स्पेन में हिन्दी

– पूजा अनिल

मैं यह मानती हूँ कि भाषाएँ नदी की धारा की तरह होती हैं, जहाँ राह मिल गई, उसी तरफ आबाद हो जाती हैं। हमारी प्रिय भाषा हिन्दी भी इस नियम का अपवाद नहीं है। भारत भूमि से निकल कर भारतीय मूल के प्रवासी यात्री  विश्व में जिस किसी देश में जा बसे, हिन्दी भाषा वहाँ विकसित हो गई और अब दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहाँ हिन्दी भाषी न मिलें! इसी तरह यूरोप के दक्षिण पश्चिम में बसे एक छोटे से उपमहाद्वीपीय देश स्पेन में भी अनेक प्रवासी भारतवंशियों तथा कुछ विदेशी मूल के लोगों द्वारा हिन्दी भाषा प्रचुरता से लिखी पढ़ी, सुनी और बोली जाती है।

जनसंख्या का भाषा से संबंध

स्पेन की भौगोलिक स्थिति से यहाँ की जलवायु लगभग मध्य भारत के पठारी मैदानी मौसम के अनुरूप कही जा सकती है, जहाँ सर्दियों में अत्यधिक शीत एवं गर्मियों में अत्यधिक उच्च तापमान अनुभव किए जाते हैं। अतः भारत देश में उत्तर मध्य राज्यों के निवासी भारतीयों हेतु स्पेन उपयुक्त जलवायु वाला देश है। संभवतः इसी कारण से स्पेन में भारतीय महाद्वीप के लोगों की प्रचुरता है। इसमें पाकिस्तान बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत और श्रीलंका के निवासियों को भी गिना जा सकता है। भारत से स्पेन आनेवाले मुख्यतः पंजाब, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू और केरल के निवासी होते हैं। इन राज्यों में से राजस्थान और मध्य प्रदेश में हिन्दी प्रमुख भाषा के रूप में प्रयोग की जाती है, जबकि उपरोक्त बाकी सभी राज्यों में अपनी अपनी प्रमुख भाषा एवं बोली है और उस प्रदेश के लोग उसी बोली में बात करने में सहज रहते हैं। किन्तु यह भेद स्पेन आने के बाद धीरे धीरे मिटने लगता है और चाहे जिस किसी प्रदेश से आए हुये लोग हों, वे भारतीय मूल के अन्य लोगों से सहजता से हिन्दी में बात करना आरंभ कर देते हैं। 

भौगोलिक दृष्टि से स्पेन के तटीय क्षेत्र बेहद विकसित एवं सघन जनसंख्या क्षेत्र हैं, इसका मुख्य कारण पर्यटन, वाणिज्य तथा व्यापार हेतु जलीय पोर्ट की उपलब्धता है, जिससे यहाँ के निवासियों को व्यापार करने और धनोपार्जन में यथोचित सहायता मिलती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुये भारतीय मूल के प्रवासी भी ऐसे प्रमुख वाणिज्यिक क्षेत्रों में बसने को तत्पर रहते हैं और भारतवंशियों की घनी आबादी स्पेन केतटीय क्षेत्र में अधिकाधिक देखने को मिलती है। यदि इस अनुपात में देखा जाये तो जितनी अधिक भारतीय जनसंख्या, उसी अनुपात में हिन्दी का वर्चस्व उस क्षेत्र में देखने सुनने को मिलता है। जैसे बार्सेलोना में आपको राह चलते हुये हिन्दी वार्तालाप सुनने को मिल जाये तो कोई आश्चर्य न होगाक्योंकि वहाँ स्पेन में बसने वाली सर्वाधिक भारतीय जनगणना है, करीब 20.875  व्यक्ति। राजनीतिक भूखंडों के अनुसार स्पेन में 17 स्वायत्तशासी राज्य तथा 2 स्वायत्तशासी शहर हैं। इन सभी राज्यों तथा शहरों में साल 2022 तक कुल 53056* भारतीय व्यक्तियों की आबादी की गणना की गई।

