‘कस्तूरी’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘किताबें बोलती हैं : सौ लेखक, सौ रचना’ के अंतर्गत कमला दत्त की समग्र कहानियों पर परिचर्चा                

दिनांक 12.4.2025 को ‘कस्तूरी’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘किताबें बोलती हैं : सौ लेखक, सौ रचना’ के अंतर्गत कमला दत्त की समग्र कहानियों पर परिचर्चा हुई। परिचर्चा का आयोजन साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रत्यक्षा जी ने की। इस कार्यक्रम में वक्ता ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता, वंदना वाजपेई रहे। कार्यक्रम में सूत्रधार की भूमिका साहित्य एवं कला अध्येता विशाल पाण्डेय ने निभाई।

वक्ताओं को सम्मानित करने के उपरांत ऋतू वार्ष्णेय गुप्ता ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहानियों को जीवंत, यथार्थपूर्ण, सामाजिक संघर्ष की अभिव्यक्ति कहा। कहानी में वर्णित समान भाव, समानता, नारी मुक्ति, स्त्री बोध, विदेशी संस्कृति और  कथात्मक संवेदना की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कहानी में चेतना को रेखांकित करते हुए कहा “इनकी कहानियों में स्त्री बोध कमाल का है। वे अंत में अन्याय के खिलाफ संघर्ष शुरू कर देती है।” वंदना वाजपेई ने कहानी संग्रह की कहानियों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहानियों में अभिव्यक्त विचार पक्ष को महत्वपूर्ण माना और कहा, “उनकी कहानियों में मूल धुन सुनाई पड़ती है।” लेखिका के कहानियों में तकनीकी, प्रवासी भारतीयों की समस्याएं, स्मृतियों को बखूबी दर्शाया गया है। उन्होंने ‘तीन अधजली मोमबत्तियां’, ‘बायू’ एवं ‘छंटनी’ कहानियों का विश्लेषण करते हुए कहा, “कहानियों में पात्रों के नाम के जगह मैं और तुम का संबोधन है जो कहानी को नयापन देता है।” तीन अधजली मोमबत्तियां कहानी में अमेरिकन नेटिव और इंडियन के साथ हुए शोषण को दर्शाया गया है। “कहानी में घटित घटना यथार्थ में नहीं अतीत में हुई है जिसे पात्र याद कर रहे हैं।” छंटनी कहानी में “पात्रों को जीवन में परिस्थितियों के अनुसार छंटनी करते दिखाया है।”

कहानी की लेखिका कमला दत्त ने विद्वानों का आभार व्यक्त करते हुए अपने साहित्यिक जीवन अनुभव को साझा किया। भेदभाव की समस्या को रेखांकित करते हुए कहा,  “इंडिया की तरह अमेरिका में भी डिस्क्रिमिनेशन की समस्या है, मैंने छोटे स्कूल में पढ़ाया और कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में गई।” उनकी कहानियां भी शोषक और शोषित के मध्य संघर्ष को दर्शाती है। अपनी पहली कहानी ‘मछली सलीब पर टंगी हुई’ के बारे में कहा,” यह कहानी भारती जी को अच्छी लगी और ये पब्लिश हो गई।” अध्यक्षीय भाषण प्रत्यक्षा जी ने दिया। उन्होंने कहानियों पर अपने विचार प्रस्तुत किये, “कहानियों का कैनवास बहुत बड़ा है। कहानी की दुनिया करीब की दुनिया है।” उन्होंने कहानी के शीर्षक, शैली, प्रवासी जीवन एवं साइंटिफिक टेंपरामेंट को सराहा। कहानी के किरदारों को भीतरी मन और बाहरी दुनिया के मध्य पुल बनाने वाला कहा। किरदारों के कलेवर से प्रभावित होकर कहा, “मैं कहानी में वर्णित किरदारों के साथ बैठकर बात करना चाहूँगी।” अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन की प्रक्रिया दिव्या जोशी द्वारा पूर्ण की गई। कार्यक्रम की वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी इंजमाम द्वारा की गई।

रिपोर्ट: डॉ. निक्की राय

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