
राजभाषा विभाग की स्वर्ण जयंती एवं हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में केंद्रीय हिंदी संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा तथा भारतीय भाषा मंच के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा दिनांक 28 सितम्बर 2025 को एक सर्वभारतीय निःशुल्क ऑनलाइन हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस आयोजन का मूल उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रति युवा पीढ़ी में अनुराग, ज्ञानविस्तार एवं भाषिक कौशल को प्रोत्साहित करना था। प्रतियोगिता विशेष रूप से देश के हिंदीतर राज्यों के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत 18 से 25 वर्ष आयु वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आयोजित की गई। पंजीकरण की अंतिम तिथि 25 सितम्बर 2025 निर्धारित की गई थी तथा परीक्षा के संचालन के लिए एकीकृत वेब-प्लेटफ़ॉर्म वैश्विक हिंदी परिवार के आधिकारिक वेबसाईट के माध्यम से देश के कोने-कोने से प्रतिभागियों को सम्मिलित होने का अवसर प्रदान किया गया।
इस आयोजन के निर्देशक मंडल में ‘वैश्विक हिंदी परिवार’ के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी के साथ-साथ प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी (निदेशक, ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान’, आगरा), डॉ. मंजुनाथ एन. अंबिग (मुख्य कुलसचिव, ‘दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा’) तथा श्री राजेश्वर पराशर (राष्ट्रीय संयोजक, ‘भारतीय भाषा मंच’) की गरिमामयी उपस्थिति एवं मार्गदर्शन रहा।
इस अखिल भारतीय स्तर के आयोजन की रूपरेखा एक सशक्त एवं सुव्यवस्थित संयोजक मंडल द्वारा निर्मित की गई थी। प्रमुख संयोजक श्री अनिल जोशी (अध्यक्ष, वैश्विक हिंदी परिवार) के मार्गदर्शन में तथा मुख्य प्रतियोगिता संयोजक प्रोफेसर सोमा बंधोपाध्याय (कुलपति, वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ टीचर्स एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन) के नेतृत्व में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय स्थापित किया गया। तकनीकी संपादक के रूप में श्री मनीष पाण्डेय ने नीदरलैण्ड्स से संपूर्ण तकनीकी संचालन, प्रश्नोत्तरी मंच के निर्माण, पंजीकरण, मूल्यांकन एवं आँकड़ा संकलन का दायित्व संभाला। तकनीकी सहयोग में उड़ीसा प्रांत टीम के श्री उमेश कुमार प्रजापति ‘अलख’ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयोजन की समन्वयक सुश्री नर्मदा कुमारी द्वारा प्रत्येक दिवस प्रतियोगिता संबंधी बैठकों के आयोजन से लेकर समस्त प्रक्रिया के क्रियान्वयन एवं प्रांत प्रतिनिधियों के साथ समन्वयन तक सभी गतिविधियों का सफलतापूर्वक संचालन किया गया, जबकि सह-समन्वयक के रूप में डॉ. सुरेश कुमार मिश्र ‘उरतृप्त’ एवं श्री उमेश कुमार प्रजापति ‘अलख’ सक्रिय रूप से संलग्न रहें।
विभिन्न हिंदीतर राज्यों में प्रांतीय संयोजकों ने इस आयोजन को जन-जन तक पहुँचाने में सेतु की भूमिका निभाई। गुजरात में श्री दीपेन्द्र पी. जड़ेजा, महाराष्ट्र में सुश्री स्वरांगी साने, तेलंगाना में संयोजक डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव, उड़ीसा में डॉ. धारित्री, केरल में डॉ. के. सी. अजय कुमार, पंजाब में डॉ. किरण खन्ना, पश्चिम बंगाल में प्रो. (डॉ.) सोमा बंद्योपाध्याय, तमिलनाडु में डॉ. ए. भवानी, कर्नाटक में डॉ. मैथिली पी. राव तथा काश्मीर में डॉ. मुद्दस्सिर अहमद भट्ट, उत्तर-पूर्व के अन्य राज्यों में डॉ. गुम्पी डूसो लोम्बि ने सक्रिय संयोजन का कार्य किया। इन सभी संयोजकों की प्रतिबद्धता एवं सतत संवाद के कारण प्रतियोगिता की पहुँच हिंदीतर राज्यों के अनेक विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों तक सशक्त रूप से विस्तृत हुई।