*ref – https://epa.com.es/padron/hindues-en-espana/

जब विदेश में एक बड़ी संख्या प्रवासियों की मिलती हो तो निश्चित ही उनकी भाषा का स्वरूप उस भूभाग में प्रबल होने लगता है। बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में स्पेन में आकर बसे कुछ गिने चुन भारतीय परिवारों से बढ़ते बढ़ते आज एक बड़ी मात्रा में भारतीय जनसंख्या स्पेन में हिन्दी भाषा के विस्तृत स्वरूप से परिचय करवाती है। चाहे वे अहिन्दीभाषी क्षेत्र से ही क्यों न सम्बन्ध रखते हों, स्पेन आकर अधिकांश लोग हिंदी बोलने के आदि हो जाते हैं,इससे हिन्दी सीखने के आधार को भी समुचित बल मिलातथा इन हिंदी सीखने वालों में विदेशी नागरिक भी सम्मिलित हो जाते हैं।

स्पेनिश लोग हिन्दी क्यों सीखते हैं?

इस सवाल का उत्तर जानना बेहद आवश्यक है क्योंकि भविष्य में यही उत्तर भारत और स्पेन के संबंधों को मजबूत बनाने का आधार बनेगा. अधिकांश स्पेनिश मूल के व्यक्ति व्यापार एवं वाणिज्य में उत्तरोत्तर बढ़ती गतिविधियों के कारण हिन्दी सीखने को प्रेरित हुये हैं। कालांतर में भारत एवं स्पेन के मध्य अनेक द्विपक्षीय व्यापार विनिमय संधियों के तहत दोनों देशों के सांस्कृतिक – वाणिज्यिक संबंध अत्यंत मधुर एवं पुष्ट बने हैं, जिससे दोनों देशों के बीच कई तरह के विपणन मार्ग खुले, जिनमें से भारत से स्पेन को निर्यात होने वाले कुछ प्रमुख मद हैं, ‘अध्यात्म, योग, संगीत – नृत्य कला, फिल्म, मसाले, अन्न, सूत- कपास, कपड़ा बाज़ार एवं इस्पात।’ इन सब वाणिज्यिक मदों के साथ साथ हिन्दी और संस्कृत भाषा भी स्पेनिश व्यापारियों को आकर्षित करने लगी, जिससे वे भारतीय बाज़ार में आसानी से व्यापार विनिमय करने हेतु अपने पैर जमा सके।

इसके अलावा हिन्दी / बॉलीवुड फिल्मों का आकर्षण भी एक अन्य प्रमुख आकर्षण रहा है कि स्पेनिश लोग हिन्दी सीखना चाहते हैं। हिन्दी गाने, हिन्दी फिल्मों के संवाद और कुछ भारतीय फिल्मी कलाकार स्पेनिश लोगों को बेहद प्रिय हैं, अनेकों बार इसी के चलते वे हिन्दी सीखने को तत्पर हो जाते हैं।

एक अन्य बेहद लोकप्रिय कारण है हमारे धार्मिक ग्रंथ, रामायण तथा श्रीमद भगवद गीता। स्पेन में इन ग्रन्थों की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन ग्रन्थों का स्पेनिश अनुवाद कई कई बार किया गया है और साथ ही समय समय पर रामायण के मंचन की व्यवस्था भी की जाती रही है। दूसरी तरफ आप कई स्पेनिश लोगों को आप गीता के सिद्धांतों के बारे में बात करते हुये सुनते हैं। वे लोग न केवल गीता पढ़ते हैं बल्कि जीवन में गीता के दर्शन को समझने और अपनाने का प्रयत्न भी पूर्ण ह्रदय से करते हैं,कर्म का सिद्धान्त उनमें से सर्वाधिक उद्धृत किया जाने वाला सिद्धान्त है।

कुछ अन्य कारणों में से एक अन्य प्रमुख कारण है भारतीय साहित्य का स्पेनिश अनुवाद उपलब्ध होना। हिन्दू ग्रन्थों के अलावा भारतीय साहित्य में से प्रेमचंद एवं गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर रचित साहित्य का सबसे अधिक स्पेनिश अनुवाद किया गया है। जिसे स्पेनिश लोग पढ़ते और समझने की निरंतर कोशिश करते हैं।

स्पेन में हिन्दी अध्ययन कहाँ?

