
बात छोटी सी
नोरिन शर्मा
आज शीतल और वरुण की पच्चीसवीं शादी की सालगिरह है। वरुण ने न तो कभी जन्मदिन मनाया और न ही कभी शादी की सालगिरह…! अंग्रेज़ों के चोंचले कहकर उस दिन ऑफिस को निकल जाता। शीतल की कॉलेज की चंडाल चौकड़ी में से तीन सहेलियों की इसी वर्ष सिल्वर जुबिली है। फेसबुक, इंस्टाग्राम उनके समारोह के चित्रों से जगमगा रहे थे। बेटे और बेटी का कहना था ; मम्मा ये तो मन की बात है, अगर कुछ करना अच्छा लगे तो कर लो। आपको कहीं बाहर घूमने जाना है तो हम गूगल करके पूरा प्रोग्राम बना देंगे। शीतल अकेली कहां जाएगी..क्या बच्चे नहीं जानते कि पापा की नज़रों में ये सब बेकार के खर्चे हैं; ज़्यादा ही मन है तो खीर बना लो, बाहर से कुछ मीठा मँगवा लो..! सारी दुनिया को घर बुलाकर या किसी रेस्टोरेंट में बड़ी सी पार्टी दो..! फूलों के बुके हाथ में पकड़ पकड़कर फ़ोटो खिंचवाओ और फिर सोशल मीडिया पर पोस्ट डालो। वरुण की नज़र में लोगों से वाह वाही लूटने का ये तरीका ढकोसला है।
शीतल इतनी बार ये डायलॉग सुन चुकी थी कि अब वो समझ गई थी ; वरुण को ये दिखावा लगता है। चंडाल चौकड़ी में से तीन सखियाँ तो देश में ही हैं लेकिन सुपर्णा का फ़ोन आया कि वो दिल्ली आ रही है,गुरुग्राम में अपने भैय्या भाभी के संग रहेगी और हम चारों के लिए गोवा घूमने का प्लान बनाया है।
आज शाम की फ्लाइट है और अभी तक शीतल ने न तो इसका ज़िक्र बच्चों से किया और न ही वरुण को बताया..!सबके मायके दिल्ली में होने के कारण किसी को भी असुविधा नहीं हुई। लेकिन…लेकिन आज तो हमारी 25 वीं सालगिरह है। यह बात मेरी चंडाल चौकड़ी से भी नहीं छिपी रही कि वरुण ने कभी विवाह की वर्षगाँठ मनाई हो या कहीं बाहर ही घूमने गए हों। क्या करूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा। इन तीनों को कैसे समझाऊँ कि आज नहीं , कल की बुकिंग होती तो…
मन का ख़ाली कोना चीत्कार कर उठा, क्या हो जाता कल, आज या परसों…तुम जाना चाहती हो या यूँ ही उदास बैठकर पूरी शाम गुज़ारनी है। सर्दियों की छुट्टियों के कारण दोनों बच्चे घर पर ही थे। तभी रोहन का दोस्त मिलने आया और दोनों मोटरसाइकिल लेकर निकल पड़े, मम्मा शाम तक आ जाऊंगा, बाय..!
बेटी भी डी एल एफ जा रही हूँ ,शिखा के साथ; बोलकर नाश्ते के बाद से ही निकली हुई है। मैं किसको कहूँ , क्या वरुण को फ़ोन पर पूछ लूँ ; शायद बोलें, जो करना है करो..! एक बार फिर सुपर्णा को फ़ोन मिलाया ; “सुन तुम लोग आज निकल जाओ, शाम को वरुण से बात करके मैं कल की फ्लाइट से आ जाऊँगी।” दूसरी तरफ़ से ज़ोरदार गालियाँ पड़ीं और शीतल मुस्कुराने लगी..! ‘इतने हक़ से किसी ने मुझे गाली देकर नहीं बुलाया..! तेरा ये तरीक़ा पसंद आया, चल मिलते हैं एयरपोर्ट पर..!’
अभी तक की ना नुकुर ग़ायब हो चुकी थी। फटाफट एक छोटे सूटकेस में कपड़े पैक कर एक पत्र वरुण की साइड टेबल पर छोड़ा और चाबी सामने वाली मिसेज़ शर्मा को देकर बोली, बच्चे आएँ तो उन्हें दे दीजिएगा।
टैक्सी में बैठे- बैठे ही दोनों बच्चों को चाबी का मैसेज किया और आँखें मूंदकर बैठ गई। मुझे भी हक़ है खुश होने का, कुछ मन का सा करने का..!!! कितनी अजीब सी बात है लेकिन सच यही है कि जो वरुण चाहते थे उससे मनवा ही लेते । घर की शांति, बच्चों की परवरिश, सास ससुर की सेहत, रिश्तेदारी और ज़िम्मेदारियों ने शीतल को कभी अपने बारे में सोचने का मौका ही नहीं दिया..! वरुण को अच्छा नहीं लगेगा, वरुण नाराज़ हो जाएँगे,बच्चे क्या सोचेंगे..? इन्हीं सवालों से घिरी शीतल कभी अपने बारे में सोचने तक की भी हिम्मत नहीं जुटा पाई। आज अचानक भीतर ऐसा क्या हुलसा, ऐसा क्या हुआ जो सैंतालीस वर्षीया शीतल सखियों संग गोवा घूमने के लिए राज़ी हो गई।भीतर के शोर को अब तक अनदेखा, अनसुना करती आई थी..!!! बस अब नहीं; अपने आप से प्यार हो गया था…क्या ये भी ग़लत है?
