नई दिल्ली। 30 अक्तूबर 2025; साहित्य अकादेमी में आज लिथुआनियाई लेखक यारोस्लावास मेलनिकस के कहानी संग्रह के हिंदी अनुवाद ‘अंतिम दिन’ का लोकार्पण  कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत में लिथुआनिया गणराज्य की राजदूत महामहिम दियाना मित्सकेविचेने, साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और प्रख्यात हिंदी लेखिका ममता कालिया उपस्थित थे। पुस्तक की हिंदी अनुवादिका रेखा सेठी भी इस अवसर पर उपस्थित थी।

अपने स्वागत वक्तव्य में अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि हर संस्कृति में उपलब्ध कहानियों की परिस्थितियाँ अपने पात्रों को नियंत्रित करती हैं। इस कहानी संग्रह की कहानियों पर आध्यात्मिकता और दर्शन का व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है। कई जगह ऐसा लगता है कि हमारी स्वतंत्रता भी परिस्थितियों के वश में होती है।

विशिष्ट अतिथि महामहिम दियाना मित्सकेविचेने ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह अनुवाद दोनों देशों के संबंधों को और आत्मीय बनाएगा। किन्हीं भी दो देशों के बीच मित्रता का सबसे बड़ा सेतु भाषा होती है और इसको हम आज यहाँ साकार होता हुआ देख रहे हैं। उन्होंने पुस्तक के लेखक यारोस्लावास मेलनिकस का संदेश भी पढ़कर सुनाया जिसमें लेखक का मानना था कि वह भारत की आध्यात्मिकता और दर्शन से काफी प्रभावित है। उन्हें इस अनुवाद पर भारतीय पाठकों की प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतजार है।

अनुवादिका रेखा सेठी ने कहानियों के मानवीय बोध और परिवेश का भारतीय समाज से समान मानते हुए कहा कि इन कहानियों में हम यह महसूस कर सकते हैं कि अभाव जीवन के सौंदर्य को कैसे नष्ट करते हैं। उन्होंने इन कहानियों को पढ़ते हुए मुक्तिबोध, निर्मल वर्मा एवं कुँवर नारायण की याद आने की बात भी कही।

ममता कालिया ने कहा कि इस संग्रह की सभी कहानियाँ भारतीय मानसिकता को स्पर्श करती हैं और इनमें आधुनिकता और प्रचलित विश्वास के सम्मिश्रण से एक नया नवाचार नजर आता है। उन्होंने संग्रह की एक कहानी ‘लेखक’ का उल्लेख करते हुए कहा कि कई बार लेखक जो किरदार बनाता है, वह उससे आगे निकल जाता है और चरित्र पीछे ही रह जाता है।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि इस संग्रह के लेखक विज्ञान को कला सिद्ध करने वाले लेखक हैं। उन्होंने अपने समाज के कड़वे यथार्थ को प्रस्तुत करने के लिए फैंटेसी का इस्तेमाल किया है जो कि कई बार आवश्यक होता है। वर्तमान समय में अनुवादक समय और सीमा के प्रतिबंध को खत्म करने वाले सबसे बड़े दूत हैं। कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया।

(के. श्रीनिवासराव)

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