मुझे हिन्दी शिक्षण में सबसे अधिक प्रभावी कदम के तौर पर, स्पेन में रहने वाली महिलाओं द्वारा अपने बच्चों को हिन्दी भाषा ज्ञान देना, लगता है। स्पेन में भारतीय मूल की कई महिलाएं हैं जो घरेलु स्तर पर न केवल अपने बच्चों को बल्कि अन्य बच्चों को भी हिन्दी पठन पाठन द्वारा अपनी भाषा तथा संस्कृति से परिचित करवा रही हैं। सप्ताह में छुट्टी के एक दिन समय निकाल कर बच्चे हिंदी पढ़ते हैं और हिंदी भाषा सीख कर गर्वित अनुभव करते हैं,और उनके इस सार्थक प्रयास के प्रति मैं उन माताओं का हार्दिक अभिनंदन करना चाहूंगी कि वे हमारी नई पीढ़ी के भीतर अपने मूल से जुडने का गौरव और सांस्कृतिक मूल्यों का बीज बो रही हैं।

मार्च 2003 में स्थापित कासा दे ला इंडिया** समूह भारत एवं भारतीय भाषा संस्कृति को प्रचारित करने हेतु कार्य करने वाली स्पेन की जानी मानी संस्थाएं हैं।

कासा दे ला इंडिया स्पेन में स्थित भारत और स्पेन के संबंध मजबूत करने के लिए गठित संस्था है। इसमें न केवल राजनीतिक तथा वाणिज्यिक बल्कि सांस्कृतिक संबंध पुख्ता बनाने हेतु भी विभिन्न आयामों के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें जन-सहभागिता भी रहती है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाओं का स्पेनिश अनुवाद इस संस्था का एक प्रमुख प्रोजेक्ट रहा है। इसके अलावा भारत देश की संस्कृति को समर्पित कार्यक्रम आयोजित करने में यह संस्थान अग्रणी भूमिका निभा रहा है। हाल ही में आयोजित कविता कृष्णमूर्ति संगीत संध्या, मालिनी अवस्थी नृत्य संध्या तथा राजस्थानी मांगणियार लोक गायकों की  संगीत संध्या का उच्चस्तरीय सांस्कृतिक प्रदर्शन इसके तात्कालिक उदहारण हैं।

** https://www.casadelaindia.org/

इस संस्था द्वारा स्पेन के वायादोलिद एवं माद्रीद शहरों में भारतीय संस्कृति से संबन्धित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, योग एवं अध्यात्म की कक्षाएं चलाई जाती हैं, जिनमें भारतीय मूल के लोग तथा स्पेनिश जन अध्ययन करते हैं। इसके अलावा स्पेन की भूतपूर्व राजधानी वायादोलिद शहर में वायादोलिद विश्वविद्यालय में आईसीसीआर (भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद) की एक हिन्दी भाषा की चेयर स्थापित है, जहां मुख्यतः हिस्पानी लोग हिन्दी पढ़ते हैं। इस चेयर का कार्यकाल 2 वर्ष है, अतः शिक्षक प्रति दो वर्ष में बदल जाते हैं। वर्तमान में 2019 के पश्चात कोई हिन्दी शिक्षक नहीं आए हैं।

स्पेन की वर्तमान राजधानी मद्रीद के कोम्प्लूतेंसे विश्वविद्यालय में कुछ वर्ष पूर्व तक हिन्दी का अध्यापन चला करता था, किन्तु कुछ वर्षों से वहाँ हिन्दी का कोई कोर्स नहीं दिया जा रहा है, मैंने उनसे संपर्क करके पता करने का प्रयास किया तो बताया गया कि विद्यार्थियों की अनुपलब्धता के कारण वर्तमान में वहाँ हिन्दी शिक्षण स्थगित किया गया है। भविष्य में यदि एक कक्षा चलाने लायक विद्यार्थी उपलब्ध हुये तो हिन्दी शिक्षण पुनः आरंभ किया जाएगा।

