कोरिया में ‘होली है’
– सृजन कुमार
होली भारतीयों की भावनाओं से जुड़ा एक ऐसा त्यौहार है, जिसका नाम सुनते ही होली के गानों के साथ ख़ुशनुमा-सी मस्ती की भावना दिलोदिमाग में दौड़ने लगती है। भारतीय लोग चाहे भारत में रहे या भारत के बाहर होली के दौरान रंग-गुलालों में सराबोर होने की तमन्ना उनमें प्रबल होती है, शायद यही कारण है कि अन्य देशों में बसे प्रवासी भारतीय या भारतीय मूल के लोग विदेश की धरती को भी होली के रंगों से लाल करने का मौका नहीं छोड़ते हैं। जिन देशों में प्रवासी भारतीयों की संख्या बहुतायत में है, वहाँ एक नहीं बल्कि कई शहरों में होली का आयोजन होता है, जिसकी झलक हमें आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से दिखती रहती है। परंतु कुछ ऐसे भी देश हैं, जहाँ प्रवासी भारतीय संख्याबल में तो कम हैं, लेकिन होली और दिवाली जैसे त्यौहारों को भारी उत्साह के साथ मनाते हैं। ऐसा ही एक देश दक्षिण कोरिया है। यहाँ पिछले 15 वर्षों से प्रवासी भारतीय समुदाय होली का आयोजन कर रहा है। इस साल भी दक्षिण कोरिया के छुनछन शहर में 15 और 16 मार्च को दो दिनों तक होली का आयोजन किया गया।
कोरिया में ‘होली है’ का संक्षिप्त इतिहास
प्रवासी भारतीय समुदाय दक्षिण कोरिया में होली का आयोजन ‘होली है’ के नाम से करता आ रहा है। कोरिया के दक्षिण में स्थित बुसान शहर में 2011 में पहली बार एक भारतीय दंपत्ति (अमित गुप्ता और मुस्कान गुप्ता) के प्रयासों से ‘इंडियन्स इन कोरिया(IIK)’ के तत्त्वाधान में सार्वजनिक रूप से ‘होली है’ के नाम से होली त्यौहार का आयोजन शुरू हुआ। बुसान कोरिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है जो अपनी सुंदर समुद्री-तटों के लिए विदेशियों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इसलिए होली का आयोजन भी बुसान के सर्वाधिक लोकप्रिय ‘हैउन्दै बीच’ पर होना शुरू हुआ। 2011 में आयोजित ‘होली है’ में लगभग 80-100 भारतीय और विदेशी लोगों ने भाग लिया था। तत्पश्चात 2017 तक प्रति वर्ष बुसान के ‘हैउन्दै बीच’ पर लगातार ‘होली है’ का आयोजन होता रहा। प्रतिवर्ष इसमें भाग लेने वालों की संख्या बढ़ती गई और 2015 तक आते आते इसमें 70 से अधिक देशों के लगभग 4 से 5 हजार लोग भाग लेने लग गए। 2017 तक इसे प्रवासी भारतीय समुदाय के द्वारा बिना किसी सरकारी सहायता के आयोजित किया जा रहा था। केवल भारतीय ही नहीं कोरिया में रह रहे विदेशियों के बीच ‘होली है’ की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए 2018 से अन्य शहरों की स्थानीय सरकारों ने भी इसमें रूचि दिखाते हुए सहायता की पेशकश की, जिसके कारण बुसान के बदले ‘होली है’ का आयोजन अन्य शहरों में बिना किसी शुल्क के होना शुरू हुआ। चूँकि 2017 तक भारतीय समुदाय इसे बिना किसी सहायता के आयोजित करता था तो कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी लोगों को कुछ पैसे शुल्क में देना पड़ता था, परंतु प्रांतीय सरकार से सहायता मिलने के बाद से ‘होली है’ को निःशुल्क कर दिया गया। हालाँकि दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में शुल्क के साथ होली का आयोजन अभी भी होता है। 2018 में ‘होली है’ का आयोजन गजे द्वीप और 2019 में मिरयांग शहर में किया गया, और यहाँ भी बड़ी तादाद में भारतीय और विदेशी लोगों ने हिस्सा लिया। 2020 से लेकर 2022 तक कोरोना के प्रकोप के कारण सार्वजनिक स्थलों पर बड़ी संख्या में लोगों के जमावड़े पर पाबंदी होने की वजह से ‘होली है’ का आयोजन नहीं हो पाया। स्थिति सामान्य होने के बाद 2023 में मिरयांग शहर और 2024 में नामि द्वीप पर फिर से सफल आयोजन हुआ। कोरोना के पहले और उसके बाद की होली में एक अंतर ये हुआ कि आयोजन स्थल पर पहले केवल गुलाल से होली खेलने की सुविधा होती थी, परंतु अब गुलाल के साथ-साथ भारतीय व्यंजन, भारतीय संस्कृति के अनुभव आदि के स्टाल भी लगने लग गए।



