
दिल्ली में व्यंग्य यात्रा सम्मान समारोह
बड़े पुरस्कार संदिग्ध हो रहे हैं, छोटे पुरस्कारों की प्रतिष्ठा बढ़ रही है — ममता कालिया
धर्मवीर भारती स्मृति सम्मान मेरे लिए ज्ञानपीठ सम्मान से बढ़कर है — बलराम
व्यंग्य यात्रा ने हिंदी व्यंग्य साहित्य को समृद्ध किया है – बालस्वरूप राही
कमल किशोर गोयनका रचनाधर्मी श्रमिक थे — प्रेम जनमेजय
त्यागी जी को देखकर हम उनके जैसा लिखना चाहते थे — हरीश नवल
मुश्किल समय में यह सम्मान मेरे लिए प्रेरक है — पंकज सुबीर
व्यंग्य आलोचना क्षेत्र में यह सम्मान अच्छी पहल है — सुभाष चंदर
मैंने कभी शार्टकट नहीं लिया — अर्चना चतुर्वेदी
भारती जी ही त्यागी जी को साहित्य के क्षेत्र में लाए — इंदु त्यागी
“परिस्थितियां ऐसी उत्पन्न की जा रही हैं जो हमें लगातार व्यंग्य की ओर ढकेल रही हैं। पूरा साम्राज्य अंधेरे और अंधेरे के बीच का है। अंधेरा घिरता जा रहा है। ऐसे अंधेरे में व्यंग्य टॉर्च का काम करता है।आजकल बड़े सम्मान घोषित होते ही बुराई और तमाम लफड़े और हेट कंपेन शुरू हो जाती है। ऐसे समय में बड़े पुरस्कार संदिग्ध हो रहे हैं, छोटे पुरस्कारों की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। ये एक लेखक, प्रेम जनमेजय, द्वारा आयोजित एक लेखक, रवीन्द्रनाथ त्यागी, की स्मृति में आयोजित किया जाने वाला सम्मान समारोह है।” ये कथन ममता कालिया का है जो उन्होंने व्यंग्य यात्रा सम्मान समारोह के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में कहीं। उन्होंने प्रेम जनमेजय की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज ऐसे समय में वे पूरे दम-ख़म से पत्रिका निकाल रहे हैं। समय और समाज की स्थितियां ऐसी हो गयी हैं कि एक किताब तो क्या एक ग्रीटिंग कार्ड तक छापना मुश्किल हो गया है।

इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष बाल स्वरूप राही ने धर्मवीर भारती जी से जुड़ी यादों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह भारती जी ने उनकी कविता की तारीफ़ की और उनको कवि के रूप में स्थापित होने में सहयोग दिया। इस मौके पर उन्होंने प्रेम जनमेजय द्वारा व्यंग्य यात्रा के माध्यम से व्यंग्य और हिंदी साहित्य को समृद्ध करने के काम की प्रशंसा की। उन्होंने अपने ज्ञानपीठ और साप्ताहिक हिंदुस्तान के दिनों को भी याद किया।
इससे पूर्व, आरंभ में प्रेम जनमेजय ने प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्रद्धेय कमल किशोर गोयनका जी को श्रद्धांजलि स्वरूप शब्द पुष्प अर्पित किए।
सम्मान समारोह में रवींद्र नाथ स्मृति शीर्ष सम्मान से हरीश नवल को, सोपान सम्मान से पंकज सुबीर की सम्मानित किया गया। धर्मवीर भारती जन्मशती के अवसर पर,पुष्पा भारती के परामर्श से आरंभ धर्मवीर स्मृति सम्मान से कथाकार बलराम को, व्यंग्य चिंतक सम्मान से सुभाष चंदर और शारदा त्यागी स्मृति सम्मान से अर्चना चतुर्वेदी को सम्मानित किया गया। सभी सम्मानितों ने अपने संक्षिप्त वक्तव्यों में त्यागी जी और धर्मवीर भारती को याद किया और कार्यक्रम के गुणवत्तापूर्ण आयोजन की प्रशंसा की।
इसके उपरांत 21वें वर्ष में प्रवेश किए व्यंग्य यात्रा के विशेष अंक का लोकार्पण हुआ। व्यंग्य यात्रा के इस 81 वें संयुक्त अंक में पिछले बीस वर्षों में प्रकाशित सभी अंकों के कवर पेज और बीते समय और आज के भी प्रमुख लेखकों के व्यंग्य यात्रा के बारे में विचार-सार मौजूद हैं। साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित व्यंग्य यात्रा शिविरों तथा विगत वर्षों में दिए गए रवीन्द्रनाथ त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा सम्मान की रपट भी शामिल है।

