
आज मन हर्षित भी है और उल्लसित भी। वरिष्ठ रचनाकार व्यास सम्मान से सम्मानित व इस वर्ष साहित्य आजतक के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित चित्रा मुद्गल जी का जन्मदिन उनके साथ मनाया । चित्रा मुद्गल जी , एक ऐसी रचनाकार जिनकी कृतियाँ, जिनकी कहानियों के पात्र अपने से तो लगते ही हैं साथ ही प्रेरक भी हैं । आज हमारी उन्हीं चित्रा दी का जन्मदिन चेतनामयी संस्था की प्रबुद्ध महिलाओं ने मनाया । ये मेरा सौभाग्य है कि पिछले तीन बरसों से आज के दिन मैं चेतनामयी के नेह से सराबोर कार्यक्रम का हिस्सा रहीं हूँ और यह भी चेतनामयी संस्था हमेशा साहित्य व समाज को समर्पित संस्था है जिसमें समय समय अन्य आयोजनों के साथ-साथ पुस्तकों पर भी चर्चा होती रहती है । इसी कड़ी में आज हास्य व्यंग्य कवयित्री निशा भार्गव की सद्यः प्रकाशित पुस्तक खरी खोटी के लोकार्पण व उस पर चर्चा की गई । अध्यक्षता आदरणीय दी चित्रा मुद्गल जी ने की। डॉ दिविक रमेश जी ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि लेखिका हर बार कुछ नया लिखकर स्वयं के लिए चुनौतियाँ खड़ी करती हैं । चित्रा मुद्गल जी के साहित्य व सानिध्य पर भी उन्होंने अपनी बात रखी ।डॉ अमरनाथ अमर ने कहा कि निशा भार्गव की कविताओं में सभी तरह के विषय होते हैं और निशा भार्गव अपनी कविताओं के माध्यम से समाज के हर पक्ष पर सटीक टिप्पणी करती हैं उन्होंने निशा भार्गव की एक कविता भी पढ़ी । मंच संचालन करते हुए मैंने निशा भार्गव जी के लेखन व विस्तार के बारे में बताते हुए कहा कि मुहावरों और सटीक व्यंग्य के माध्यम से वह नई पीढ़ी को फूहड़ मंचीय कविताओं से इतर कुछ सशक्त संदेश देती हैं। उल्लेखनीय है कि इस पुस्तक की भूमिका कवि, व्यंग्यकार अनिल जोशी जी ने लिखी है जिसमें से कुछ अंश मैंने पढ़े।


अनीता वर्मा