¨हिन्दी गुरुकुल स्पेन¨ हिन्दी भाषा एवं संस्कृति को समर्पित एक अन्य प्रमुख संस्थान है। पिछले कुछ वर्षों में विदेशी मूल के विद्यार्थियों हेतु हिन्दी अध्ययन के लिए यह सर्वाधिक उपयुक्त संस्थान के रूप में उभरा है। हिन्दी दिवस के आयोजन, काव्य गोष्ठी, कथा गोष्ठी, साक्षात्कार, विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहभागिता कर ¨हिन्दी गुरुकुल स्पेन¨ हिन्दी को समर्पित अनेक गतिविधियों द्वारा हिन्दी को एक नया स्थान एवं आयाम प्रदान करने में सफल रहा है। 

भारतीय राजदूतवास द्वारा समय समय पर हिन्दी अध्ययन के निम्न समयावधि के पाठ्यक्रम  आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा कुछ भारतीय मूल के हिन्दी शिक्षक स्वतंत्र तौर पर हिन्दी शिक्षण कर रहे हैं।

**http://www.casadelaindia.org/

स्पेन में हिन्दी सीखने में आने वाली कठिनाई 

आपके प्रवास स्थान में जिस भाषा में बात की जाती है, वह भाषा यदि आपकी मातृभाषा से ज़रा भी बहनापा न रखती हो तो सबसे पहली समस्या तो संवाद की आती है कि किस तरह वहाँ के मूल निवासियों से संवाद स्थापित हो? जब मैं स्पेन आई तो यही समस्या मेरे सामने भी आई थी। स्थानीय जनता स्पेनिश भाषा से अधिक कोई अन्य भाषा नहीं जानती थी और न ही किसी अन्य भाषा को सीखने के प्रति अतिउत्साहित थी। अतः स्पेनिश भाषा ज्ञान अर्जित करना मेरे लिए प्रथम कार्य था। और यही सलाह में आगे आने वाले हिन्दी अध्यापकों को देना चहुंगी कि आप जिस भूभाग में हिन्दी शिक्षण के लिए जाएँ, वहाँ की भाषा के साथ मित्रता करना न भूलें! दो अलग अलग जुबान में संवाद स्थापित करने हेतु कम से कम स्पेन में रहने वाले  हिन्दी शिक्षक को स्थानीय भाषा ज्ञान अर्थात स्पेनिश भाषा ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।

स्पेन में रहने वाले हिन्दी विद्यार्थियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है एक श्रेष्ठ हिन्दी शिक्षक की तलाश। आधे अधूरे हिन्दी भाषा ज्ञान के साथ कुछ लोग हिन्दी पढ़ाने को तत्पर हो जाते हैं और वे विध्यार्थी को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं। इस वजह से हिन्दी के अनेक शिक्षकों को आजमाते हुये कई बार विदेशी विद्यार्थी हताश होकर हिन्दी भाषा अध्ययन का त्याग कर देते हैं। हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाये अथवा रोमन लिपि में? लिपि के अंतर को भी हिन्दी सीखने हेतु एक बड़ी चुनौती माना जा सकता है। 

इसके बाद बड़ी समस्या है एक निश्चित पाठ्यक्रम की उपलब्धता! क्योंकि अधिकतर शिक्षक गण स्वयं हिन्दी भाषा और व्याकरण से पूर्ण तौर पर परिचित नहीं होते एवं न ही वे योग्य शिक्षा प्राप्त अध्यापक होते हैं, अतः उनके पास हिन्दी का कोई सुनिश्चित पाठ्यक्रम भी उपलब्ध नहीं होता है, और यह एक दूसरा प्रमुख कारण है कि विद्यार्थी हिन्दी से दूरी बनाना आरंभ कर देते हैं।

स्पेन के हिन्दी विद्यार्थियों के लिए एक अन्य मुख्य समस्या है अत्यधिक महंगे दाम में मिलने वाली हिन्दी की प्राइवेट कक्षाएं। यदि आपको किसी वजह से स्पेन में हिन्दी अध्ययन प्राइवेट कक्षा के माध्यम से करना है तो निश्चित तौर पर आपको वे कक्षाएँ बेहद महंगी पड़ेंगी क्योंकि कक्षा का दाम प्रति घंटे की दर से निश्चित किया जाता है तथा उपलब्ध स्थानीय हिन्दी शिक्षक आपसे आने जाने के समय का भी पैसा लेते हैं जो कि आधे घंटे से लेकर दो घंटे तक का समय हो सकता है। कई विद्यार्थी इस धन व्यय के कारण हिन्दी भाषा अध्ययन से मुंह मोड़ लेते हैं।

