
बाल पुस्तक: ‘नानी की अटारी से कविता की पिटारी’
-ओमप्रकाश प्रजापति (मुख्य सम्पादक- ट्रू मीडिया)
बचपन कल्पना का संसार है, रंगों, धुनों, बातों और भावनाओं से भरा हुआ। इस संसार में बाल साहित्य वह झरोखा है जो बच्चों को सोचने, समझने, अनुभव करने और आत्म-प्रकाशन की राह पर प्रेरित करता है। इसी श्रेणी में वरिष्ठ शिक्षिका और सृजनशील साहित्यकार डॉ. अपर्णा थपलियाल ‘रानू’ की रंगीन बाल कविता पुस्तक ‘नानी की अटारी से कविता की पिटारी’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यह पुस्तक न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि बच्चों के भाव- जगत को संवेदनशीलता, संस्कार और सृजनात्मकता से भी भर देती है। डॉ. अपर्णा थपलियाल एक समर्पित शिक्षिका, साहित्यप्रेमी और बाल मन की गहरी समझ रखने वाली सृजनधर्मी व्यक्तित्व हैं।
केन्द्रीय विद्यालय संगठन में अपने सेवाकाल के दौरान उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों में रचनात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किए। आप की उत्कृष्ट सेवाओं को देखते हुए उन्हें “संभागीय प्रोत्साहन पुरस्कार – 2019” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनकी शिक्षकीय दक्षता और नवाचारों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। ‘नानी की अटारी से कविता की पिटारी’, यह शीर्षक स्वयं में एक नॉस्टेल्जिया और अपनापन लिए हुए है। भारतीय परिवारों में नानी की अटारी एक स्मृतिगंधी जगह है, जहाँ बचपन की कहानियाँ, खिलौने, कपड़े और मिठाइयाँ सहेजे जाते हैं। लेखिका ने इसी अटारी से कल्पनाओं की पिटारी खोली है, जिसमें बच्चों के लिए कोमल, सरस और संस्कारपरक कविताएँ संग्रहीत हैं।
पुस्तक में संकलित कविताएँ विषय और शैली दोनों दृष्टियों से विविधतापूर्ण हैं। इसमें बच्चों की दैनिक जीवन से जुड़ी घटनाओं, पारिवारिक रिश्तों, त्योहारों, पशु-पक्षियों, विद्यालयी अनुभवों और प्रकृति को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। कविताओं की भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और बालमन के अनुरूप है। कहीं हास्य है, कहीं ममता की मिठास, तो कहीं ज्ञान का बीज। लय और छंद की माधुर्यता बच्चों को कविता के साथ सहज रूप से जोड़ती है। लेखिका ने घरेलू, संस्कारित शब्दों और संवादात्मक शैली का प्रयोग करके कविता को बच्चों के मन के करीब ला दिया है। यह पुस्तक चित्रमय और रंगीन है, जो बच्चों को दृश्य अनुभव प्रदान करती है। हर कविता के साथ बने आकर्षक चित्र बालकों को कल्पनाओं की उड़ान भरने के लिए प्रेरित करते हैं। दृश्य और पाठ्य सामग्री का यह समन्वय पुस्तक को अधिक जीवंत और रोचक बनाता है। कविताओं के माध्यम से बच्चों को सद्गुणों, नैतिक मूल्यों, प्रकृति-प्रेम, सह-अस्तित्व, करुणा और परिवार के महत्व की शिक्षा दी गई है, और वो भी बिना बोझिल उपदेश के। यह एक सफल बाल साहित्य की पहचान है, जो सिखाते हुए भी स्नेह से जुड़ा रहे। यह पुस्तक शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी एक उपयोगी संसाधन है। कक्षा में कविता पठन, भाषाई गतिविधियाँ, भावानुभूति विकास, नैतिक चर्चाएँ तथा कल्पनाशील लेखन जैसी गतिविधियों के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। साथ ही यह बच्चों को पठन के प्रति रुचि विकसित करने में सहायक है।
‘नानी की अटारी से कविता की पिटारी’ एक ऐसी बाल कविता पुस्तक है जो बचपन की सरलता, मिठास और कल्पनाशीलता को संजोए हुए है। डॉ. अपर्णा थपलियाल की लेखनी में गहराई, संवेदना और सहजता का अद्भुत समन्वय है, जो इस पुस्तक को बाल साहित्य के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है। यह पुस्तक न केवल बालकों के लिए, बल्कि शिक्षकों, अभिभावकों और साहित्यप्रेमियों के लिए भी संग्रहणीय है। यह पुस्तक विद्यालयों की लाइब्रेरी, बाल मंचों और पारिवारिक पुस्तकालयों का अनिवार्य हिस्सा होनी चाहिए। यह बच्चों को कविता से जोड़ने का, उन्हें संस्कार देने का और साहित्यिक संस्कारों से सजाने का एक सुंदर माध्यम है। मेरी ओर से डॉ. अपर्णा थपलियाल जी को आकाश भर शुभकामनायें।