व्यंग्य यात्रा से जुड़ी यादों को साझा करते हुए अपने आरंभिक वक्तव्य में डॉ प्रेम जनमेजय ने बताया कि जब उन्होंने व्यंग्य यात्रा की शुरुआत की थी तब उनके किसी लेखक मित्र ने उनसे मज़े लेते हुए कहा था कि तुम्हारी लेखन की नाव रेत में फँस गयी। श्री जनमेजय ने व्यंग्य यात्रा के यूट्यूब संस्करण निकालने और बंद करने का भी उल्लेख किया।
रवींद्रनाथ त्यागी जी की बेटी श्रीमती इंदु त्यागी ने अपने स्वागत उद्बोधन में रवींद्रनाथ त्यागी जी और धर्मवीर भारती जी से जुड़ी स्मृतियाँ साझा करते अपने उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारती जी और त्यागी जी को एक साथ यहाँ देखकर बहुत ख़ुशी हुई। भारती जी त्यागी जी से छह साल बड़े थे। भारती जी ही त्यागी जी को साहित्य के क्षेत्र में लाए। उनको परिमल का सदस्य बनवाया। इंदु त्यागी जी ने रवींद्रनाथ त्यागी जी के लेखन के कुछ पंचलाइने भी सुनाई।
इसके बाद सम्मान प्रदान किए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई।
सबसे पहले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ हरीश नवल को ‘रवींद्रनाथ त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा शीर्ष सम्मान’ प्रदान किया गया। प्रशस्ति पत्र प्रदान किया बालस्वरूप राही और प्रेम जनमेजय ने तो स्मृति चिह्न ममता कालिया जी के हाथों दिया गया। सम्मान राशि के रूप में इकतीस हजार रुपए का लिफाफा अशोक त्यागी जी ने दिया। डॉ संजीव कुमार और अनूप शुक्ल ने अंगवस्त्र और शॉल से हरीश नवल जी का स्वागत किया। प्रशस्ति पत्र वाचन किया डॉ स्वाति चौधरी ने। बुकमार्क सुबोध कुमार ने दिया।
इसके बाद ‘रवींद्रनाथ त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा सोपान सम्मान’ प्रदान किया गया लोकप्रिय युवा साहित्यकार पंकज सुबीर को। प्रशस्ति पत्र प्रदान किया बालस्वरूप राही और प्रेम जनमेजय ने तो स्मृति चिह्न ममता कालिया जी के हाथों दिया गया। सम्मान राशि के रूप में पंद्रह हजार रुपए का लिफाफा इंदु त्यागी जी ने दिया। वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित रवीन्द्रनाथ त्यागी रचनावली अरुण महेश्वरी द्वारा भेंट की गई। प्रशस्ति पत्र वाचन किया प्रियंका सैनी ने और वरिष्ठ साहित्यकार गीता श्री ने अंगवस्त्र और शॉल से पंकज सुबीर का स्वागत किया। बुकमार्क युवा आलोचक एम एम चंद्रा ने दिया।

वरिष्ठ कथाकार बलराम को ‘धर्मवीर भारती स्मृति व्यंग्य यात्रा सम्मान’ प्रदान किया गया। प्रशस्ति पत्र बालस्वरूप राही और प्रेम जनमेजय ने दिया तो स्मृति चिह्न ममता कालिया जी के हाथों दिया गया। सम्मान राशि के रूप में पंद्रह हजार रुपए का लिफाफा प्रेम जनमेजय जी ने दिया। वरिष्ठ साहित्यकार प्रताप सहगल और अनिल जोशी ने अंगवस्त्र और शॉल से बलराम जी का स्वागत किया। अंशु कुमार चौधरी ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। बुकमार्क साहित्य सेवी राज कुमार गौतम ने दिया।
‘व्यंग्य यात्रा व्यंग्य चिंतक सम्मान’ वरिष्ठ व्यंग्यकार सुभाष चंदर को प्रदान किया गया। प्रशस्ति पत्र बालस्वरूप राही और प्रेम जनमेजय ने दिया तो स्मृति चिह्न ममता कालिया जी के हाथों दिया गया। सम्मान राशि के रूप में पंद्रह हजार रुपए का लिफाफा प्रेम जनमेजय जी ने दिया। वरिष्ठ व्यंग्यकार राजेन्द्र सहगल और रामकिशोर उपाध्याय ने अंगवस्त्र और शॉल से सुभाष चंदर जी का स्वागत किया एवं रेणुका अस्थाना ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। बुकमार्क भावना प्रकाशन के नीरज मित्तल ने दिया।

