टोक्यो जापान से विशेष रिपोर्ट

भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की एक झलक टोक्यो की सड़कों पर उस समय देखने को मिली जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की भव्य रथयात्रा का आयोजन टोक्यो के फ़ुनाबोरी पार्क में भारतीयों के द्वारा किया गया। यह आयोजन न केवल भारतीय प्रवासियों के लिए भावनात्मक और धार्मिक आस्था का केंद्र रहा, बल्कि इसमें जापानी नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, जो हर वर्ष पुरी (भारत) में आयोजित होती है, उसी परंपरा को जापान की धरती पर पुनः जीवंत किया गया। तीन पारंपरिक लकड़ी के रथ – भगवान जगन्नाथ, श्री बलभद्र और माता सुभद्रा के लिए बनाए गए – जिन्हें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्रद्धा के साथ रस्सियों से खींचा। यात्रा की शुरुआत जगन्नाथ जी की जयकारों, ढोल-नगाड़ों और भक्तिमय गीतों के साथ हुई, जिससे संपूर्ण वातावरण भक्तिरस में डूब गया।

इस आयोजन में जापान के विभिन्न हिस्सों से आए भारतीय परिवारों के साथ-साथ नेपाली, बांग्लादेशी, श्रीलंकाई, इंडोनेशियन, और जापानी भक्तों ने हिस्सा लिया। कई जापानी नागरिकों ने पारंपरिक भारतीय वेशभूषा धारण कर रथ खींचा और ‘हरे कृष्ण हरे राम’ के कीर्तन में भाग लिया। यह आयोजन वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का जीवंत प्रमाण बना।

रथ यात्रा से पहले इस्कॉन मंदिर के VCC परिसर में 11:00 बजे से 12:00 बजे तक पूजा के पश्चात सभी श्रद्धालुओं ने फ़ुनाबोरी पार्क में रथ यात्रा का आयोजन 12:00 से 1:00 बजे तक किया उसके पश्चात इस्कॉन मंदिर फ़ुनाबोरी VCC परिसर में प्रसाद ग्रहण और वितरण का आनंद लिया।

इस पूरे आयोजन को संभव बनाने में जापान में रहने वाले भारतीय समुदाय की विभिन्न संस्थाओं, स्वयंसेवकों और विशेष रूप से Odia Community Japan का अथक सहयोग रहा। उन्होंने न केवल परंपरा को निभाया बल्कि इसे विश्व मंच पर गौरवपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया।

टोक्यो में आयोजित यह रथ यात्रा मात्र धार्मिक नहीं है, यह भारत की चेतना और सांस्कृतिक गरिमा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की एक प्रेरणादायक पहल है ।

“जय जगन्नाथ” के उद्घोष के साथ रथ खींचते श्रद्धालु जब एक साथ आगे बढ़े , तो वह ऐसा क्षण था कि मानो धर्म और संस्कृति की सीमाएं नहीं होतीं – वह सबको जोड़ती है।

रिपोर्ट – अतुल शर्मा, जापान

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