
वैश्विक हिंदी परिवार, विश्व हिंदी सचिवालय, केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद्, वातायन तथा भारतीय भाषा मंच के तत्वावधान में 21 सितंबर 2025 संध्या 6 बजे “हिंदी के प्रचार में हिंदीतर भाषी क्षेत्र की उपलब्धियाँ एवं चुनौतियाँ कार्यक्रम” विषय पर ऑनलाइन रविवारीय कार्यक्रम के माध्यम से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की सुंदर शुरूआत स्वागत उद्बोधन द्वरा सुश्री नर्मदा कुमारी ने पूरे कार्यक्रम की पृष्ठभूमि बताकर की एवं देश-विदेश से जुड़े श्रोताओं का स्वागत भी किया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल की टीचर एंड ट्रेनिंग और यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ. सोमा बंद्योपाध्याय ने की। उन्होंने इस प्रतियोगिता आयोजन के पहल की सराहना की और कहा कि यह प्रतियोगिता नहीं हिंदीतर क्षेत्र का आंदोलन है। कार्यक्रम के आरंभ में नीदरलैंड से जुड़े मनीष पाण्डे ने राजभाषा विभाग स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में निशुल्क ऑनलाइन हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता 2025 संबंधित जानकारी को हिंदीतर प्रांत संयोजकों एवं छात्रों को पीपीटी के माध्यम से विस्तारपूर्वक स्पष्ट किया। तत्पश्चात, उत्तर पूर्व से जुड़ी अरुणाचल प्रदेश की प्रथम हिंदी अधिकारी सुश्री गुम्पी जी ने कहा कि जहाँ चुनौतियाँ हैं, वहीं उपलब्धियाँ भी जन्म लेती है और भाषा ने सदा से भारत को एकता के सूत्र में बांधा है। इसके साथ ही उन्होंने अपने क्षेत्र में हिंदी संबंधित गतिविधियों की भी चर्चा की। वहीं, दूसरी ओर उड़ीसा से जुड़ी धारित्री जी ने इतिहास के कुछ उदाहरणों के माध्यम से हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार पर अपने विचार रखें।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. किरण हजारिका, समकुलपति पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा ने हिंदीतर क्षेत्र में आयोजित इस प्रतियोगिता में भाषा, इतिहास, संस्कृति, राजभाषा को समाहित करने पर प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने संस्थाओं के मिलकर कार्य करने पर भी विशेष जोर दिया। हिंदी अकादमी तमिलनाडु की अध्यक्ष डॉ.ए भवानी ने अपने संबोधन के अंत में जय भारत एवं जय हिंदी भाषा के नारे से सबको भाषा की एकता के लिए प्रेरित किया। पूरे कार्यक्रम में वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी का सानिध्य रहा। विशिष्ट वक्ता के रूप में काश्मीर से डॉ. मुदस्सिर अहमद भट्ट ने बताया कि पर्यटकों द्वारा हिंदी का प्रयोग अधिक किया जाता है और उन्होंने उर्दू एवं हिंदी की समानता बताते हुए दोनों भाषाओं को बहनें कहा इसके साथ ही उन्होंने साहित्य पहलू पर भी अपने विचार रखें।
पंजाब से प्रोफेसर किरण खन्ना ने प्रतियोगिता आयोजन के इस कदम की सराहना की उन्होंने कहा कि इस राजभाषा के उपलक्ष्य में आयोजित इस प्रतियोगिता के माध्यम से युवाओं को राजभाषा को जानने का अवसर मिला है। युवा वक्ता के रूप में महाराष्ट्र के राहुल ससाणे, तेलगांना से डॉ. बी. वेदश्री एवं अनुषा डि सूजा ने भी कार्यक्रम में जुड़कर अपने विचार रखकर चार चाँद लगा दिए।
इस कार्यक्रम में भारत सहित ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर के लेखक भी सम्मिलित हुए एवं साथ ही, वैश्विक हिंदी परिवार के संयोजक डॉ.पद्मेश गुप्त जी ने प्रतियोगिता को संबंध सूत्र का आधार माना। उन्होंने 2013 में लंदन में आयोजित हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता की भी चर्चा की जो आज भी यूरोप में हो रही है।
श्री अनिल जोशी जी ने हिंदी दिवस की राजभाषा स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस नि:शुल्क ऑनलाइन प्रतियोगिता को महत्वपूर्ण माना एवं कहा कि यह प्रतियोगिता युवाओं में तकनीकी रूप से भाषा के प्रचार-प्रसार में सहायक सिद्ध होगी। इस कार्यक्रम का संयोजन डॉ.जयशंकर यादव, श्री विनयशील, डॉ.वरुण कुमार, श्री नितिन जैन, एवं डॉ.महादेव कोलूर द्वारा किया गया। पूरे कार्यक्रम का सफल संचालन महाराष्ट्र की श्रीमती स्वरंगी साने ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन से उमेश कुमार प्रजापति ने कार्यक्रम के अंतिम रूप को सुखद स्वरूप प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि चाहे भाषा कोई भी हो परंतु उद्देश्य एक ही है और वह है एकता, संवाद एवं सांस्कृतिक सम्मान। इस प्रकार, वैश्विक हिंदी परिवार के इस कार्यक्रम ने तकनीकी युग में ऑनलाइन मंच के माध्यम से भारतीय भाषाओं की एकता का संदेश विश्व मंच तक पहुँचाने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
रिपोर्ट- आदित्य नाथ तिवारी