28 सितम्बर 2025 को वैश्विक हिन्दी परिवार, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा एवं भारतीय भाषा मंच के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय स्तर पर, आभासी पटल पर, एक नि:शुल्क हिन्दी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। इस प्रतियोगिता में कर्नाटक से लगभग 300 छात्रों ने भाग लिया था जिसमें मंगळूरु विश्वविद्यालय के द्वितीय वर्ष स्नातकोत्तर (हिन्दी) के छात्र श्री प्रसाद एवं बेंगळूरु में स्थित जैन (मानद विश्वविद्यालय) के स्नातक (प्रबंधन) के छात्र आर. सुहेब, दो छात्रों को पूर्णांक प्राप्त हुए। 26 अक्तूबर 2025 को इन छात्रों के लिए एक अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया था। इस समारोह को बेंगळूरु के प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य साधक मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था। साहित्य साधक मंच के स्थापक अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद चंद मर्मज्ञ, ख्यात कवि एवं साहित्यकार, ने इन छात्रों के लिए रु. 2500 की नकद राशि प्रदान की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे सेवानिवृत्त कर्नल  टी. ए. गुरुराज, विशिष्ट अतिथि थे डा. मिलनसार अहमद जो बेंगळूरु आकाशवाणी से निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। दोनों छात्रों के अध्यापक भी उपस्थित थे। डा. सुधा गदग, सहायक प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, जैन (मानद विश्वविद्यालय)  एवं श्री रामकृष्ण के. एस., सहायक प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, सरकारी महाविद्यालय, सुळ्या, कर्नाटक। कार्यक्रम में भारी मात्रा में लोग एवं छात्र उपस्थित थे। श्री ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी द्वारा एक औपचारिक स्वागत के पश्चात् सुश्री नर्मदा कुमारी, वरिष्ठ अनुवादक एवं सक्रिय भाषाकर्मी ने वैश्विक हिंदी परिवार एवं इस प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के संदर्भ में एक विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया।

डा. मैथिली पी. राव, शिक्षाविद् एवं स्वतंत्र अनुवादक ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा, इसकी तैयारी, चुनौतियां एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता की उपलब्धियों को प्रकाशित किया। पुरस्कृत छात्रों को शाल, हार, पुष्पगुच्छ, नकद राशि एवं प्रमाण पत्र की एक प्रति को प्रदान किया गया। अध्यापकों को भी शाल, पेटा, हार एवं एक स्मृति चिह्न के माध्यम से सम्मानित किया गया। छात्रों एवं अध्यापकों ने कुछ शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

मुख्य अतिथि कर्नल (से. नि.) टी. ए. गुरुराज ने अपने वक्तव्य में हिन्दी के महत्व एवं इस प्रकार के प्रतियोगिताओं की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए।

अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने इस प्रतियोगिता की सफ़लता के लिए वैश्विक हिन्दी परिवार, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा एवं भारतीय भाषा मंच की प्रशंसा करते हुए व्यक्त किया कि युवा पीढी को भाषा एवं साहित्य के प्रति आकर्षित करने के लिए प्रौद्यौगिकी का सहारा लेना आवश्यक है क्योंकि यह माध्यम  हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू में समाविष्ट है और बेहतर है कि हम इससे दोस्ती करें और अपने लाभ के लिए इसका उपयोग करें। उन्होंने पुन: विजेताओं को बधाई देते हुए, सभा में उपस्थित सभी प्रतिभागियों, वैश्विक हिन्दी परिवार को शुभकामनाएं समर्पित करते हुए कार्यक्रम को संपन्न किया।

रिपोर्ट: डॉ. मैथिली पी. राव एवं नर्मदा कुमारी

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