डिजिटल हिन्दी की यात्रा

भूमंडलीकरण ने हमारे सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन के साथ-साथ भारतीय भाषाओं को भी काफी प्रभावित किया है। आज के यांत्रिक युग में भाषा का प्रयोग केवल बोलचाल या अभिव्यक्ति स्तर पर ही नहीं किया जा रहा है बल्कि उसके प्रयोजन मूलक पक्ष पर भी गंभीरता से चर्चा की जा रही है। विगत कुछ वर्षों से कंप्युटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी ने मानव जीवन के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस क्षेत्र में कामकाज के रूप में अंग्रेजी का वर्चस्व रहा है लेकिन वर्तमान वास्तविकता यह है कि अब हिन्दी भाषा ने भी इस क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की है।

आज कामकाज में ही नहीं बल्कि शिक्षा प्रणाली में भी डिजिटलाजेशन का महत्व बढ़ रह है। इसमें जो भाषा अपने आपको स्थापित करेगी, उसका भविष्य निश्चित रूप से मजबूत हो सकता है। हिन्दी भाषा में वह सभी क्षमताएं है कि वह इस क्षेत्र में मजबूती के साथ स्थापित हो सकती है। इस क्षेत्र में हिन्दी के विकास की कई संभावनाएं भी है। वर्तमान में विभिन्न डिजिटल पटलों पर हिन्दी का प्रयोग हो रहा है। विभिन्न हिन्दी सॉफ्टवेयर बने हैं। इंटरनेट और कंप्यूटर में हिन्दी के अनुप्रयोग हो रहे हैं। इस क्षेत्र के महत्व को देखते हुए तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञ भी भाषिक अनुप्रयोगों के दृष्टि से उत्साहित रहे हैं। इन विषयों पर विभिन्न शोधपरक लेखन भी किया जा रहा है और विभिन्न अध्ययन पूर्ण किताबें भी लिखी जा रही है जो भाषा के अध्ययन कर्ताओं का मार्गदर्शन कर रही है। इन किताबों में ‘डिजिटल हिन्दी की यात्रा’ एक अध्ययन पूर्ण किताब है। हिन्दी लेखक एवं अनुवादक विजय नगरकर द्वारा लिखित इस किताब में उनके द्वारा समय- समय पर लिखित विभिन्न लेखों का संकलन है जो हमें हिन्दी भाषा के तकनीकी पक्ष से रूबरू कराते हैं।

विजय नगरकर जी का तकनीकी हिन्दी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे महाराष्ट्र के अहिल्यानगर शहर स्थित केंद्र सरकार की नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सचिव के रूप में कार्य करते हुए बीएसएनएल अहिल्यानगर  से राजभाषा अधिकारी पद पर सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके द्वारा लिखित किताब ‘डिजिटल हिन्दी की यात्रा’ को 2022-23 के लिए महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया है जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कुल 27 लेखों में विभाजित इस पुस्तक में लेखक ने डिजिटल हिन्दी के विकास के विभिन्न चरणों को विश्लेषित किया गया है। किताब के प्रारंभिक लेख में लेखक ने सूचना प्रौद्योगिकी की व्याख्या एवं परिचय प्रस्तुत किया है। लेखक का मानना है कि “सूचना प्रौद्योगिकी आज शक्ति एवं विकास का प्रतीक बनी है। कंप्यूटर युग के संचार साधनों में सूचना प्रौद्योगिकी के आगमन से हम सूचना समाज में प्रवेश कर रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस अधिकतम देन के ज्ञान एवं इनका सार्थक उपयोग करते हुए, उनसे लाभान्वित होने की सभी को आवश्यकता है।” (पुष्ट क्र. 10)

लेखक ने राष्ट्र लिपि के विकास में नागरी लिपि के योगदान की चर्चा की है साथ ही कंप्यूटर में हिन्दी टाइप करने के लिए आवश्यक यूनिकोड फॉन्ट के व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डाला है। भारती लिखावट कुंजी पटल तथा गूगल लिप्यंतरण टूल के लिए आवश्यक विभिन्न वेब-साइट्स की जानकारी देकर देवनागरी लिपि की तकनीकी समस्याओं की भी चर्चा की है। विगत कुछ वर्षों से मशीनी अनुवाद का महत्व बढ़ रहा है। मशीनी अनुवाद निश्चित रूप से अनुवादक के लिए मददगार साबित हुआ है। इस दृष्टि से आवश्यक सी-डैक नोएडा द्वारा विकसित टी.सी.एस. सॉफ्टवेयर के साथ देसिका, ए एल पी पर्सनल, कॉरपोरा, श्री लिपि भारती, बहुभाषिक ई मेल क्लाएंट, आई लिप, अक्षर, बुद्धिमान कुंजी पटल प्रबंधक, शब्दिका, एच वर्ड, इंडिक्स आदि विभिन्न हिन्दी सॉफ्टवेयर की जानकारी दी है। लेखक का मानना है कि “इन सॉफ्टवेयर के सहारे अब कोई भी व्यक्ति, संस्था, कार्यालय में अपने कंप्यूटर पर हिन्दी भाषा का प्रयोग आसानी से कर सकता है। इस मुफ़्त सॉफ्टवेयर में कुछ कमियाँ भी पायी गई है। लेकिन कंप्यूटर पर हिन्दी भाषा का प्रसार करने की दिशा में भारत सरकार का यह महत्वपूर्ण कदम है। इस सॉफ्टवेयर को उन्नत करने की काफी गुंजाइश है।“ (पृष्ठ क्र. 58-59) लेखक स्वीकार करते हैं कि यूनिकोड के आगमन से काम अधिक आसान हो गया है लेकिन सभी सॉफ्टवेयर काफी महत्वपूर्ण साबित हुए थे।

