Category: उपन्यास अंश

‘कौन देस को वासी : वेणु की डायरी’ उपन्यास का एक अंश – ‘शफल इट + शेक इट = जिंदगी’

शफल इट + शेक इट = जिंदगी – सूर्यबाला एकदम शुरूआत में मैंने कभी कहा है न, कि हम घर नहीं, एक सपने में रहा करते थे।… यानी हमारे पास…

‘कौन देस को वासी : वेणु की डायरी’ उपन्यास का एक अंश – ‘मां की डायरी’

मां की डायरी –सूर्यबाला आवाजें आ रही हैं…. चले गए सब। वेणु, मेधा, बेटू और साशा¬ वृंदा, विशाखा, दिवांग और दूर्वा भी…. अब सिर्फ आवाजें गूंज रही हैं।… बेटू ऊब…

‘कौन देस को वासी : वेणु की डायरी’ उपन्यास का अंश – ‘रिश्तों के सिलेबस में…’

‘रिश्तों के सिलेबस में…’ – सूर्यबाला ‘हेलो… वेणु… बेटे!‘ पहली बार मां की आवाज जैसे बहुत दूर से आती लगी… और थकी हारी भी। कुछ ऐसे जैसे कभी का देखा,…

‘कौन देस को वासी : वेणु की डायरी’ का उपन्यास अंश – ‘योगी बॉस’

‘योगी बॉस’ – सूर्यबाला चिल्ड, बियर की झाग भरी ग्लास के साथ, सामने काउच पर पालथी मारकर बैठा यह क्या बेटू ही है? यानी पिछले ढाई महीनों में, बैठने-बोलने का…

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