
बाबासाहेब पुरंदरे
-रजनीकांत शुक्ला
बाबासाहेब पुरंदरे का जन्म 29 जुलाई, 1922 को हुआ था। उन्हें महाराष्ट्र में शिवशहर के नाम से जाना जाता है। वे मराठी साहित्यकार, नाटककार तथा इतिहास लेखक थे। वे शिवाजी से सम्बन्धित इतिहास शोध के लिये प्रसिद्ध रहे। प्रसिद्ध नाटक ‘जाणता राजा’ (विवेकशील राजा) उनकी ही कृति है। महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें राज्य के सर्वोच्च सम्मान ‘महाराष्ट्र भूषण’ से सम्मानित किया था। भारत सरकार द्वारा बाबासाहेब पुरंदरे को ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था।
ऐसा माना जाता है कि बाबासाहेब ने महान नाटक ‘जाणता राजा’ (जनता का राजा) के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को घर-घर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह महानाट्य न केवल महाराष्ट्र में बल्कि आंध्र प्रदेश, गोवा और देश के अन्य हिस्सों में भी प्रसिद्ध हुआ। बाबासाहेब पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर कई किताबें लिखी हैं और अपना जीवन इतिहास और शोध के लिए समर्पित कर दिया था। उन्हें 2019 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार ‘पद्म विभूषण’ और 2015 में ‘महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। उन्होंने न केवल शिवराय (छत्रपति) का इतिहास लिखा बल्कि पेशवाओं के इतिहास को भी दुनिया के सामने रखा।
बाबासाहेब पुरंदरे देश के लोकप्रिय इतिहासकार रहने के साथ थिएटर कलाकार भी रह चुके थे। उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज पर अपने विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। बाबा पुरंदरे ने शिवाजी के जीवन से लेकर उनके प्रशासन और उनके काल के किलों पर भी कई किताबें लिखीं। इसके अलावा उन्होंने छत्रपति के जीवन और नेतृत्व शैली पर एक लोकप्रिय नाटक- जानता राजा का भी निर्देशन किया था।
पुरंदरे को छत्रपति शिवाजी महाराज के पूर्व-प्रतिष्ठित उत्तराधिकारियों में से एक माना जाता था।
12 साल की उम्र में पुरंदरे ने नाना साहब पेशवा के जीवन पर आधारित एक किताब लिखी। 1946 में जब बाबासाहेब 24 वर्ष के थे तो उन्होंने शिवाजी महाराज के जीवन की कहानियों का संकलन ‘जल्त्य थिंग्या’ पूरा किया। बाबासाहेब ने शिवाजी और अन्य ऐतिहासिक विषयों से संबंधित 36 पुस्तकें लिखीं। जल्त्य थिंग्या के अलावा, उन्होंने मुज्र्याचे मंकारी, पुरंदर यांची दौलत, शनिवारवद्यतिल शामदान, पुरंदरच्य बुरुजावरुन, पुरंदरयांची नौबत, पुरंदर्यंचा सरकारवाडा और महाराज जैसे ऐतिहासिक सर्वव्यापी रचनाएँ भी लिखीं। उन्होंने भूलभुलैया नव रायगढ़, भूलभुलैया नव आगरा, भूलभुलैया नव पन्हालगढ़, भूलभुलैया नव प्रतापगढ़ और भूलभुलैया नव पुरंदर जैसे विभिन्न किलों पर जानकारीपूर्ण पुस्तकें लिखीं। 1962 में उन्होंने शिलंगनाचे सोन और 1973 में शेलारखिंड लिखी। जाने-माने अभिनेता और निर्माता रमेश देव ने पुरंदरे के उपन्यास शेलारखिंड पर सरजा फिल्म बनाई।
भारत के जाने-माने इतिहासकार और लेखक बाबासाहेब पुरंदरे का निधन 15 नवम्बर, 2021 सोमवार सुबह पुणे के दीनानाथ मंगेशकर मेमोरियल अस्पताल में हुआ। वे 99 वर्ष के थे। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, बाबासाहेब पुरंदरे को हालात गंभीर होने के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था। इसके बाद से ही उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सका। बताया गया था कि बाबा पुरंदरे अपने घर में बाथरूम में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था।
बाबा पुरंदरे के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “दर्द को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। बाबासाहेब का जाना इतिहास और संस्कृति की दुनिया में बड़ा शून्य छोड़ गया है। उनका धन्यवाद है कि आने वाली पीढ़ियां छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी रहेंगी।” पीएम ने आगे कहा, “बाबासाहेब का काम प्रेरणा देने वाला था। मैं जब पुणे दौरे पर गया था तो उनका नाटक ‘जनता राजा’ देखा, जो कि छत्रपति शिवाजी महाराज पर आधारित था। बाबासाहेब जब अहमदाबाद आते थे, तो भी मैं उनके कार्यक्रमों में हिस्सा लेने जाता था।”
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