एक सबसे बड़ा सवाल जो मुंह बाए खड़ा रहता है, वह है कि आप स्पेन में हिन्दी भाषा सीख भी लें तो उसका प्रयोग कहाँ कर सकते हैं? हिन्दी भाषा सीखने पर बड़ी धनराशि व्यय करने के पश्चात हिन्दी भाषा द्वारा धनोपार्जन हेतु कोई विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो फिर क्यों परिश्रम और आर्थिक व्यय किए जाएँ? आज के युग में शिक्षा के सभी रास्ते धनोपार्जन की तरफ खुलते हैं, अतः हिन्दी भाषा को भी धन अर्जित करने हेतु सक्षम होना होगा। हम आशान्वित हैं कि संभवतः भविष्य में इन प्रश्नों को हल किया जाये और हिन्दी भाषा द्वारा धनोपार्जन की उचित दिशा मिल सके!  

स्पेन में हिन्दी अध्ययन के लिए उपलब्ध पुस्तकें

रुपेर्ट स्नेल द्वारा हिन्दी सीखने हेतु लिखित पुस्तक आरंभिक हिन्दी अध्ययन एक सर्वाधिक प्रचलित पुस्तक है जो कि हिन्दी भाषा के लगभग सभी विद्यार्थियों के लिए संजीवनी का काम करती है। इस पुस्तक का अनुवाद लगभग सभी यूरोपीय भाषाओं में उपलब्ध है। ऑडियो सी डी के साथ आने वाली यह पुस्तक आपको वर्णमाला के उच्चारण से लेकर कठिन व्याकरण एवं मुहावरों तक को सिखाने का दम  रखती है। इस पुस्तक में आप हिन्दी के वाक्यांश देवनागरी तथा रोमन, दोनों ही लिपि में पढ़ सकते हैं। तथा प्रत्येक अध्याय के पश्चात आप एक छोटे से प्रश्न पत्र द्वारा स्व मूल्यांकन कर सकते हैं।

इसके अलावा वायादोलिद विश्वविध्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक ¨सरल हिन्दी¨ हिन्दी सीखने के लिए एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक है। इस पुस्तक में वर्णमाला से आरंभ कर संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया इत्यादि की अनेक सारिणियाँ बनाकर हिन्दी को सरल रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिस से विद्यार्थी हिन्दी को क्लिष्ट भाषा न समझें और इसकी तरफ सहज रुचि विकसित हो सके। अनेक उदाहरण प्रस्तुत करके व्याकरण की उचित समीक्षा की गई है। इस पुस्तक के लेखक द्वय हैं – प्रोफेसर विजयकुमारन सी पी वी तथा उनके शिष्य श्री जीसस आर्रिबास लाज़ारो।

स्पेनिश एवं हिन्दी भाषा के कुछ अंतर / विरोधाभास

यदि आप हिन्दी भाषी हैं और आपको स्पेनिश मे सबसे बड़ी दुविधा पूछी जाये तो वह है शब्दों के लिंग निर्धारण में आने वाली समस्या! अब आप पूछेंगे, वह कैसे? तो मैं आपको उदाहरण सहित समझाती हूँ। जैसे हिन्दी में फूल/पुष्प/कुसुम पुल्लिंग शब्द है, किन्तु स्पेनिश में ¨ला फ्लोर¨ स्त्रीलिंग हो जाता है। जैसे कलम/पेन हिन्दी भाषा में स्त्रीलिंग है किन्तु हिस्पानी भाषा में ¨एल बोलीग्राफ़ो¨ पुल्लिंग हो जाता है। तो इस तरह कई शब्दों के साथ यह शब्दों के लिंग निर्धारण की समस्या आती है। स्पष्ट है कि हिस्पानी लोगों को भी हिन्दी में बात करते हुये यह समस्या सामने आती है।