प्रस्तुत किताब में मोबाइल में हिन्दी के विकास पर प्रकाश डाला गया है साथ ही राजभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार में एंड्राइड मोबाइल की भूमिका को स्पष्ट किया गया है। लेखक ने एक रोबोट द्वारा लिखे एक लेख का संदर्भ देते हुए कृत्रिम बौद्धिकता के महत्व को रेखांकित किया है। ब्लॉग में हिन्दी के महत्व को समझते हुए उन्होंने हिन्दी के महत्वपूर्ण ब्लॉग एवं ब्लॉगर की जानकारी साझा की है साथ ही ब्लॉग की भाषा पर भी अपने विचार व्यक्त किए हैं। किताब में विंडोज 10, ऑफिस 365, माइक्रोसॉफ्ट लैंग्वेज एसेसरी फ़ैक्स, इनपुट मेथड एडिटर्स, बिंग, स्काइप लाइट, काइजाला ऐप, स्विफ्ट की, स्वे, वन नोट, इंडिक ईमेल एड्रेस आदि विभिन्न माइक्रोसॉफ्ट के भाषिक टूल्स तथा आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम लिनिक्स का विस्तार से परिचय मिल जाता है। किताब के माध्यम से हम सी-डैक के भाषिक उत्पाद जैसे जिस्ट कार्ड, जिस्ट शैल, जिस्ट टर्मिनल, आई एस एं-2000 ऑफिस, लीप मेल, आई लीप, चित्रांकन, मल्टीलिंग्यूअल सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट टूल, शैली आदि से परिचित हो जाते हैं। वर्तमान में ऑनलाइन शिक्षा तथा वेबिनार के लिए हम गूगल मीट तथा ज़ूम का उपयोग करते है लेकिन इसके अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर जैसे गूगल हैंग आयआउट्स, वेबिनार ऑन एयर, स्काइप, गो टू वेबिनार आदि की जानकारी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं जिसकी चर्चा लेखक ने की है।

प्रस्तुत किताब में लेखक ने राजभाषा हिन्दी प्रचार प्रसार में उपयोगी वेब पेजेस, पोर्टल लिंक, इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं का प्रचार एवं प्रसार करने वाली विभिन्न वेब साइट्स की जानकारी देते हुए हिन्दी विकिपीडिया के महत्व को स्पष्ट किया है। उनके महत्वपूर्ण लेखों से हम विकिस्रोत, विकिपुस्तक, विकि सूक्ति, विकि विश्वविद्यालय, विक्शनरी, विकियात्रा आदि विकिमीडिया फाउंडेशन द्वारा परिचालित विभिन्न परियोजनाओं से हम परिचित होते हैं। परिशिष्ट में उन्होंने यूनिकोड का महत्व उसकी व्यावहारिक उपयोगिता पर प्रकाश डाला है। कंप्यूटर पर हिन्दी के अनुप्रयोगों को स्पष्ट किया है। किताब के अंतिम भाग में हिन्दी कम्प्यूटिंग के इतिहास के विभिन्न चरणों को विश्लेषित किया है साथ ही कंप्यूटर शब्दावली को स्पष्ट किया है।

लेखक के पास अनुवाद के क्षेत्र में काम करने का सुदीर्घ अनुभव रहा है जो ‘डिजिटल हिन्दी की यात्रा’ पुस्तक के माध्यम से पाठकों के सामने आता है। पुस्तक में दी हुई जानकारी एवं मार्गदर्शन से विद्यार्थियों में निश्चित रूप से इस क्षेत्र की ओर रोजगार की दृष्टि से देखने की जिज्ञासा निर्माण होगी। इस क्षेत्र में आज तेजी से अनुसंधान कार्य हो रहे हैं और आए दिन बदलाव होते जा रहे हैं और नए-नए तथ्य सामने आते रहे हैं, इसलिए इस पर लिखना एक चुनौती पूर्ण कार्य रहा है। विजय नगरकर जी ने इस चुनौती को स्वीकार करके इस किताब को लिखा है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हम उनका अभिनंदन करते हैं। आगे भी वे इसी प्रकार अपने लेखन से सभी का मार्गदर्शन करेंगे इस उम्मीद के साथ …

~ डॉ प्रशांत देशपांडे

हिन्दी विभाग प्रमुख, श्रीमती मणिबेन एम पी शाह विमेंस कॉलेज ऑफ आर्ट्स एण्ड कॉमर्स, माटुंगा, मुंबई

मो. नं. 9076089071

prashantdeshpande9789@gmail.com

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