
मोहन राकेश की पुण्यतिथि पर ‘मोहन राकेश नई कहानी के सशक्त हस्ताक्षर’ पर कार्यक्रम का आयोजन
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी संगठन नीदरलैंड ने अपनी मासिक हिन्दी साहित्य के कार्यक्रम की क्षृंखला में 6 दिसंबर 2024 को स्वर्गीय मोहन राकेश की पुण्यतिथि पर ‘मोहन राकेश नई कहानी के सशक्त हस्ताक्षर’ पर कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार, लेखक व फ़िल्म निर्माता राजेश बादल, वरिष्ठ साहित्यकार व सदस्य केन्द्रीय संस्थान आगरा, वरिष्ठ साहित्यकार व पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, वरिष्ठ कथाकार एंव पटकथा लेखक डॉ.रवींद्र कात्यायन, प्रोफ़ेसर डॉ. प्रकाश चीकुर्डेकर पूर्व प्रधानाचार्य एंव शोध निदेशक यशवंत राव चव्हाण महाविद्यालय वारणा कोल्हापुर, डॉ.अनिल कुमार शर्मा शिक्षा अधिकारी भारतीय विद्या भवन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन अंतरराष्ट्रीय हिन्दी संगठन नीदरलैंड की अध्यक्ष डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे ने किया। वरिष्ठ साहित्यकार व लेखक प्रो.राजेश कुमार ने मोहन राकेश के सृजन के तत्कालीन व्यक्तिवादी, अनुभव व सामाजिक परिस्थितियों के विषय में बताते हुए कहा कि जो विषय अभी तक समाज के सामने नहीं आए थे वह उन्होंने अपनी नई कहानी आन्दोलन के माध्यम से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जिस कारण इनका लेखन अन्यों से विशेष रहा।
वरिष्ठ पत्रकार व फ़िल्म निर्माता राजेश बादल ने मोहन राकेश के प्रसिद्ध नाटक ‘आधे -अधूरे की तात्कालिक और वर्तमान में प्रासंगिकता के विषय में बताते हुए कहा’ मोहन राकेश ने आज़ादी के बाद समाज में आई पारिवारिक चटकन को मध्यम वर्ग की कुंठा, सोच, चिंता को भारतीय समाज के समक्ष पहली बार प्रस्तुत किया। यह लड़ाई उस समय जितनी प्रासंगिक थी आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।
प्रोफ़ेसर डॉ पुनीत बिसारिया जी ने मोहन राकेश के सृजन का हिन्दी साहित्य ममें योगदान के विषय में बताते हुए कहा, “मोहन राकेश, राजेंद्र यादव और कमलेश्वर जी के साथ समानतर कहानी के सशक्त हस्ताक्षर रहे हैं। किन्तु यह विडंबना ही रही कि उन्हें नाटककार के रूप में ही अधिक पहचाना जाता है। उन्होंने आषाढ़ का एक दिन के माध्यम से पौराणिक को आंधुनिकता में देखा और समाज को दिखाया जो बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। उन्होंने सिर्फ़ नाटक ही नहीं बल्कि कहानियाँ, बाल साहित्य, उपन्यास भी लिख कर हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की।
वरिष्ठ कथानकार और पटकथा लेखक डॉ रवींद्र कात्यायन ने मोहन राकेश के समग्र सृजन में स्त्री पुरुष के संबंधों के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा-आज़ादी के बाद की, सामाजिक, राजनीति और आर्थिक परिस्थितियों के कारण दाम्पत्य जीवन जो बदलाव, पारिवारिक परिस्थितियों से संघर्ष, मानवीय मूल्यों की कमी, एक परिवार इसी मनोवैज्ञानिकता स्त्री -पुरूष के अधूरे पन को मोहन राकेश ने अपने निजी जीवन में भी देखा और यहीं उन्होंने अपने सृजन में देखने को मिलते है।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफ़ेसर डॉ. प्रकाश चीकुर्डेकर ने मोहन राकेश के सृजन में प्रेम तत्व के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि उन्होंने ‘इंसान के ख़ंडहर, फ़ौलाद, कहानी संग्रह और बंद अँधेरे कमरे, उपन्यास, उर्मिला कहानी, कबंल कहानी, पहचान कहानी आदी में जिसमें पहला परिवारिक प्रेम और दूसरा राष्ट्र प्रेम, राजनीतिक प्रेम, प्राकृतिक प्रेम, संस्कार और भावनात्मक प्रेम, सौन्दर्य प्रेम, विधवा स्त्री के प्रेम, मानवीय प्रेम को उन्होंने गीतों के माध्यम से पाठकों के समक्ष रखा। इस प्रकार उन्होंने तैंतीस प्रकर के प्रेम के विषय में बताया है।
कार्यक्रम के अंत में डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे ने कार्यक्रम में उपस्थित व आभासी पटल से जुड़े सभी दर्शकों का भी बहुत आभार व्यक्त किया। यह कार्यक्रम एक सफल कार्यक्रम के रूप में संपन्न हुआ।
रिपोर्ट : डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे नीदरलैंड, अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय हिन्दी संगठन, नीदरलैंड