
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में शब्दकोश का प्रयोग
आज का युग सूचना प्रौद्योगिकी और नित नई बदलती तकनीकी से जुड़ा है। समसामयिकता के अनुरूप वैश्विक हिन्दी परिवार द्वारा सहयोगी संस्थाओं के तत्वावधान में 29 जून 2025 को ‘माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में शब्दकोश के प्रयोग, विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। प्रख्यात भाषा प्रौद्योगिकीविद श्री बालेंदु शर्मा दाधीच ने विषय को सैद्धांतिक और प्रायोगिक रूप में गहनता से समझाया। रेल मंत्रालय के पूर्व निदेशक डॉ॰ विजय कुमार मल्होत्रा, विशिष्ट अतिथि रहे। भाषाविज्ञानी डॉ॰ अशोक कुमार बत्रा ने शालीन सान्निध्य प्रदान किया। संचालन का दायित्व गृह मंत्रालय के सहायक निदेशक डॉ॰ मोहन बहुगुणा द्वारा बखूबी बेबाक विश्लेषण सहित संभाला गया। आरंभ में बेंगलुरु से हिन्दी सेवी श्रीमती नर्मदा कुमारी द्वारा संक्षिप्त पृष्ठभूमि सहित आत्मीयता से स्वागत किया गया। कार्यक्रम में देश -विदेश से अनेक साहित्यकार, विद्वान -विदुषी, तकनीकीविद, प्राध्यापक, अनुवादक, शिक्षक, राजभाषा अधिकारी, शोधार्थी, विद्यार्थी और भाषा प्रेमी आदि जुड़े थे।

प्रमुख वक्ता श्री बालेंदु शर्मा दाधीच ने विषय की सुदृढ़ संक्षिप्त भूमिका रखते हुए बताया कि यह एक अंतर्निर्मित फीचर है जिसमें वर्तनी जाँचने, शब्दार्थ सुझाने और नए शब्द जोड़ने की अनुमति है तथा मुख्य डिक्शनरी, कस्टम डिक्शनरी और थिसारस की सुविधाएं हैं। मुख्य डिक्शनरी संपादित नहीं होती। इसमें विभिन्न विषयों जैसे मेडिकल और इंजीनियरिंग आदि के असीमित शब्द होते हैं। एक ही डॉक्यूमेंट में कई भाषाएँ संभाली जा सकती हैं। कस्टम डिक्शनरी यूजर द्वारा बनाई जाती है। इसमें पाँच से दस हजार शब्द रखे जा सकते हैं जिसमें फॉर्मेट और एक्सपोर्ट इम्पोर्ट की सुविधाएं भी हैं। फाइल कॉपी करके किसी भी सिस्टम में उपयोग किया जा सकता है। इसमें शब्दों को जोड़ने और हटाने की सुविधा है। थिसारस समानार्थी और विलोम तथा शब्द वर्तनी दिखाता है। इसे संपादित नहीं किया जा सकता। ये सभी पिछले 22 वर्षों से 14 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं अतएव इसके लिए जागरूकता की आवश्यकता है। हम घंटों का काम मिनटों में कर सकते हैं। वैश्विक भाषा प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ श्री दाधीच ने पीपीटी के माध्यम से सभी तथ्यों को प्रयोगात्मक रूप में मौके पर सरल और सरस ढंग से समझाते हुए ज्ञानार्जन कराया जो श्रोताओं को बहुत भाया।

विशेष अतिथि और रेल मंत्रालय में राजभाषा के पूर्व निदेशक डॉ॰ विजय कुमार मल्होत्रा ने ‘बैंक ऑफ इंग्लिश’ की चर्चा करते हुए बताया कि इसमें लगभग 4.5 बिलियन शब्द हैं जो राष्ट्रमंडल देशों में अधिक प्रयुक्त हैं। वर्ष 2000 से यूनीकोड ने भारतीय भाषाओं के लिए भी क्रान्ति लाई। डॉ॰ अरविंद कुमार का थिसारस जगजाहिर है। हमें शब्दकोशों में एकरूपता लानी चाहिए तथा अद्यतन करते रहना चाहिए।
विमर्श के अंतर्गत वयोवृद्ध भाषाशास्त्री प्रो॰वी॰आर॰ जगन्नाथन की जिज्ञासा पर श्री दाधीच ने बताया कि हमें मानक ब्यूरो के मानकों को मानना चाहिए। कैम्ब्रिज यू॰ के॰ से जुड़ीं प्रो॰ अरुणा अजितसरिया ने कस्टम डिक्शनरी को आश्चर्यजनक और अत्यंत उपयोगी बताया। अमेरिका से जुड़े तकनीकीविद श्री अनूप भार्गव की शंकाओं का श्री दाधीच ने निराकरण किया। डॉ॰ जयशंकर यादव द्वारा भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा अंगीकृत ‘ई महाशब्दकोश’ और ‘हिन्दी शब्द सिंधु’ की सराहना करते हुए ध्यान आकृष्ट किया गया । भाषा सेवी श्री उमेश कुमार प्रजापति के डाटा आदि संबंधी प्रश्नों का श्री दाधीच ने बेबाक विश्लेषण सहित समाधान किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो॰ ओम प्रकाश द्वारा वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के 64 प्रकार के शब्दकोशों के दीर्घकालिक सत प्रयत्नों की प्रशंसा की गई। भाषाविद श्री राजेश्वर वशिष्ठ ने आज की कार्यशाला को मौलिक चिंतन से जोड़ते हुए सार्थक बताया।

सान्निध्यप्रदाता डॉ॰ अशोक कुमार बत्रा ने सभी वक्ताओं की सराहना करते हुए कृतज्ञता प्रकट की। उन्होने कहा कि आज अनेक अज्ञात रहस्य ज्ञात हुए एवं संभावनाएं जगीं हैं। नई सुविधाओं से पुरानी पीढ़ी काफी अंश तक अपरिचित है अतएव जागरूकता की नितांत आवश्यकता है।
यह कार्यक्रम विश्व हिन्दी सचिवालय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, वातायन और भारतीय भाषा मंच के सहयोग से वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी के मार्गनिर्देशन में विभिन्न टीमों के सामूहिक प्रयास और समन्वय से आयोजित हुआ। कार्यक्रम प्रमुख एवं सहयोगी की भूमिका का निर्वहन ब्रिटेन की सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर और पूर्व राजनयिक सुनीता पाहुजा द्वारा किया गया। अंत में हैदराबाद से युवा नवोदित साहित्यकार एवं तकनीकी विशेषज्ञ डॉ॰ सुरेश कुमार मिश्र “उरतृप्त’ द्वारा समूचे कार्यक्रम हेतु सभी के प्रति आत्मीयता से आभार प्रकट किया गया। यह कार्यक्रम “वैश्विक हिन्दी परिवार, शीर्षक के अंतर्गत “यू ट्यूब ,पर उपलब्ध है।

रिपोर्ट लेखन – डॉ॰ जयशंकर यादव
अति विशिष्ट अद्भुत ज्ञानवर्धक सराहनीय कार्यक्रम हेतु हार्दिक बधाई 💐