प्रतियोगिता में कुल 5097 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 2356 विद्यार्थियों ने निर्धारित समयावधि में प्रश्नोत्तरी पूर्ण की। पश्चिम बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र राज्यों ने सर्वाधिक पंजीकरण एवं सहभागिता में अग्रणी भूमिका निभाई। पश्चिम बंगाल से सर्वाधिक 1339 विद्यार्थियों का पंजीकरण हुआ जिसके कारण यह राज्य पंजीकरण एवं परीक्षार्थियों की संख्या में प्रथम स्थान पर रहा। महाराष्ट्र से 910 और उड़ीसा से 837 विद्यार्थियों की प्रतिभागिता रही। कर्नाटक, तेलंगाना और पंजाब जैसे राज्यों ने भी उल्लेखनीय सहभागिता दर्ज किया।
इस प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता की विशिष्टता केवल इसके तकनीकी संचालन या व्यापक सहभागिता में ही नहीं, बल्कि इसके प्रश्न-सामग्री की सांस्कृतिक गहराई में भी निहित थी। प्रतिभागियों को पूर्व में 300 प्रश्नों का एक सुविचारित प्रश्न बैंक उपलब्ध कराया गया था, जिसका निर्माण भारतीय जीवन की विविधता और हिंदी भाषा के सांस्कृतिक-साहित्यिक संदर्भों को ध्यान में रखते हुए किया गया था। इन प्रश्नों में भारत की प्राचीन एवं आधुनिक सांस्कृतिक विरासत, प्रमुख साहित्यिक व्यक्तित्वों, हिंदी के विकास-क्रम, भारतीय भाषाओं की सामासिक प्रवृत्तियों, लोक परंपराओं, महत्त्वपूर्ण ग्रंथों, भाषिक संपर्कों तथा हिंदी के अखिल भारतीय स्वरूप से संबंधित पहलुओं को समाहित किया गया था। प्रश्न केवल तथ्यात्मक नहीं थे, बल्कि वे विद्यार्थियों को हिंदी और भारतीय संस्कृति के अंतर्संबंधों को समझने की दिशा में प्रेरित करते थे। इस प्रकार यह प्रतियोगिता महज़ एक भाषिक परीक्षा न रहकर, हिंदी के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक-साहित्यिक चेतना के पुनर्स्मरण और प्रसार का माध्यम बन गई। इसी कारण इसे एक “तकनीकी-सांस्कृतिक अभियान” की संज्ञा दी जा सकती है।
परीक्षा परिणामों में कुल 110 प्रतिभागियों ने पूर्णांक (50/50) प्राप्त कर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 49 से 45 अंकों के वर्ग में 733 प्रतिभागी, 44 से 40 के वर्ग में 651 एवं अन्य अंक वर्ग में भी अच्छी संख्या में प्रतिभागी रहे। पश्चिम बंगाल राज्य ने परीक्षा में सम्मिलित होने और उच्च अंक प्राप्त करने की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जबकि ओडिशा एवं महाराष्ट्र ने भी सशक्त उपस्थिति दर्ज की।
प्रतियोगिता के सफल संचालन में सभी राज्यों एवं विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करने हेतु विशेष रूप से सक्रिय भूमिका वैश्विक हिंदी परिवार के मानद निदेशक विनयशील चतुर्वेदी, हिंदीतर संयोजक उमेश कुमार प्रजापति ‘अलख’, तथा कार्यालय प्रभारी डॉ. नवीन नीरज ने निभाई।
इस प्रकार यह निःशुल्क ऑनलाइन हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता अपने स्वरूप, विषयवस्तु और तकनीकी निपुणता के कारण एक ऐतिहासिक एवं प्रेरणादायक आयोजन सिद्ध हुई। विभिन्न हिंदीतर प्रांतों से हजारों विद्यार्थियों की सहभागिता ने हिंदी भाषा के प्रति नवचेतना, सांस्कृतिक एकता और अकादमिक सक्रियता को सशक्त किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी संचालन, राष्ट्रीय स्तर पर प्रांतीय संयोजक मंडलों का समन्वित सहयोग तथा विद्यार्थियों के उत्साह ने इस आयोजन को सफलता के उच्च शिखर पर पहुँचाया। आगामी वर्षों में इस प्रकार की प्रतियोगिताओं को न केवल अखिल भारतीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी आयोजित किया जाएगा, ताकि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और भारतीय सांस्कृतिक चेतना के विस्तार को और अधिक गति दी जा सके। वैश्विक हिंदी परिवार ने इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया कि हिंदी का प्रचार-प्रसार अब केवल पारंपरिक माध्यमों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह तकनीक, संस्कृति और शैक्षणिक नवाचारों के माध्यम से नई दिशाओं में अग्रसर होगा।
-डॉ. प्रतीक सिंह
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