
सेलिब्रेटी का अंधानुकरण

शंभुनाथ
लगता है, अंग्रेजी में लिखकर ही कोई भारतीय लेखक विश्व में सेलिब्रेटी हो सकता है और उसकी किताबों का इतना क्रेज हो सकता है कि हिंदी के कई लोग भी उसका अपने–अपने वाल पर प्रचार कर सकते हैं। बल्कि एक लड़की ने उसका अनुकरण करके, उसी अंदाज में सिगरेट पीते हुए अपनी तस्वीर प्रचारित की। मैं अरुंधती राय की नई किताब को लेकर यही लीला देख रहा हूं।
यह घटना कई चीजों पर प्रकाश डालती है, जैसे किसी मलयालम या हिंदी लेखक को कभी वह लोकप्रियता नहीं मिल सकती, भले वह जितना अच्छा लिख रहा हो। भाषा के कारण इस वैश्विक वंचना को सांस्कृतिक साम्राज्यवाद ने एक नियति बना दी है। दूसरे, लेखक को लेखन से अधिक उसके विवादास्पद बयान लोकप्रिय बनाते हैं, जो एक सार्वभौम बौद्धिक गिरावट का चिह्न है। तीसरे, लोकप्रिय होने पर किसी की अराजकता को, मसलन सिगरेट पीने के ऐसे निजी मामले के सार्वजनिक प्रदर्शन की छूट मिल जाती है जो एक बुरी आदत को प्रोत्साहित कर सकती है।
आजकल कालेजों के गेट पर प्रायः केवल छात्राएं सिगरेट पीती देखी जा सकती हैं, लड़के पीते हुए नहीं दिखते। यदि यह स्त्रीवाद का चिह्न है तो कहना होगा कि स्त्रीवाद रुग्ण चिन्हों में सिकुड़ता जा रहा है। वे ही लड़कियां अगले दिन देवी जागरण में झूमती दिखाई दे सकती हैं या सांप्रदायिक नारे लगाते भी! वर्तमान समय में स्त्रीवाद की एक जरूरी दिशा धार्मिक रूढ़ियों और अंधविश्वासों के विरुद्ध आवाज उठाना है, क्योंकि वस्तुतः ये धार्मिक रूढ़ियां हैं जो पुरुष सत्ता को मजबूत बनाती हैं।
सिगरेट पीना किसी का व्यक्तिगत शौक हो सकता है, पर चाहे अरुंधती राय हों या छात्राएं, इसका बिना हिदायती टिप्पणी के सार्वजनिक प्रदर्शन एक गलत संकेत है।
(साभार – Shambhunath Shambhunath (शंभुनाथ) के फेसबुक वॉल से