Category: विधा

इंसानियत तलाशता अनवर सुहैल का उपन्यास ’पहचान’ – (पुस्तक समीक्षा)

इंसानियत तलाशता अनवर सुहैल का उपन्यास ’पहचान’ दिनेश कुमार माली, तालचेर, ओड़िशा हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार अनवर सुहैल का बहुचर्चित उपन्यास ‘पहचान’ सन् 2022 में न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली…

उत्तर भारत में मराठी पत्रकारिता के जनक : र. वि. शिरढोणकर – (आलेख)

उत्तर भारत में मराठी पत्रकारिता के जनक : र. वि. शिरढोणकर अलकनन्दा साने जिस कालखंड में बाल गंगाधर तिलक, विष्णु शास्त्री चिपळूनकर जैसे दिग्गज पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत थे,…

हिन्दी आलोचना के आधार स्तंभ : आचार्य रामचंद्र शुक्ल – (आलेख)

आचार्य रामचंद्र शुक्ल अमरनाथ बस्ती (उ.प्र.) जिले के ‘अगोना’ नामक गांव में जन्म लेने वाले, मात्र हाई स्कूल तक की औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने वाले और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में…

श्री ब्रजेन्द्रकुमार सिंहल की कृति ‘महायोगिराज गोरखनाथ’ – (पुस्तक समीक्षा)

‘महायोगिराज गोरखनाथ’ नर्मदा प्रसाद उपाध्याय संसार में गुरु गोरखनाथ ऐसे बिरले उदाहरण हैं जिन्होंने अपने गुरु मत्स्येंद्रनाथ को सन्मार्ग दिखलाया। वे नाथ परंपरा की उज्ज्वल मणि हैं जिनके समूचे व्यक्तित्व…

आंध्र प्रदेश, अन्नवरम, काकीनाडा के श्री वीरा वेंकट सत्यनारायण स्वामी मंदिर – (यात्रा डायरी)

डॉ. विजय कुमार मिश्रा श्री वीरा वेंकट सत्यनारायण स्वामी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश के काकीनाडा जिले के अन्नावरम में स्थित एक हिंदू – वैष्णव मंदिर है। भगवान विष्णु के…

मेरी नजरों में ‘राजस्थान के साहित्य साधक’ – (पुस्तक समीक्षा)

मेरी नजरों में ‘राजस्थान के साहित्य साधक’ – दिनेश कुमार माली डॉ. प्रभात कुमार सिंघल की बहुचर्चित पुस्तक ‘राजस्थान के साहित्य साधक’ में राजस्थान के मूल और प्रवासी साहित्यकारों के…

रावण (कविता)

दसग्रीव दशानन् दसकंधर कहलाता थाजब रावण चलता सारा जग हिल जाता थावो था पंडित-विद्वान और था बलशालीउसके सन्मुख देवों का जी थर्राता था रावण ने सोने की लंका बनवाई थीतीनों…

हिंदी दिवस – (कविता)

अर्चना ***** हिंदी दिवस हिंदी शब्द सुन तरंगित हो उठे मन मेराकलम भी आतुर कुछ लिखने कोभारत भूमि से कोसों दूरएकत्रित हम यहाँदेने को सम्मानअपनी मातृभाषा कोक्यों ना इतराओं मैंइस…

रिश्ते – (कविता)

अर्चना ***** रिश्ते रिश्तों का अस्तित्व क्या है ? क्या समझ पाया है कोई ?बड़े बेमानी से लगते हैं ये रिश्ते क्या फूल से नाज़ुक या छुइमुई से हैं ?…

सच्चा साथी – (कविता)

अर्चना ***** सच्चा साथी इंसान हूँ इस्तेमाल हेतु कोई वस्तु नहींसीढ़ी बना अपनी मंज़िल पाना,सभी का शौक़ रहा।हर रिश्ते को बहुत ईमानदारी से निभाया,पर हर बार छली गई।भीड़नुमा रिश्तों के…

मेरी माँ – (कविता)

अर्चना ***** मेरी माँ ममता का सागर,मेरी प्यारी माँ।ज्ञान सरस्वती तुल्य है,सभी ग्रंथ है कंठस्थ,ज्ञान की खान है,मेरी प्यारी माँ….करुणा बुद्ध तुल्यजन्म जाति से परेअमीर हो या ग़रीबसब के दुःख…

रावण – (कविता)

मनीष पाण्डेय ‘मनु’ ***** रावण दसग्रीव दशानन् दसकंधर कहलाता थाजब रावण चलता सारा जग हिल जाता थावो था पंडित-विद्वान और था बलशालीउसके सन्मुख देवों का जी थर्राता था रावण ने…

यादगार एक्सप्रैस – (डायरी)

यादों की यादगार की कुछ यादें विजय विक्रान्त भारत छोड़े हुए एक लम्बा अरसा हो गया है। कैसे ज़िन्दगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा यहाँ कैनेडा में गुज़ार दिया, इसका…

कैनेडा की पुलिस – (संस्मरण)

कैनेडा की पुलिस विजय विक्रान्त, कनाडा 25 फ़रवरी,1965 को, परिवार सहित, हम ने कैनेडा को अपनी कर्मभूमि स्वीकार किया। पार्टियों में या अनौपचारिक रूप में जब कभी भी मित्र मण्डली…

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर – (आलेख)

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर डॉ अरुणा अजितसरिया एम बी ई, लंदन 23 सितम्बर सन 1908 को पराधीन भारत के एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे रामधारी सिंह दिनकर ने गाँव…

सच्चा कलाकार – (अनुवाद)

अनुवादक: ऋपसिमे नेरसिस्यान Տենալի Ռամակրիշնան, ով առավել հայտնի է Տենալի Ռամա անունով, 16-րդ դարի հնդիկ հայտնի գրող-երգիծաբան է: Նա եղել է հնդկական պալատական ութ պատվավոր բանաստեղծներից մեկը: Նրա ստեղծագործությունները լայնորեն…

टोटम पोल – (कविता)

धर्मपाल महेंद्र जैन ***** टोटम पोल जो छोड़कर चले गए स्मृतियाँवे वापस आयेंगे कभी तोयहाँ नहीं तो कहीं दूरदक्षिण के समंदर तट परया पूरब की पहाड़ी के बीहड़ मेंया कहीं…

राजा – (कविता)

धर्मपाल महेंद्र जैन ***** राजा राजा युद्ध की बात करते हैंयुद्ध लड़ते नहीं अब, भेजते हैंफ़ौजी, टैंकें, मिसाइलें और आयुधवे मोर्चे पर जाते नहीं अब।राजा युद्ध में मरते नहीं अब।…

पेड़ – (कविता)

पेड़ ***** धर्मपाल महेंद्र जैन खड़े हैं दो-तीन सदियों सेपेड़ घने जंगल में।यहाँ पेड़ों से बात करना सरल हैउन्हें मालूम है चप्पा-चप्पाजहाँ तक फैलती है उनकी छाँह। वे जानते हैं…

ग़ुस्सैल हवा – (कविता)

धर्मपाल महेंद्र जैन ***** ग़ुस्सैल हवा हवा ऐसी नहीं थी कभीकि सरपट दौड़ने लगे धरती परवायुयान-सी तेज़अंधी हो जाए और ज़मींदोज कर जायेयौवन से भरे पेड़उड़ा ले जाए घरों की…

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