जे. कृष्णमूर्ति की पुस्तकों पर परिचर्चा आयोजित

दिल्ली। प्रसिद्ध दार्शनिक और विचारक जे. कृष्णमूर्ति की पुस्तकों पर विश्व पुस्तक मेला प्रांगण में एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने उनके विचारों और शिक्षाओं पर गहन विमर्श किया। राजपाल एंड संज़ के स्टॉल पर कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजय ने किया, जिन्होंने कृष्णमूर्ति की पुस्तकों की सरलता और उनके आकर्षक शीर्षकों पर प्रकाश डाला। परिचर्चा के दौरान विजय छाबड़ा ने विचारों की स्पष्टता पर जोर देते हुए कहा कि हम प्रायः मौलिक प्रश्नों से बचते हैं और अपने मत को सत्य मान लेते हैं, जबकि संवाद की प्रक्रिया में पूर्वाग्रह मुक्त होकर एक-दूसरे को सुनना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि “प्रश्न में ऊर्जा होती है, जबकि उत्तर अक्सर पुराने अनुभवों पर आधारित होते हैं। कृष्णमूर्ति इसी विचार को अपनाते हैं और प्रश्न पूछने की महत्ता को स्वीकारते हैं।” मीरा जौहरी ने कृष्णमूर्ति की पुस्तकों की शैली पर चर्चा करते हुए बताया कि ये पुस्तकें प्रश्नोत्तर के रूप में लिखी गई हैं, जो पाठकों को गहन चिंतन की ओर प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा कि संवाद केवल दो लोगों के बीच ही नहीं, बल्कि एक बड़े समूह के बीच भी संभव है, बशर्ते वह निष्पक्ष और खुले विचारों से संपन्न हो। परिचर्चा के अंत में मीरा जौहरी ने सभी वक्ताओं और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
चंद्रशेखर चतुर्वेदी
राजपाल एन्ड संज़
नई दिल्ली

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