लक्ष्मी जयपोल

भावना

भावना एक जस्बात् है।
भावना एक एहसास है।
भावना दिल की कशिश है।

भावना एक पूरी दूनिया है।
भावना एक महासागर है।
भावना सकारात्मकता एवं नकारात्मकता का मेल है।
भावना का जागरण जीवन है।
भावना का लुप्त होना मृत्यु है।

भावनाओं को उज्ज्वलित करो।
भावनाओं से प्रेम करो।
भावनाओं से प्रश्न करो।
भावनाओं से जीवन अर्थयुक्त होता है।

भावनाओं से संप्रेषण करो।
भावनाओं का आदान-प्रदान करो।
भावना एक विश्वमंडल है।
भावना एक पूरा ब्रह्मांड है।

भावना एक विश्वकोश है।
रोज़ स्वयं की पहचान करो।
अपना खोजकर्ता बनो।
भावना प्रेमी बनो।

भावना हमारी आत्मा की भाषा है।
भावनाओं का नियंत्रण करना हमारा कर्तव्य है।
भावनाओं को बांटना ही जीवन है।
भावनाओं हमें नया जीवन प्रदान करता है।

भावनाओं की बारीश हमारा दिल में ही पैदा होती हैं।
भावनाओं से हमारी आत्मा प्यार और खुशी से भर जाती हैं।
प्यार, दया और नम्रता भावनाओं से हमारी आत्मा का पोषण करना है।
सकारात्मक भावनाओं से जीवन सकारात्मक होता है।

भावना ऊर्जा होती है।
भावनाओं शक्तिशाली होती हैं।
भावना जीवन है।
भावना हमें मनुष्य बनाती है।

भावनाओं लहरों की तरह होती हैं।
हमारी भावनाओं हमारे निर्णय को प्रभावित करती हैं।
भावनाएँ कभी झूठ नहीं बोलती हैं।
भावनाओं को हम पर हावी नहीं होनी चाहिए।

भावनाओं से आपके फैसलें धुंधलित नहीं होने चाहिए।
भावनाओं का मूल्य बांटने में होती हैं।
भावनाएँ एक संदेश देती है।
अनकही भावनाएँ आँसू में परिवर्तित होती हैं।

जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को छुपाता है, वह दूसरों की ज्य़ादा परवाह करता है।
भावना विद्वत जन अपनी भावनाओं को उत्तम ढ़ग से नियंत्रित करता है।
अनप्रेषित भावनाएँ कभी मरती नहीं हैं।
अपनी भावनाओं के अनुसार चलना है।

भावनाएँ पवित्र होती हैं।
भावनाएँ आती और जाती हैं।
अपनी भावनाओं की सीमा का सम्मान करो।
सशक्त सोच उत्तम भावनाओं से पैदा होती है।

मनुष्य भावनाओं का सागर है।
भावनाओं का सामना करना ही हमारा दायित्व है।
मनुष्य असीम भावनाओं से भरा होता है।
आनंदित मनुष्य अपनी दुखी भावनाओं को छुपाता है।

हमारी भावनाएँ हमारी दुश्मन भी होती हैं।
जीवन का उत्तम कर्म हमारी भावनाओं को नियंत्रित करना।
भावना प्रतिक्रिया है।
भावनाओं को सक्रिय कर्म में रत करना ही धर्म है।
उन भावनाओं से नई भावनाओं का सृजन होता है।

भावना की बुद्दिमता दूसरों से हमारी समझ और संप्रेषण को सरल बनाता है।
भावनाएँ संक्रामक होती हैं।
भावनाओं की मंडी नहीं होती है।
अपनी भावनाओं का संचार करना ही धर्म है।

भावनाओं को कर्मरत करना है।
भावनाओं को जागृत करना ही उत्तम कला का स्तर होता है।
हमारी सोच ही हमारी भावनाओं का नियंत्रक होती है।
भावनाएँ मानवता को सोचने का अधिकार दिया है।

भावना हमारी मन:स्थिति को संप्रेषित करती है।
भावनाएँ हमें जीवन की सीख देती है।
खुशी की भावना आँसू में भी दिखती है।
हमारी भावनाएँ हमारी मनोदृष्टि की झलक देती है।
हमारी सशक्त भावना का सशक्त प्रभाव होता है।

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