इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से दिनांक 28 अगस्त 2025, गुरुवार को ‘रचना-पाठ सह परिचर्चा’ का आयोजन किया गया।    

कथाकार अल्पना मिश्रा’ ने अपने चर्चित उपन्यास ‘अक्षि मंच पर सौ सौ बिंब’ पर आत्मवक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास स्मृति को थामे रखने का प्रयास है। यह उपन्यास स्मृति का एक टुकड़ा पकड़ाने की जिद है।

डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि अल्पना मिश्र अपने हर उपन्यास में नई कथावस्तु ले कर आती हैं। वह सबमें नया शिल्पगत प्रयोग भी करती हैं।डॉ. दीना नाथ मौर्य ने कहा कि अल्पना मिश्र का यह उपन्यास इधर के दिनों में चर्चित उपन्यासों में प्रमुख रहा है। सभागार प्रो. अल्पना मिश्र को सुनने के लिए आए शिक्षक और विद्यार्थियों से पूरी तरह भरा हुआ था।

प्रो. सुनील विक्रम सिंह ने स्वागत वक्तव्य दिया। डॉ. शिव कुमार यादव ने शानदार मंच संचालन किया।

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