दूसरा अंतर है वाक्य विन्यास का अंतर। हिन्दी भाषा में अधिकांश वाक्य किसी क्रिया पर समाप्त होते हैं,जैसे -राहुल फुटबाल खेलता है। जबकि स्पेनिश भाषा में अधिकांश वाक्य किसी संज्ञा के साथ समाप्त होते हैं।

तीसरा अंतर है सर्वनाम और क्रियाएँ! हिन्दी भाषा में हमारे पास सर्वनाम प्रचुरता में हैं, जैसे मैं, तुम, तू, वे ,हम, उन्हे, आप इत्यादि। स्पेनिश भाषा में प्रत्येक सर्वनाम के साथ क्रिया रूप असंख्य हैं, जैसे किसी भी क्रिया का वर्तमान काल, भूतकाल, भविष्य काल और फिर इनके तात्कालिक काल रूप, एवं अन्य अनेक कालों में रूप, जो कि प्रत्येक सर्वनाम के साथ बदल जाते हैं। मोटे तौर पर बताऊँ तो हिस्पानी भाषा में एक क्रिया शब्द हेतु लगभग 86 रूप बनाए जा सकते हैं अथवा एक क्रिया शब्द को 86 तरीके से अलग अलग काल में गढ़ा/बोला जा सकता है।  एक हिन्दी भाषी के लिए एकाएक इतने सारे क्रिया रूप याद करना कठिन अवश्य जान पड़ता है किन्तु थोड़े से श्रम से ये सभी रूप स्मरण किए जा सकते हैं।  

हिन्दी भाषा में एक बेहद नटखट प्रकार की चाल है, जो कि हिस्पानी लोगों के लिए संकट का सामना करने समान है। वो है कारक का प्रयोग, जैसे, -यह मेरा कमरा है। इस कमरे में कौन है?- इन दोनों वाक्यों में –कमरा- एकवचन है किन्तु दूसरे वाक्य में अधिकरण कारक के प्रयोग से (-में) कमरा अपने बहुवचन रूप ¨कमरे¨ की तरह बर्ताव करता है, और यह समझ पाना स्पेनिश लोगों हेतु एक कठिन कार्य है कि जब एकवचन ही है तो कमरा ही क्यों नहीं कहा जाता? हालांकि हिन्दी भाषा के उचित अध्ययन से वे इसे समझ पाने में सफल रहते हैं।  

स्पेनिश एवं हिन्दी की कुछ समानताएँ

बहुत समय पहले की बात है, लगभग 2008 के आस पास की, एक हिस्पानी भाषा की प्राध्यापिका से मेरी बात हो रही थी। उन्होने जो कहा उसे सुनकर तब मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई थी, वही बात आज मैं आपको बताना चाहती हूँ। उन्होने कहा कि जब वे हिस्पानी भाषा की विश्वविद्यालयी स्तर की अधिकृत शिक्षा ग्रहण कर रहीं थीं, तब उन्हें पढ़ाया गया था कि यूरोपीय मूल की लातिन भाषा का उद्गम संस्कृत भाषा से माना जाता है, जो कि अधिकतर यूरोपीय भाषाओं की जननी मानी जाती है। यदि हम इस तथ्य को ध्यान में रखकर सोचें तो भारत की हिन्दी और यूरोपीय भाषाएँ आपस में गहरा संबंध रखती हैं। और इस नाते कुछ न कुछ समानता इन भाषाओं में देखने को मिलें तो कोई आश्चर्य न होगा!

मैं केवल हिस्पानी और हिन्दी की बात करूँ तो एक बहुत बड़ी समानता इन दोनों भाषाओं में यह है कि दोनों ही भाषाएँ जिस तरह लिखी जाती हैं ठीक उसी तरह उच्चारित भी की जाती हैं, अर्थात जो कुछ जैसा लिखा गया है, वह बिलकुल उसी तरह बोला जाएगा। न ही कोई अक्षर उच्चारण में कम होगा और न ही लिखने में वर्तनी में कोई अधिक अक्षर होगा, जैसा कि अन्य कई यूरोपीय भाषाओं में देखने को मिलता है। उच्चारण सरल होने से सीखने की जटिलता और सीखने में लगा समय काफी हद तक कम हो जाता है।

स्पेनिश भाषा की यह विशेषता इसे अन्य यूरोपीय भाषाओं से काफी हद तक विशेष कलेवर भी देती है और विश्व के भाषा प्रेमियों को इसे सीखने के लिए लालायित भी करती है। क्या यही लालसा हिन्दी सीखने के प्रति भी उद्घोषित हो सकती है?

