
दिनांक 01.11.2025 को नई दिल्ली के आईटीओ स्थित प्रवासी भवन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् एवं वैश्विक हिंदी परिवार के संयुक्त तत्वावधान में मारीशस गणतंत्र के पूर्व माननीय राष्ट्रपति महामहिम श्री पृथ्वीराजसिंह रूपन, जीसीएसके तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती संयुक्ता रूपन के हार्दिक स्वागत के उपलक्ष्य में ‘Bonds Beyond Borders’ अर्थात् “सीमाओं से परे संबंध – भारत और मारीशस” शीर्षक के अंतर्गत एक संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता के दायित्व का निर्वहन राजदूत एवं अंतरर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् के अध्यक्ष श्री विनोद कुमार ने किया। विशिष्ट वक्ता के तौर पर अंतरर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् के महासचिव श्री श्याम परांडे तथा सानिध्य प्रदान कर रहे अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् के मानद निदेशक श्री नारायण कुमार मंच पर विराजमान रहे। निवेदक की भूमिका का वहन अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् के सचिव प्रो॰ गोपाल अरोड़ा एवं हिंदी परिषद् परिवार के मानद निदेशक श्री विनयशील चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से किया। संचालन का कार्यभार पूर्व राजनयिक एवं शिक्षाविद् श्रीमती सुनीता पाहूजा के सशक्त हाथों में रहा।
कार्यक्रम का आरंभ मंचासीन गणमान्य विभूतियों को अंगवस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। तत्पश्चात्, अपने कुशल और अनूठे अंदाज में संचालिका ने क्रमबद्ध तरीके से मंचासीन विभूतियों एवं सभागार में उपस्थित जनसमुदाय के मध्य विराजमान कुछ चुनिंदा हस्ताक्षरों को आज की संगोष्ठी के विषय पर अपने-अपने उदगारों के लिए आमंत्रित किया।
मारीशस के पूर्व राष्ट्रपति माननीय महामहिम श्री पृथ्वीराजसिंह रूपन, जीसीएसके ने अपने जीवन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से उदृधत कुछ पहलुओं को श्रोताओं को अवगत कराते हुए भारत और मारीशस के मध्य समय के अंतराल के साथ प्रगाढ़ होते संबंधों को विस्तृत जानकारी सहित व्याख्यायित किया। उन्होंने मारीशस के गठन, भारत से वहां की धरती पर आकर आवासित गिरमिटिया मजदूरों के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर भी प्रकाश डालने के साथ-साथ गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ अनकहे अनसुने अनछूए पहलुओं को भी रेखांकित करते हुए अपने वक्तव्य को विराम दिया।
राजदूत श्री विनोद कुमार ने मारीशस में अपने अधिकारिक प्रवास के दौरान अर्जित किए गए आधारभूत प्रकरणों के माध्यम से वहां आवासित गिरमिटिया मजदूरों के जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पक्षों को सारगर्भित संदर्भ से दृष्टिगोचर प्रस्तुत किया।
गहन अध्ययन और चिंतन के धनी तथा तत्वरित सामाजिक परिवेश के पहलुओं को अपनी विस्मृतियों से उकेरकर प्रस्तुत करने को सक्षम एनसाइक्लोपीडिया श्री नारायण कुमार ने अपने संक्षिप्त उदगारों के द्वारा मारीशस में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन के प्रकरणों और पहलुओं से श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करके वहां के परिप्रेक्ष्य से ज्ञानार्जन किया। साथ ही, गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ अनकहे-अनसुने पक्षों पर ध्यानाकर्षण जानकारी उपलब्ध कराते हुए वहां की सभ्यता और संस्कृति पर भी मार्गदर्शन प्रदान किया।
जहां बीच-बीच में श्रीमती सुनीता पाहूजा ने भी मारीशस में अपने राजनयिक प्रवास के दौरान प्राप्त हुए अनुभवों और उससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण पक्षों पर जानकारी प्रदान की।
रंगकर्मी श्री महेन्द्र प्रसाद सिंह ने चम्पारण के 100 वर्ष की जयंती की ओर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा। वहीं अपने अतिसंक्षिप्त उदबोधन के माध्यम से प्रो॰ गोपाल अरोड़ा ने समयावधि को ध्यान में रखते हुए भारत और मारीशस के संबंधों की प्रगाढ़ता पर प्रसन्नता जताई।
सभागार की श्रोता-दीर्घा में विराजित देश-विदेश के विभिन्न शहरों और क्षेत्रों से पधारे विद्वतजनों में मुकेश अग्रवाल, डॉ अशोक बत्रा, डॉ राकेश पाण्डेय, अनीता वर्मा सेठी, विनयशील चतुर्वेदी, महेंद्र प्रसाद सिंह, गोविंद अहलूवालिया, डॉ दीप्ति अग्रवाल, मुद्गल, नवीन कुमार नीरज, कुमार सुबोध इत्यादि प्रमुख रहे।
श्री नारायण कुमार द्वारा कार्यक्रम में पधारे सभी विद्वतजनों एवं आगंतुकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए धन्यवाद और आभार ज्ञापित करने के पश्चात् यह भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।






— कुमार सुबोध, ग्रेटर नोएडा वेस्ट।
