
- पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने किया सम्मानित।
- डॉ निशंक ने जर्मनी की शिक्षाविद एवं साहित्यकार डॉ शिप्रा शिल्पी को किया लेखक गांव की अंतररार्ष्ट्रीय संयोजिका घोषित किया।
लेखक गांव, देहरादून
देहरादून के थानों गांव में स्थित साहित्य, कला, दर्शन, योग, विज्ञान, प्राकृतिक चिकित्सा एवं संस्कृति को संरक्षित एवं प्रसारित, प्रचारित करने वाले लेखक गांव में जर्मनी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार, शिक्षाविद एवं पत्रकार डॉ शिप्रा शिल्पी एवं जर्मनी के इंजीनियर रवि सक्सेना को पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा “लेखक गांव सृजन सम्मान “से सम्मानित किया गया।
डॉ शिप्रा जर्मनी में रहते हुए अपनी संस्था वैश्विक हिंदीशाला संस्थान एवं सृजनी ग्लोबल के माध्यम से साठ से अधिक देशों में भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य एवं हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार कर रही है। डॉ निशंक ने अपने वक्तव्य में कहा डॉ शिप्रा यूरोप एवं भारत के मध्य भाषा, साहित्य एवं संस्कृतियों के आदान प्रदान का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। वो प्रारंभ से ही लेखक गांव की संकल्पना से जुड़ी है एवं वैश्विक स्तर पर लेखक गांव के उद्देश्य एवं महत्व को जन जन तक पहुंचाने का निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा यह सम्मान लेखक गांव के प्रति उनके समर्पण एवं हिंदी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में उनकी निष्ठा, लगन एवं सकारात्मक सृजनात्मकता के लिए देते हुए हम गौरवान्वित है।

डॉ निशंक ने लेखक गांव की संकल्पना को स्पष्ट करते हुए कहा लेखक गांव मात्र लेखन को प्रेरित करने का प्लेटफॉर्म नहीं वरन व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए अनुकूल परिवेश भी देता है। यहां प्रकृति के संसर्ग में आप योग, दर्शन, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, अध्यात्म, विज्ञान आदि अनेक विषयों से जुड़ सकते है। साथ ही स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय, नालंदा पुस्तकालय, हिमालय विरासत ट्रस्ट की सहायता से आप अपने ज्ञान का वर्धन एवं प्रसार भी कर सकते है। डिजिटल युग में हमने हर नक्षत्र से संबंधित पेड़ को एक बार कोड के साथ लगवाया है, जिसे स्कैन करते ही आप उस पेड़ एवं उससे जुड़े नक्षत्र के पूरे इतिहास को सुन सकते है। छात्रों के लिए ये जितना रोचक है उतना ही ज्ञान वर्धक भी। ऐसे में डॉ शिप्रा जैसी विदुषी, ऊर्जावान एवं कर्मठ युवाओं के साथ मिलकर काम करना लेखक गांव को नई ऊंचाइयां देगा ऐसा मेरा विश्वास है।

डॉ शिप्रा ने अपने वक्तव्य में माननीय डॉ निशंक जी के स्नेहिल निमंत्रण का आभार व्यक्त करते हुए कहा, डॉ निशंक जितने सौम्य,सरल, प्रबुद्ध साहित्यकार एवं राजनेता है उतने ही दूरदर्शी भी। वे जानते है जो जड़ों से, अपनी मिट्टी से जुड़ा रहता है।वो ही पनपता है। ऐसे में लेखक गांव की स्थापना अपने देश एवं अपनी मिट्टी की खुशबू, उसकी उपादेयता उसके महत्व एवं उसके संस्कारों से जुड़ा रहना है। “संकल्प सभी लेते है किंतु उसे साकार रूप देने वाले कर्मयोगी होते है डॉ निशंक सच्चे कर्मयोगी है”। आज संपूर्ण विश्व में भारत के योग, साहित्य, आयुर्वेद, कला एवं संस्कृति के महत्व को स्वीकारा जा रहा है, ऐसे में लेखक गांव का महत्व और उसकी भूमिका भी बढ़ जाती है। माननीय डॉ निशंक जी ने लेखक गांव की स्थापना करके मात्र लेखकों को ही आसमान नहीं दिया है वरन वैश्विक संस्कृतियों को विज्ञान, कला, साहित्य आदि अनेक क्षेत्रों से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। मेरी कोशिश रहेगी इंडो जर्मन संस्कृतियों एवं भाषा का समागम लेखक गांव के माध्यम से होता रहे।


कार्यक्रम का प्रारंभ प्रांगण के मध्य में स्थित माननीय अटल बिहारी बाजपेई जी की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पण करके किया गया। इस अवसर पर स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के परास्नातक योग के छात्रों द्वारा योग मुद्राओं के प्रदर्शन किया गया। नर्सिंग के छात्रों से डॉ निशंक एवं डॉ शिप्रा ने वार्ता की। साथ ही नव निर्मित नालंदा पुस्तकालय का भी अवलोकन किया।
कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ बेचैन कंडियाल ने अपने रोचक अंदाज में किया। सुश्री विदुषी निशंक, (डायरेक्टर, लेखक गांव ) ने डॉ शिप्रा एवं सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए लेखक गांव की वर्तमान एवं आगामी योजनाओं के विषय में बताया।

इस अवसर पर उत्तराखंड के अति गणमान्य राज्यमंत्री, सांसद, शिक्षाविद, पत्रकार, साहित्यकार, समाज सेवी एवं स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों की भी उपस्थिति रही। लखनऊ से आई भारतीय सेना में मेजर श्रेयसी निशंक की भी उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और भी बढ़ाया। सभी ने डॉ शिप्रा एवं श्री रवि सक्सेना का स्वागत फूलों से किया।
कार्यक्रम के अंत में हिमालय विरासत ट्रस्ट की निदेशक सुश्री आशना कंडियाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।
अंत में सभी गणमान्य अतिथियों की उपस्थित में डॉ शिप्रा शिल्पी ने प्रांगण में रुद्राक्ष के पेड़ को रोपित किया एवं नक्षत्र शाला एवं संजीवनी वाटिका का अवलोकन किया एवं लेखक गांव के आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक उत्पादों का आनंद लिया।
