मॉरिशस में भोजपुरी भाषा अपनी मजबूती निरंतरता के साथ बनाये हुए है। पूर्वजों के साथ आयी  भोजपुरी भाषा ने अपने अस्तित्व को घर घर में बनाया ही हुआ है। स्कूल, बैठका, महात्मा गांधी संस्थान तथा रेडियो द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों में भी सुनने को मिलती है। वर्ष 2019 में कला एवं संस्कृति मंत्रालय ने भोजपुरी नाटक समारोह का आयोजन किया था। इसके बाद विश्व ने कोविद काल की प्राकृतिक आपदा को छेला था। लंबे अंतराल के उपरांत इस वर्ष कला एवं संस्कृति मंत्रालय ने भोजपुरी नाटक प्रतियोगिता का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया। अनेक संस्थाओं, विद्यालय तथा व्यक्तिगत समूहों ने इसमें भाग लिया। मंत्रालय के नाटक विभाग के कार्यकर्तों द्वारा स्क्रीनिंग के बाद बाइस (22) नाटकों का मंचन किया गया।

       11 अप्रेल से 24 अप्रैल तक देश के अनेक सभागार एवं मेबर्ग के ओपेन थिएटर में नाटकों का आयोजन मंत्रालय द्वारा किया गया। सभी जगह एक ही निर्णायक मंडल ने निर्णय दिया। नाटकों के कलाकार, उनका संवाद  उनकी भाव-भंगिमा, विषय वस्तु एवं मंच सज्जा को जांचते परखते हुए तीन नाटकों का चयन अंतिम चरण  के लिये किया गया।

कला एवं सांस्कृतिक धरोहर मंत्रालय के मंत्री श्री महेंद्र गुंडिया द्वारा चयनित तीन व्यक्तियों के निर्णायक मंडल गठित किया गया, जिसमें मैं, श्रीमती अंजू घरभरन, श्री धनराज शम्भू एवं राजेन्द्रप्रसाद सदासिंह रहे।

       17 मई को इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र, फेनिक्ज़ में भोजपुरी नाटक समारोह 2025 का अंतिम चरण आयोजित किया गया। इसमें तीन नाटक मंचित हुए।

 1. वाक्वा अमरदीप नेशनल आर्ट्स द्वारा  “बंधन”

 2. अन्नता नवरंग आर्ट्स द्वारा  “नया रोशनी”

 3. रेड टैगोर युथ क्लब द्वारा  “ठगेर”

 बंधन नाटक में आज की ज्वलंत समस्या को चित्रित किया गया, संतान द्वारा माता-पिता को वृद्धाश्रम का रास्ता दिखाकर उनको भूल जाना।

नया रोशनी नाटक में व्यक्ति अपने परिवार की सलाह के बगैर नेत्रहीन भतीजे को अपने घर में  रख कर उसका इलाज करवा कर उसे डोक्टरी शिक्षा दिला कर उसका भविष्य संवारता हैं।

  ठगेरा नाटक में कामचोर व्यक्ति बुरे रास्ते अपनाते हुये धन कमाता एवं लोगों को ठगता है और जेल पहुँच कर बुरे कामों से तौबा करता है।

     सभी बाइस नाटकों को प्रतिभागिता के लिए  दस हज़ार रुपये की राशि  प्रत्येक को दी गयी।  और भी अनेक पुरस्कार  दिए गए। उत्तम अभिनेता, अभिनेत्री, निदेशक,  मंच सज्जा, 15 वर्ष से कम के कलाकार, 15 से 25 वर्ष के कलाकार तथा निर्णायक मंडल द्वारा 8 विशेष पुरस्कार दिए गए। धन राशि के साथ वेजयन्ती  (शील्ड)आदि भी अनेक महानुभावों की उपस्थिति में विजेताओं  को प्रदान की गयी। मंत्रालयों के उच्च पदाधिकारियों के साथ मंत्रीगण  की भी उपस्तिथि रही।  अनेक नाटक प्रेमियों ने भी इस गतिविधि का भरपूर आनंद लिया।

     कला एवं संस्कृति  की जड़ों को पोषित करने तथा भाषा एवं भोजपुरी संवाद के प्रवाह को बनाये रखने का एक सशक्त और सुद्रढ़ माध्यम बना नाटक!

रिपोर्ट- अंजू घरभरन, मॉरीशस

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