एयरपोर्ट पर चारों ने गले मिलकर जो शोर मचाया, आसपास बैठे यात्री उन्हें ही देखने लगे..! सब इन चारों की मस्ती भरी हँसी,गुदगुदाती ठिठोली देखकर मुस्कुरा रहे थे..!!!
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पाँच बजे चारों अपने पंख फैलाकर उड़ चलीं, लगभग पच्चीस वर्षों के लंबे अंतराल बाद चारों इस तरह मिल रहीं थीं। बातों का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। विदेश में बैठे बैठे ही सुपर्णा ने दो कमरे,रसोई,डाइनिंग एरिया, बड़ा सा ड्रॉइंग रूम और बहुत खूबसूरत स्विमिंग पूल बुक करा दिया था..! लखनऊ की नवाब मैडम शांभवी मज़ेदार कबाब और रूमाली रोटी पैक करा लाई थी और सीधे एयरपोर्ट ही आई थी। सबने मिलकर खाने का खूब आनंद लिया और आखिरी कौर हमेशा की तरह शीतल ने झपट लिया..! सुंदर दूल्हे की ख्वाहिश भी पूरी हुई, पर…कौन सी कसक है जो भीतर ही भीतर बह रही है… बाँध तोड़ सीमाओं को लांघ सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए कुछ पल जीने का उत्साह एक बार फिर ज़ोर मारने लगा। वो भुला बैठी कि घर पर पति और दोनों बच्चों को छोड़कर दोस्तों के साथ आई है। रात को उस बंगले पर पहुँचे.. सबके मुंह से एक साथ निकला,” वाओ “
मिसेज़ सबेस्टियन ने पूल के किनारे केक रखवा कर बाकी इंतज़ाम करवा दिया था। जॉनी हम चारों की ख़िदमत में हमेशा मुस्तैद मिलता..! एक कार किराए पर लेकर देर रात तक समुद्र किनारे घूमना, रंग बिरंगे हैट पहनकर फ़ोटो खींचना,एक जैसी हवाईन ड्रेस पहनकर मौज मस्ती करते हुए सैंकड़ों फ़ोटो खींचे..!
सिर्फ़ पहले दिन रात को बेटी का फ़ोन आया था, “ऑल वेल मॉम,एंजॉय योरसेल्फ”… के बाद चार दिन तक किसी ने उसकी खोज ख़बर नहीं ली। मैंने क्या गलत किया..? पूछा नहीं या यहाँ आना ही गलत था..! वापिसी की उड़ान का समय था; शीतल का सिर दर्द बढ़ता जा रहा था..! सभी ने उसको अपने अपने तरीक़े से समझाने की कोशिश की..!
शीतल को खुश रहने के लिए क्या किसी की इजाज़त की ज़रूरत है या किसी से खुशियों की भीख माँगनी होगी। रात को घर आते आते सात बज गए ; बेटे को बोलकर वेज पुलाओ रायता और कुछ स्नैक्स ऑर्डर करवा दिए। शावर लेकर जब बाहर आई तो वरुण आ चुके थे।कंधे पर हाथ रख ‘ हाय वरुण! ‘ बोली। वरुण की आँखोँ में चमक देख शीतल मुस्कुरा उठी।”तुम्हारे हाथ की अदरक वाली चाय मिलेगी?” “हम्मम,ज़रूर,अभी लाई!”
बाहर बालकनी में गुलाबी ठंड की दस्तक दी; दो कप चाय लेकर वरुण के साथ बालकनी में जैसे ही आई, फ़ोन घनघना उठा। जल्दी से कमरे में आई तो नादिया का फ़ोन था।उसकी बात बहुत अजीब लगी, “यार मैंने कब अगले मीट के लिए लद्दाख लिखा..! मैं तो ….”
“सुन पहले अपना फ़ोन और मैसेज चेक कर…!”
ये क्या!!! चंडाल चौकड़ी ग्रुप पर सुपर्णा ने पूछा था, जून में मेरी भतीजी की शादी तय हुई है; मैं इंडिया आ रही हूँ। सब अगला वैन्यू बताओ..!मेरी तरफ़ से सजेस्ट की गई जगह थी ‘ लद्दाख ‘….! शीतल समझ गई ,वरुण ने ही जवाब लिखा था और मुस्कुराए बिना न रह सकी। बालकनी में बाहर आकर देखा तो वरुण की शैतानी वाली मुस्कान छिपी न रह सकी।
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