स्पेन में हिन्दी लेखक

यदि आप यह सोचते हैं कि स्पेन में हिन्दी लेखकों की कमी है तो आप सर्वथा भ्रम में जी रहे हैं। वर्ष 2015 तक मैं बड़े जतन से हिन्दी लेखकों की खोज कर रही थी, किन्तु स्पेन की धरती पर कहीं कोई हिन्दी लेखक नहीं मिल रहा था। तलाश करते करते साल 2018 के बाद ही मैं एक दो लेखकों को खोज पाई थी। फिर साल 2019 में विश्व रंग के लिए तैयारी करते समय कुछ और लेखक मिलते गए और अब मैं गर्व से कह सकती हूँ कि स्पेन में भी कई हिन्दी लेखक हैं जो नियमित हिन्दी लेखन और हिन्दी से जुड़े हुये हैं। इनमें से अधिकांश हिन्दी लेखक मद्रीद और बार्सेलोना में हैं किन्तु कुछ अन्य शहरों में भी हिन्दी लेखक हैं, जो वर्तमान में स्पेन में रहकर  गद्य और पद्य लिख रहे हैं।

स्पेन में हिन्दी गोष्ठियाँ एवं अन्य हिन्दी गतिविधियाँ

स्पेन में धार्मिक क्रिया कलापों में रत अधिकांश समूह अपने आयोजनों में हिन्दी भाषा में अपनी संस्कृति को प्रस्तुत करते रहते हैं। इनमें भजन संध्या, नृत्य नाटिका, धार्मिक ग्रन्थों से प्रवचन इत्यादि समाहित हैं। इसाओम एक जानी पहचानी स्वायत्तशासी गैर सरकारी संस्था है जिसने माद्रीद में गीता आश्रम की स्थापना द्वारा हिन्दी भाषी भारतीयों के लिए एक भवन उपलब्ध करवाया है जहां पर अधिकांश हिन्दू धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य जातिगत बने हुये समूहों (सिंधी, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, मलयाली, तमिल)  द्वारा सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें अङ्ग्रेज़ी और स्पेनिश के साथ ही साथ हिन्दी भाषा भी उपस्थित रहती है।

बॉलीवुड फिल्में स्पेन के विभिन्न सिनेमा घरों में देखने को मिल जाती हैं, जिनकी वास्तविक बोली हिन्दी ही रखी जाती है, और उपशीर्षक (सबटाइटल) स्पेनिश में लगाए जाते हैं, ताकि स्पेनिश लोग भी इन हिन्दी चलचित्रों का आनंद ले सकें।

हिन्दी गुरुकुल स्पेन द्वारा समय समय पर हिन्दी भाषा में काव्य एवं कथा गोष्ठी अथवा साक्षात्कार आयोजित किए जाते रहते हैं। प्रत्येक वर्ष हिन्दी दिवस पर विविध सांस्कृतिक साहित्यिक प्रस्तुति प्रदर्शित की जाती हैं।

भारतीय राजदूतावास द्वारा अधिकांश भारतीय पर्व और उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्पेनिश के साथ हिन्दी भाषा की उपस्थिति भी सामान्य है। यहाँ भारतीय योग आसन की शिक्षा का प्रबंध हिन्दी भाषा में किया जाता है जिस से हिन्दी पढ़ने लिखने और बोलने वालों की संख्या बढ़े।  

अस्तु, इन सभी गतिविधियों के परिप्रेक्ष्य में मैं यह कह सकती हूँ कि यूरोप के दक्षिणी देश स्पेन में हिन्दी भाषा का भविष्य उज्ज्वल है।

*** *** ***

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »