
30 मई 1826 को कोलकाता से प्रथम बार प्रकाशित हिंदी के प्रथम समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ ( संपादक : पंडित जुगल किशोर सुकुल) के द्विशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दो दिवसीय समारोह का आज दिनांक 30 मई को कोलकाता के प्रतिष्ठित भारतीय भाषा परिषद के सभागार में असम के राज्यपाल महामहिम श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य द्वारा उद्घाटन किया गया। दो दिन चलने वाला यह समारोह भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता; उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ; केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा कथा काशी-वाराणसी विरासत फाऊंडेशन, वाराणसी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया है।
राज्यपाल महोदय ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन का उद्घाटन किया। उद्घाटन सत्र को राज्यपाल महोदय के अतिरिक्त प्रोफेसर राम मोहन पाठक, आर के चौधरी, डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी, डॉ. हरि प्रसाद कनोडिया ,डॉ. अमिता दुबे, शरद कुमार त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। उद्घाटन सत्र का धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती सुषमा अग्रवाल ने किया। इस सत्र में 12 विशिष्ट अतिथियों को सम्मानित किया गया। साथ ही तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया गया, जिनमें ‘अगर जंगल रहेंगे’ (ग़ज़ल संग्रह, कमलेश भट्ट कमल), ‘उत्तिष्ठ भारत’ का अंग्रेजी अनुवाद (डॉ. नीलम वर्मा) तथा डॉ .परमात्मा कुमार मिश्र की पुस्तक ‘स्वतंत्रता संघर्ष और पूर्वांचल की मिशनरी पत्रकारिता (दास्तान ए गोरखपुर)’ शामिल हैं। समारोह में महामहिम राज्यपाल की जीवन संगिनी श्रीमती कुमुद आचार्य की भी उल्लेखनीय उपस्थिति रही। इस सत्र का संचालन पत्रकार अरविंद मिश्र ने किया।
उद्घाटन सत्र के बाद के विमर्श सत्र में विगत दो सौ वर्षों की हिंदी पत्रकारिता पर गहन विचार-विमर्श और मंथन किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर प्रेम शंकर त्रिपाठी ने की तथा संचालन हिमांशु उपाध्याय ने किया। सत्र में चंद्रभूषण, नरेंद्र नाथ मिश्र, ऋषिकेश राय, डॉ. किंशुक पाठक, डॉ. रश्मि पांडा मुखर्जी, डॉ. दीक्षा गुप्ता, डॉ. दिव्या प्रसाद, डॉ अमिता दुबे, प्रो. अम्बरीष सक्सेना एवं पुरुषोत्तम तिवारी ने संबोधित किया। इस सत्र का संचालन हिमांशु उपाध्याय ने किया।
आज के तीसरे और अंतिम सत्र के रूप में ‘छपते-छपते’ अखबार के संस्थापक विश्वंभर नेवर के साथ दूरदर्शन के सेवानिवृत्ति अधिकारी एवं पत्रकार स्नेहाशीष सूर द्वारा महत्वपूर्ण संवाद-सत्र आयोजित किया गया।
आयोजन के दौरान साहित्य अकादेमी तथा नेशनल बुक ट्रस्ट की साहित्यिक प्रदर्शनियों को भी आगंतुकों ने देखा और सराहा।




