
मॉरीशस की साहित्यिक सुगंध

अनीता वर्मा
प्रतिष्ठित हिंदी प्रेमी व पूर्व में मॉरीशस में दूतावास में अधिकारी के रूप में कार्यरत सुनीता पाहुजा की नवीनतम पुस्तक ‘मॉरीशस की साहित्यिक सुगंध’ हाल ही में स्टार पब्लिकेशन्स से प्रकाशित हुई है।
मॉरीशस प्रवास के दौरान साहित्यिक संवादों, अनुभवों और आत्मीय संबंधों की संजोयी गई इस सजीव स्मृति में मॉरीशस के 44 रचनाकारों की 64 विविध विधाओं की रचनाएँ सम्मिलित हैं – कविता, कहानी, लेख, संस्मरण, लघुकथा, निबंध व शोधपत्र आदि जो गिरमिटिया विरासत से लेकर समकालीन अनुभवों तक के रंगों को समेटे हुए हैं।
यह संकलन मॉरीशस के दो विशिष्ट साहित्य-साधकों को समर्पित है – श्री अभिमन्यु अनत, जिनकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को मानवीय संवेदना और यथार्थ का वैश्विक स्वरूप दिया; और डॉ. मुनीश्वर लाल चिंतामणि, जिनकी कविताओं ने संस्कृति, भाषा और मानवीय मूल्यों को समर्पित भाव के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई।
पुस्तक का सह-संपादन श्रीमती अंजू घरभरन द्वारा किया गया है
यह पुस्तक रचनाओं का संग्रह मात्र नहीं, बल्कि भारत और मॉरीशस के सांस्कृतिक सेतु का साक्षात अनुभव है।
पुस्तक में जिन रचनाओं का चयन किया गया है उसमें सभी रंगों का समायोजन है। कहीं रचनाएँ भीतर के ऊहापोह को उकेरती हैं तो वहीं कुछ रचनाएँ मारीशस के जन जीवन, वहां की संस्कृति की झलक देती हैं। पुस्तक का कैनवास बहुत विस्तृत और वृहद है।
जहाँ एक ओर इस पुस्तक में मारिशस के प्रतिष्ठित रचनाकारों को जोड़ा गया है वहीं युवा वर्ग और पारंपरिक साहित्य के आदान- प्रदान जिन्हें वहाँ की भाषा में “ बैठका”कहते हैं, में पढ़ा हुआ साहित्य भी है।काव्य खंड में कल्पना लालजी, जयवंती सुकून, धनराज शंभु,राजा हीरामन की कविताओं में हिन्दी, मॉं , देश की सुगंध और भारत के प्रति प्रेम स्वतः ही प्रकट होता है । वहीं कुछ विचारशील कविताओं का संयोजन भी इस नए आयाम देता है।
गद्य खंड में प्रहलाद रामशरण जहाँ मॉरीशस की शकुन्तला के माध्यम से एक बहुत ही लोकप्रिय व मार्मिक कथा को प्रस्तुत करके वहाँ की संस्कृति, भावनाओं से अवगत कराते हैं तो वहीं कुछ शोध आलेख भी हैं।
रामचरित मानस का जन मानस व लेखन पर प्रभाव जहां कुछ आलेखों से दृष्टिगोचर होता है वहीं वहां के साहित्य पर उसका प्रभाव भी दिखाई पड़ता है।
पुस्तक के दोनों खंड प्रभावी बन पड़े हैं और पुस्तक मारिशस व भारत के संबंधों का ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो संदर्भ के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
चयनित आलेखों में सचमुच मॉरीशस की सुगंध आती है क्योंकि उन सब रचनाकारों के लेखन का मुहावरा मॉरीशस के गिरमिटिया समाज की गहरी छाप के लिए हुए है। 312
पृष्ठों की पुस्तक की क़ीमत 750/- रूपये है हालाँकि ये थोड़ा ज़्यादा लगती है पर ये अपने आप में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो शोध कर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
संपादित कहानी – ‘मॉरीशस की साहित्यिक सुगंध’
प्रकाशक – स्टार पब्लिकेशन (दिल्ली)
