राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD), नई दिल्ली के सम्मुख सभागार में हुआ कहानियों का मंचन

सुप्रसिद्ध कथाकार संतोष चौबे की दो कहानियों ‘उनके हिस्से का प्रेम’ और ‘ग़रीबनवाज़’ का मंचन प्रख्यात नाट्य निर्देशक देवेन्द्र राज अंकुर के निर्देशन किया गया। कहानियों का मंचन शिक्षक दिवस के अवसर पर 05 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD), नई दिल्ली के सम्मुख सभागार में किया गया। यह मंचन वनमाली सृजन पीठ, दिल्ली के तत्वावधान में ‘संभव’ आर्ट ग्रुप, दिल्ली द्वारा किया गया।

‘उनके हिस्से का प्रेम’ कहानी में एक संस्थान के बॉस के प्रेम संबंधों को लेकर उसके ऑफिस में स्थित उसकी मेज, कलम, शीशा, कुर्सी, डायरी के माध्यम से उसके प्रेम संबंधों को हमारे सामने लाने की नायाब कोशिश की गई है। यह सारे उपकरण दिखने में तो वस्तु है, लेकिन जिस तरह से वे अपने बॉस के आधे अधूरे प्रेम संबंधों की जाँच पड़ताल करते हैं वह देखते ही बनता है।

इसी तरह दूसरी कहानी ‘ग़रीबनवाज़’ में विश्वमोहन अमेरिका से वापस लौटकर भारत में एक बीपीओ कंपनी बनता है। शहर में एक सुंदर और भव्य ऑफिस का निर्माण करता है। जल्द ही उसकी गिनती सफल प्रोफेशनल्स में होने लगती है। कुछ दिन बाद ही एक आदमी उसके इस शानदार ऑफिस के पड़ोस में ‘ग़रीबनवाज़’ चिकन शॉप नाम से गुमटी खोल देता है और यहाँ से शुरू होती है विश्वमोहन के संघर्ष की कहानी। उसके बाद एक और व्यक्ति चाय और समोसे की गुमटी खोल लेता है तो यह संघर्ष और भी बढ़ जाता हैं। ग़रीबनवाज़’ एक यथार्थवादी कहानी है। इसके अपने सामाजिक सरोकार हैं। इसमें श्रमजीवी पक्ष और वर्चस्ववादी पक्ष का यथार्थवादी द्वंद है। संतोष चौबे मेहनतकश और श्रमजीवी लोगों के पक्ष में खड़े होते हैं। वे अपनी लेखनी से समाज को सकारात्मक और स्वस्थ सोच की ओर ले जाते हैं।

इस कहानी में बगैर किसी दंगे–फसाद के लोकल पोलटिक्स और उनके द्वारा सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से किये जा रहे कब्जों के गठजोड़ को भी बहुत ही करीने से बेनकाब किया गया है।

इन प्रस्तुतियों में रंगकर्मी निधि मिश्रा, गौरी देवल, रचिता वर्मा, अमिताभ श्रीवास्तव, अमित सक्सेना, प्रकाश झा, हरिकेश मौर्य और सहज हरजाई ने अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। बेहतरीन संगीत चयन एवं संचालन राजेश सिंह और सहज हरजाई ने किया। रंग दीपन राघव प्रकाश मिश्रा ने किया। इस अवसर पर संतोष चौबे जी द्वारा सभी कलाकारों और तकनीकी टीम का हार्दिक स्वागत किया गया।

इस अवसर पर संतोष चौबे जी की कहानियों के अब तक हुए मंचन और पुस्तकों के लोकार्पण पर केंद्रित चित्रों की एक्जीबिशन भी प्रशांत सोनी, विक्रांत भट्ट, उपेंद्र पाटने, योगेश कुमार द्वारा लगाई गई। कहानी मंचन के दौरान मंच संचालन टैगोर नाट्य विद्यालय के सह निर्देशक विक्रांत भट्ट द्वारा किया गया। मंचन के दौरान पूरा सभागार दर्शकों से खचाखच भरा रहा।

उल्लेखनीय है कि कहानियों में कोई भी परिवर्तन किये बिना कहानियों के मंचन की इन अविस्मरणीय प्रस्तुतियों ने दर्शकों को अंत तक बाँधे रखा। बगैर किसी तामझाम के सिर्फ कलाकारों के बेहतरीन अभिनय कौशल से कहानियों के इस यादगार मंचन को लंबे समय तक याद किया जाएगा।


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