन खान दुर्रानी, तारुक रैना, लिलेट दुबे, शीबा चड्ढा, शिशिर शर्मा, ललित परिमू
संगीत
पीटर ग्रेगसन
अमेज़न प्राइम प्लैटफ़ॉर्म