2025 की होली
2025 में दो दिवसीय ‘होली है’ कार्यक्रम का आयोजन कोरिया के उत्तरी भाग में स्थित गांगवन प्रांत के छुनछन शहर में 15 और 16 मार्च को हुआ। इस वर्ष का होली कई मायनों में अन्य वर्ष से अलग रहा। अब तक ‘होली है’ केवल एक-दिवसीय कार्यक्रम होता था, परंतु इस वर्ष छुनछन शहर के अनुरोध पर इसे दो-दिवसीय कार्यक्रम का स्वरुप दिया गया। इससे पहले कभी होलिका दहन का आयोजन नहीं होता था, लेकिन इस साल होलिका दहन भी हुआ।
पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार 15 मार्च को ‘भारतीय संस्कृति का अनुभव’, ‘भारतीय नृत्य प्रदर्शन’, ‘भारतीय व्यंजन मेला’ तथा ‘होलिका दहन’ होना था, तथा 16 मार्च को ‘कलर काउंटडाउन’ व गुलाल वाली होली के साथ डीजे पार्टी, फेस पेंटिंग तथा अन्य रंगारंग कार्यक्रम होने थे, परंतु मौसम में अचानक आए बदलाव और मौसम विभाग के अनुसार 16 मार्च को बारिश और बर्फबारी की आशंका को देखते हुए 15 और 16 मार्च दोनों दिनों को होली खेलने का निर्णय लिया गया और लोगों से 15 मार्च को भारी संख्या में भाग लेने की अपील की गई।
आशा के अनुरूप 15 मार्च को शुरू हुए ‘होली है’ कार्यक्रम में 1500 के लगभग प्रवासी भारतियों और विदेशियों ने हिस्सा लिया। कोरिया में भारत के उपराजदूत, गांगवन प्रांत के गवर्नर के साथ गांगवन प्रांत पर्यटन विभाग के अधिकारियों के द्वारा मंच से की गई काउंटडाउन से 2025 के ‘होली है’ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। खिली धूप ने लोगों के उत्साह को दोगुना कर दिया और अगले 4 घंटों तक लोगों ने बॉलीवुड के गानों पर थिरकते हुए नाचते-गाते रंग गुलाल में सराबोर होते दूसरों को भी सराबोर करते हुए ख़ूब मौज-मस्ती की। बीच-बीच में मंच से नृत्य में पारंगत भारतीय और कोरियाई लोगों के प्रदर्शन भी सबका मनोरंजन करते रहे। ‘होली है’ के पहले दिन का मौसम होली को भरपूर मस्ती में खेलने जैसा था, शायद यही कारण था कि अधिकांश लोगों ने पहले दिन ही आकर कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
दूसरे दिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार अचानक से मौसम ने करवट बदल ली थी, और सुबह से ही तेज हवाएँ और बारिश के कारण कार्यक्रम अपने निर्धारित समय से दो घंटे विलंब बारिश रुकने के बाद शुरू हुआ। लोगों की संख्या पहले दिन से बहुत कम हो गई थी, परंतु जो भी लोग थे ठंडी हवाओं और अच्छी-खासी ठंड होने के बावजूद पूरे उत्साह से साथ लगभग दो घंटों तक जम कर बॉलीवुड के हिंदी गानों पर गुलाल उड़ाते हुए नाचते-थिरकते रहे। मौसम के मिज़ाज को मद्देनजर देखा जाए तो दूसरे दिन का कार्यक्रम भी उम्मीद से ज्यादा सफ़ल रहा।
इस वर्ष की ‘होली है’ कार्यक्रम की खास बात यह थी कि भारतीय व्यंजन का केवल एक स्टॉल ही नहीं बल्कि दक्षिण भारतीय व्यंजन, पंजाबी व्यंजन, इंडियन डेजर्ट और नेपाली व्यंजन के स्टॉल भी लगे थे। इसलिए लोगों ने केवल रंग-गुलालों का ही नहीं बल्कि नाना प्रकार के भारतीय व्यंजनों का भी भरपूर लुत्फ़ उठाया। साथ ही मेहँदी और फेस पेटिंग के भी स्टॉल लगे थे, जिन पर विदेशियों की लंबी-लंबी कतार लगी रही।
इस तरह से दक्षिण कोरिया में पहली बार आयोजित दो-दिवसीय ‘होली है’ का रंगारंग कार्यक्रम प्रतिभागियों के मन और मस्तिष्क में कई रंगारंग यादों को छोड़ता हुआ संपन्न हुआ।
2025 के होली की कुछ तस्वीरें








संदर्भ: www.holihai.org
आदरणीय सृजन जी द्वारा लिखित आलेख सह रिपोर्ट ‘दक्षिण कोरिया में होली’ पढ़कर अच्छा लगा। मैंने भी सियोल में आयोजित होली उत्सव 2025 में शिरकत की और कमोबेश सृजन जी के अनुभव से अपने आपको जोड़ता हूँ।