
6 सितंबर 2025 को कवि प्रेमरंजन ‘अनिमेष’ की नवीनतम कविता पुस्तक ‘जीवन खेल’ की परिचर्चा का आयोजन था। खेल पर आधारित कविताओं की इस पुस्तक में क्रिकेट के विभिन्न प्रसंगों को जीवन की स्थितियों पर लागू करते हुए किसी सत्य को पकड़ने का प्रयास किया गया है। सिर्फ खेल पर केंद्रित इस तरह की कोई पूरी कविता पुस्तक संभवत हिंदी में अकेली होगी।
प्रेमरंजन भारत भूषण अग्रवाल से पुरस्कृत हैं। कविता में वाचालता और शब्द स्फीति के आज के युग में वे शब्द-लाघव और मितकथन के कुछ थोड़े कवियों में हैं। बिम्ब गाँव और कस्बे से आते हुए, मगर कथन में नागरिक अभिजात्य और परिष्कार। उन्हें ठहरकर और समझकर पढ़ना होता है – शब्दों की व्यंजनाओं और अंतर्ध्वनियों को पकड़ते हुए।
चर्चा का आयोजन प्रभाकर प्रकाशन द्वारा किया गया था। राकेश रेणु का वक्तव्य सटीकता और मितकथन का सुंदर उदाहरण था। अन्य वक्तागण मदन कश्यप, देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’ व उमाशंकर चौधरी भी अच्छा बोले। डॉ. वरुण कुमार, पूर्व राजभाषा निदेशक, रेल मंत्रालय की भी उपस्थिति रही।