लोकप्रिय व्यंग्यकार अर्चना चतुर्वेदी को ‘शारदा त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा सम्मान’ प्रदान किया गया। उन्हें प्रशस्ति पत्र बालस्वरूप राही और प्रेम जनमेजय ने दिया तो स्मृति चिह्न ममता कालिया जी के हाथों दिया गया। सम्मान राशि के रूप में पंद्रह हजार रुपए का लिफाफा अशोक त्यागी जी ने दिया। अंगवस्त्र प्रियंका सैनी ने, शॉल डॉ स्वाति चौधरी ने और बुकमार्क रेणुका अस्थाना ने दिया। डॉ उपासना दीक्षित ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया।
सम्मान प्रदान किए जाने के उपरांत वक्तव्य की बारी थी। शारदा त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा सम्मान से सम्मानित अर्चना चतुर्वदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेम जनमेजय सर ने शूरुआत में ही कहा था कि लेखन में कभी शार्टकट मत लेना और मैं आज तक उनके बताए रास्ते पर ही चल रही हूँ। मैंने कभी शार्टकट नहीं लिया। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कार्यक्रम के दौरान सभागार भरा हुआ था और लोग अंत तक बैठे रहे।
रवीन्द्रनाथ त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा सोपान सम्मान से सम्मानित पंकज सुबीर ने कहा कि हाल ही में पिता के न रहने पर उनका इस कार्यक्रम में आना मुश्किल लग रहा था लेकिन लोगों ने प्रेरणा दी कि इस इनाम से तुम्हारे पिता जी खुश होते इसलिए तुम्हें जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने यह सोचकर भी कार्यक्रम में आना तय किया कि यह सम्मान रवीन्द्रनाथ त्यागी जी के परिवार से जुड़े लोगों ने अपने पिता की स्मृति में दिया है, इसलिए मुझे जाना चाहिए। श्री पंकज ने वाणी प्रकाशन के अरुण महेश्वरी का इस बात के लिए आभार व्यक्त किया कि उनको रवीन्द्रनाथ त्यागी रचनावली भेंट की।

व्यंग्य यात्रा व्यंग्य चिंतक सम्मान से सम्मानित सुभाष चंदर जी ने खुशी जताते हुए कहा कि मुझे व्यंग्य लेखन के लिए अनेक सम्मान मिले लेकिन आलोचना के लिए यह पहला सम्मान मिला है। इसके लिए उन्होंने व्यंग्य यात्रा की टीम के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने रवींद्रनाथ त्यागी जी से अपने संबंधों और उनसे जुड़ी यादों को भी साझा किया।
धर्मवीर भारती स्मृति व्यंग्य यात्रा सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ कथाकार बलराम ने धर्मवीर भारती जी से जुड़ी यादों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह भारती जी ने उनको शुरुआती दौर में लिखने के लिए उत्साहित किया था और उनकी प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा कि एम ए की पढ़ाई के दौरान भारती जी ने सारिका में छपी मेरी कहानी को पढ़कर उनको पत्र लिखकर उनसे धर्मयुग के लिए ग्रामीण जीवन पर आधारित कहानी माँगी और प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि भारती जी की स्मृति में गठित सम्मान प्राप्त कर उन्हें बहुत खुशी हो रही है।

रवीन्द्रनाथ त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा शीर्ष सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार व्यंग्यकार डॉ हरीश नवल जी ने त्यागी जी से जुड़ी तमाम यादों को साझा करते हुए बताया कि उनके लेखन से हम बहुत प्रभावित हुए। उनको देखकर हम उनके जैसा लिखना चाहते थे। उन्होंने कहा कि त्यागी जी के लेखन को देखकर लगता है कि हमको हर विधा की जानकारी होनी चाहिए। जितनी अधिक जानकारी होगी उतना अच्छा लेखन होगा। उन्होंने त्यागी जी से अपनी पहली मुलाकात का भी उल्लेख किया और अपने पहले व्यंग्य संग्रह ‘बागपत के ख़रबूज़े’ भेंट करने के संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने अपने और प्रेम जनमेजय जी के साथ की रोचक यादें भी साझा की।

