
पुस्तक : विश्रांति के पल
लेखक : आशुतोष कुमार
अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित वैश्विक पटल पर लंदन के कवि आशुतोष कुमार के काव्य संग्रह “विश्रान्ति के पल” का भव्य लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन जर्मनी की प्रसिद्ध शिक्षाविद पत्रकार, साहित्यकार एवं मीडिया प्रोफेशनल डॉ शिप्रा शिल्पी के संयोजन एवं संचालन में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वैज्ञानिक संचेतना के कवि कादम्बिनी के पूर्व संपादक एवं मैक्स म्यूलर सम्मान से सम्मानित पंडित सुरेश नीरव (भारत) ने की। सभी सम्मानित अतिथियों का स्वस्ति सत्कार करते हुए उन्होंने कहा नवीन पुस्तकें संभावनाओं के नए द्वार खोलती है। आइए खुले हृदय से आशुतोष जी के इस महत्वपूर्ण संग्रह का मिलकर स्वागत करें।
कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ शिप्रा शिल्पी ने विश्रांति के पल पुस्तक में संग्रहित दोहे को मधुर वाणी में गाकर किया।
“वीणा पुस्तक धारणी हंसवाहिनी आप,
नमन करूं मां आपको हर लो सारे पाप”
मां वीणा वादिनि को नमन करते हुए उन्होंने कहा आशुतोष जी का ये काव्य संग्रह दोहे , क्षणिकाओं,कविताओं एवं गीतों का मात्र एक संग्रह नहीं है वरन उनके जीवन के अनुभवों एवं भावनाओं का वो सार भी है, जो अनुभव जनित ज्ञान से तृप्त होकर शांति भी देता है और संस्कार भी। साथ ही इसे पढ़ते समय यूं लगता है जैसे टेम्स के किनारे बैठा कोई शांत साधक लहरों से आते जाते भावो को शब्दों में पिरो रहा हो। इसमें संग्रहित कविताएं शीर्षक की सार्थकता को पूर्णतः सिद्ध करती है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लंदन के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार पुरवाई पत्रिका के संपादक एवं कथा UK के संस्थापक,भारत के पद्मश्री सम्मान के समकक्ष ब्रिटेन के MBE सम्मान से सम्मानित श्री Tejendra Sharma ने कहा “आशुतोष सीखने में विश्वास रखते है और कुछ भी न लिखकर उन्होंने ग़ज़ल लिखने का प्रशिक्षण लिया है, जो उनके काव्य संग्रह में परिलक्षित होता है। इतना ही नहीं आशुतोष का लेखन सधा हुआ एवं गहन चिंतन युक्त है। वो प्रदर्शन से अधिक अपने क्राफ्ट पर ध्यान देते है और यही विशेषता उनके काव्य संग्रह को विशेष बनाती है। आशुतोष कम बोलते है किंतु बहुत अदब और सलीके से अपनी बात कहते है। वही सलीका विश्रांति के पल को पढ़ते हुए पाठक को सुकून का आभास कराएगा, ऐसा मेरा विश्वास है।”
आस्ट्रेलिया से मुख्य वक्ता आस्ट्रेलियांचल पत्रिका की संपादक, सुविख्यात गजलकारा DrBhawna Kunwar ने आशुतोष जी को शुभकामनाएं देते हुए उनकी पानी एवं कहर कविता को उद्धृत करते हुए दिए जलाते रहना ग़ज़ल का मधुर पाठ किया..
“फुर्सत के लम्हे जब यारों के साथ बिताओ
ओहदे अहम को दूर रख हंसते गाते रहना।”
उन्होंने कहा आशुतोष जी की कविताएं जीवन का सार्थक संदेश देती है।
इस अवसर पर आस्ट्रेलिया के अति प्रतिष्ठित कवि डॉ. प्रगीत कुँवर ने भी पुस्तक पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखते हुए कहा इस पुस्तक में आशुतोष जी ने जीवन के अनेकों रंग बिंबों एवं प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत किए हैं। तकनीकी क्षेत्र से होने के बाद भी काव्य की इतनी गहरी पकड़ होना आज के समय में कम ही देखने को मिलती है इसके लिए आशुतोष जी को साधुवाद। पुस्तक से उन्होंने एक क्षणिका का शानदार पाठ भी किया…
कितने रंगों से कर रखा है जिंदगी ने सराबोर मुझे,
क्या खाक रंगेंगे नापाक इरादों के दौर मुझे।
उन्होंने अपनी बात को विराम देते हुए कहा आशुतोष जी गाग़र में सागर भर देते है।
आजतक चैनल के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर सुप्रसिद्व कवि, गीतकार, लेखक श्री पंकज शर्मा ने भी इस विशेष अवसर पर वीडियो के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। उन्होंने कहा आशुतोष जी की साहित्यिक निष्ठा प्रणम्य है, उनका ये संग्रह राष्ट्रीयता, प्रेम, दर्शन मानवीय अनुभूतियों का अनुपम संगम है। मेरी आशा है उनकी ये कृति एक श्रेष्ठ साहित्यिक कृति बने।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता दुबई से अमृत प्रवाह मंच की संस्थापक, प्रसिद्ध लेखक डॉ Amrit Bisaria ने कहा ये संग्रह अपने शीर्षक को पूर्णतः सार्थक करता है। कविताओं में दर्शन, गीतों में माधुर्य, ग़ज़लों में प्रेम का संसार, दोहों में संदेश एवं क्षणिकाओं में समाज की सच्चाई एवं अनुभवों का सार संक्षेप दृष्टिगत होता है। उन्होंने कहा आशुतोष जी ने साहित्य के हर क्षेत्र को चुनने का सफल प्रयास किया है। निश्चित ही ये कृति पाठकों के हृदय को छुएगी।
कार्यक्रम के अंत में संस्था के अध्यक्ष पंडित सुरेश नीरव ने सभी दर्शकों का भरपूर स्वागत करते हुए कहा ये पुस्तक अभिव्यक्तियों का अनूठा संग्रह है। जब अभिव्यक्तियां अनुभूतियों की पगडंडी पर चलती है तो उसका प्रतिबिंब विश्रांति के पल के रूप में हमारे समक्ष आता है। मै विश्वास से कहता हूं अपने कथन एवं कहन की मौलिकता के कारण ये संग्रह समय के साथ अपना नाम लोगों के हृदय पर अंकित करेगा।
ज्ञातव्य हो इस पुस्तक को भारतीय उच्चायोग ब्रिटेन द्वारा लक्ष्मी मल्ल सिंघवी सम्मान से सम्मानित किया गया है। अद्विक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ये संग्रह आशुतोष कुमार का पहला काव्य संग्रह है।
कार्यक्रम में अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, कतर, काबुल, दुबई, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, भारत आदि देशों से 150 से भी अधिक दर्शकों ने कार्यक्रम को सराहा। दो हजार से भी अधिक कमेंट्स एवं लाइक्स के माध्यम से दर्शको ने कार्यक्रम को भरपूर प्यार दिया।
डॉ शिप्रा ने कार्यक्रम का अंत आशुतोष जी के शेर से करते हुए सभी को आगामी आने वाले त्योहारों की सभी को शुभकामनाएं दी।
गम हो या खुशी मुस्कुराते रहना,
त्योहारों के दिन है दिए जलाते रहना।
रिपोर्ट : डॉ शिप्रा शिल्पी, जर्मनी