इस मौके पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने रवीन्द्रनाथ त्यागी और धर्मवीर भारती दोनों से जुड़ी यादों को जीवंत करने के लिए इंदु त्यागी जी की प्रशंसा की। उन्होंने त्यागी जी से जुड़ी अपनी यादों को भी साझा किया। ममता कालिया जी ने व्यंग्य यात्रा सम्मान को इस अर्थ में ख़ास बताया कि इसमें एक लेखक दूसरे लेखक को सम्मानित कर रहा है। डॉ प्रेम जनमेजय की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज ऐसे समय में वे पूरे दम-ख़म से पत्रिका निकाल रहे हैं। समय और समाज की स्थितियां ऐसी हो गयी हैं कि एक किताब तो क्या एक ग्रीटिंग कार्ड तक छापना मुश्किल हो गया है, पत्रिकाओं का डिस्पैच का खर्चा इतना बढ़ गया है कि छपी हुई पत्रिका भी भेजना मुश्किल है। व्यंग्य की बात करते हुए उन्होंने कहा कि व्यंग्य हमें अपनी बातों को कहने का अवसर प्रदान करता है।

ममता जी ने आज के समय में बड़े संस्थानों से जुड़े सम्मानों के झमेलों का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके मिलने के बाद बुराई और तमाम लफड़े और हेट कंपेन शुरू हो जाती है। ऐसे समय में छोटे सम्मान प्रतिष्ठित हो रहे हैं।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में वरिष्ठ कवि और गीतकार बालस्वरूप राही जी ने धर्मवीर भारती जी से जुड़ी यादों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह भारती जी ने उनकी कविता की तारीफ़ की और उनको कवि के रूप में स्थापित होने में सहयोग दिया। इस मौके पर उन्होंने प्रेम जनमेजय द्वारा व्यंग्य यात्रा के माध्यम से व्यंग्य और हिंदी साहित्य को समृद्ध करने के काम की प्रशंसा की। उन्होंने अपने ज्ञानपीठ और साप्ताहिक हिंदुस्तान के दिनों को भी याद किया। इस अवसर पर उन्होंने सभी सम्मानित साहित्यकारों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम का सुंदर संचालन रणविजय राव ने किया। इस अवसर पर उन्होंने रवीन्द्रनाथ त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा सम्मान, शारदा त्यागी स्मृति व्यंग्य यात्रा सम्मान, धर्मवीर भारती स्मृति व्यंग्य यात्रा सम्मान और व्यंग्य यात्रा व्यंग्य चिंतक सम्मानों से अब तक सम्मानित सभी साहित्यकारों का भी उल्लेख किया।

सोनी लक्ष्मी राव ने सभी विशिष्ट अतिथियों और सभी सम्मान प्राप्तकर्ताओं का तिलक लगाकर स्वागत किया।
धन्यवाद ज्ञापित किया वरिष्ठ साहित्यकार डॉ संजीव कुमार ने। उन्होंने विशिष्ट अतिथियों, सभी सम्मानित साहित्यकारों और सभा में उपस्थित सभी विद्वत जनों तथा साहित्य प्रेमियों के प्रति आभार प्रकट किया। डॉ संजीव ने आयोजन समिति के सदस्यों डॉ स्वाति चौधरी, सोनी लक्ष्मी राव, रेणुका अस्थाना, अंशु कुमार चौधरी, प्रियंका सैनी, उपासना दीक्षित और उमेश पांडेय के विशेष सहयोग के लिए भी उनके प्रति आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम में मधुरिमा कोहली, अनिल जोशी, स्नेह सुधा नवल, शशि सहगल, राकेश पांडेय, सुभाष नीरव, देवेंद्र भारद्वाज, कामिनी मिश्रा, मनोरमा कुमार, राजीव तनेजा, शहरयार, रोहित सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, साहित्य बड़ी संख्या में साहित्यकार, साहित्य प्रेमी और पत्रकार उपस्थित थे।
कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा।
रपट प्रस्तुति — रणविजय राव